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चीन की मंगोल जाति का संगीतकार—सिछीनछाओकथू
2011-04-29 10:54:55

चीन की मंगोल जाति के संगीतकार सिछीनछाओकथू ने अनेक जातीय गीतों की रचना की, जो चीनी लोगों को बहुत पसंद हैं।《मैं घास मैदान के साथ एकरस हूं》सिछीनछाओकथू का एक मशहूर गीत है, जिस की लय मधुर है और आसान व प्रभावशाली शब्दों से घासमैदान के प्रति मंगोल जाति के लोगों का प्यार इस में व्यक्त हुआ है। अनेक लोग इस गीत को सुनने के बाद इस से बहुत प्रभावित हुए हैं। आम तौर पर इस गीत की मधुर आवाज सुन कर किसी को भी सिछीनछाओकथू के सारे गीत याद आ जाते हैं। लेकिन वास्तव में लोगों को स्पष्ट रूप से सिछीनछाओकथू के बारे में सब कुछ मालूम नहीं है, लेकिन उन के गीत 《नीला मंगोलियाई पठार》, 《बौद्ध धार्मिक विश्वास रखने वाली मां》, 《दिल में ढूंढना》आदि अब बहुत लोकप्रिय हैं।

सिछीनछाओकथू का घर सुन्दर पालीन घासमैदान में है। यहां भीतरी मंगोलिया स्वायात प्रदेश का मशहूर गीत-नृत्य गांव है। इस लोक कला के क्षेत्र में बड़े हुए सिछीनछाओकथू को बचपन से ही लोक संगीत में रुचि रही है। उन्होंने बचपन से मंगोल जाति की गीत-संगीत कला में रुचि दिखाई है। उन का सपना था एक संगीतकार बनने का। वर्ष 1988 में उन्होंने भीतरी मंगोलिया के एक विश्वविद्यालय की परीक्षा पास करके संगीत की शिक्षा पाई। विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद उन्होंने वही पर अध्यापन का काम शुरू किया । वर्ष 1997 में उन के द्वारा रचित गीत 《नीला मंगोलियाई पठार》से संगीत जगत में धीरे-धीर वे मशहूर होने लगे । उन्होंने चीनी संगीत विद्यालय में पहली बार शिक्षा पाने के समय 《नीला मंगोलियाई पठार》शीर्षक गीत की रचना की। उस समय वे पहली बार घासमैदान से बाहर गए । उन्होंने अपने दिल में अपने घर व रहने वाले घासमैदान के प्रति प्यार गीत में व्यक्त किया है।

सिछीनछाओकथू ने कहा कि मैं घर के बारे में बहुत चिंतित हूँ। मुझ जैसा घासमैदान पर बड़ा हुआ बच्चा कभी भी अपने घर को नहीं भूलेगा। मेरे और घासमैदान के बीच संबंध कभी नहीं टूट सकता है।

सिछीनछाओकथू ने यह भी कहा कि घासमैदान उन के दिल में सबसे पवित्र जगह है। वे जीवन के प्रति अपने प्यार व गहन प्रभाव की भावना अपने गीतों में शामिल करते हैं और गीतों से अपने घर के प्रति याद व अपने रिश्तेदारों के प्रति आभार प्रकट करते हैं।

उन्होंने《नीला मंगोलियाई पठार》शीर्षक गीत की रचना की और मंगोल जाति के सबसे मशहूर गायकों में से एक सुश्री द द मा को पहली बार यह गीत गाने का मौका मिला। द द मा को यह गीत गाते समय मधुर शैली व शब्दों से अपने घर व घास मैदान के प्रति सिछीनछाओकथू का प्यार अच्छा लगता है। द द मा ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह गीत बहुत मधुर व लोकप्रिय है, हर शब्द लोगों के दिल को छू जाता है। सिछीनछाओकथू हमारी मंगोल जाति का एक श्रेष्ठ युवा संगीतकार है। घासमैदान से मिली भावना व संगीत के जरिए इधर के सालों में सिछीनछाओकथू लोक कला के आधार पर अपने संगीतों व गीतों की रचना कर रहे हैं और लगातार लोगों के लिए नए गीतों की रचना कर रहे हैं। उन्होंने अब तक 6 सौ से अधिक संगीत धुनों व गीतों की रचना की है, जिनमें से अनेक घासमैदान यहां तक कि पूरे देश में मशहूर हुए हैं। उन की हर संगीत धुन या गीत की शैली में घास मैदान की प्रशंसा व प्यार शामिल है, जो लोगों को बहुत प्रभावित करता है। उन की आशा है कि अपने संगीत व गीतों से लोगों के सामने सुन्दर घासमैदान को दिखा सकें और घासमैदान के प्रति अपना प्यार लोगों को बता सकें।

《अपने दिल में घर》व《मेरा घर मंगोलिया में है》जैसे गीतों में थोड़ा सा दुख है, क्योंकि इन में घासमैदान के प्रति सिछीनछाओकथू की याद शामिल है। इन दो गीतों से लोगों को मंगोल जाति के लोगों के दिल में घासमैदान का परिचय मिलता है। और《क्षितिज पर अपना घर》शीर्षक गीत में एकाएक जैसे लोगों को घासमैदान के सुन्दर दृश्य दिखाई देने लगते हैं। वहां आकाश इतना नीला है और हरित घास के बीच छोटी नदी है। गाय व भेड़ें वहां घास चरती हैं। मंगोल जाति के लोग हल्की हल्की हवा में खुशी से गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। लोगों को यह गीत सुनने के बाद ऐसा लगता है जैसे कि घास मैदान की आत्मा के साथ बातचीत कर रहे हों।

सिछीनछाओकथू ने कहा कि मेरे ये गीतों में से तीन मुझे बहुत पसंद हैं, क्योंकि इन का विषय अपनी मां के बारे में है। मैंने रोते हुए इन तीनों गीतों की रचना की थी। मुझे लगता है सुनने के बाद लोग जरूर प्रभावित होंगे।

सिछीनछाओकथू के गीतों की चर्चा करते हुए हमें मंगोल जाति के मशहूर गीतकार वूनाछीन का परिचय देना पड़ेगा। वे दोनों हमेशा सहयोग करते हुए गीत पेश करते हैं। एक संगीत की रचना करता है और दूसरा गीत लिखता है। दोनों की कोशिश से एक गीत की पूरी रचना होती है। इस तरह उन्होंने एक साथ अनेक मशहूर गीतों की रचना की है।

वूनाछीन ने कहा कि रचना की गुणवता और शिक्षा के स्तर की दृष्टि से कहा जाए तो, सिछीनछाओकथू मंगोल जाति के युवा गीतकारों में सबसे मशहूर व श्रेष्ठ हैं।

वूनाछीन का कहना है कि सिछीनछाओकथू के संगीत व गीतों में मनमोहकता है,इन में आम लोगों की भावना प्रकट हुई है। उन के गीतों की लय साधारण और प्राकृतिक है और गीतों से उन के दिल को महसूस किया जा सकता है। उन के गीतों में प्यार व मंगोल जाति व घासमैदान के प्रति प्रशंसा की भावना भरी हुई है।

लगभग 20 सालों की गीत रचना के दौरान सिछीनछाओकथू ने परंपरागत, आधुनिक व जातीय शैली को मिला कर अपनी कला की विशेष शैली बनाई है। उन की आशा है वे जातीय संगीत के प्रचार-प्रसार व विकास के लिए काम करेंगे । अपने गीतों से और ज्यादा लोगों को मंगोल जाति के बारे में बता सकेंगे।

सिछीनछाओकथू ने कहा कि मुझे लगता है कि एक आदमी के लिए दिल में सपना व जिम्मेदारी की भावना दोनों होती हैं। मेरे अनेक दोस्तों ने मुझे बताया कि तुम्हारा स्थान ऊंचा है और बाहर शिक्षा पाने की जरूरत नहीं है। लेकिन मुझे लगता है सफलता पाने के बाद अनुभव का सारांश करना पड़ेगा, जिससे मुझे अपनी कमियों का और अधिक एहसास हुआ है। इसलिए मुझे लगातार सीखने की जरूरत है।

सिछीनछाओकथू की लोगों ने बहुत प्रशंसा की है और उन्होंने प्रतियोगिता में जीत हासिल की है। लेकिन अपनी कला के विकास में आगे बढने में वे कभी नहीं रुके। उन्होंने क्रमश:चार बार चीनी केंद्रीय संगीत विद्यालय में शिक्षा पाई और संगीत रचना में डॉक्टर की डिग्री हासिल की। अब वे भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश में इस डिग्री को पाने वाले पहले संगीतकार हैं। हमें पूरा विश्वास है कि वे और अच्छा संगीत व गीत पेश करेंगे।

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