दोस्तो , दक्षिण रेश्मी मार्ग का प्रस्थानबिंदु वर्तमान दक्षिण पश्चिम चीन के सछ्वान की राजधानी छंग तू से शुरु हुआ है और वह चीन के युन्नान प्रात से होकर भारत तक पहुंच जाता है , यह मार्ग चीन के सब से प्राचीन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्गों में से एक जाना जाता है । 2011 के वसंत में चीन का अनुभव सछ्वान सप्ताह नयी दिल्ली में उद्घाटित हुआ ।
जैसा कि आप को मालूम है कि चहरे बदलने की कला सछ्वान प्रांतीय औपेरा की विशेष पहचान है , 26 अप्रैल की रात को यह रहस्यमय कला मधुर संगीत में नयी दिल्ली के सिरिफोर्ट में शुरु हुआ , कलाकारों ने अपने आश्चर्यजनक अभिनय प्रस्तुत कर बड़ी तादाद में भारतीय दर्शकों और भारत स्थित विभिन्न देशों के राजनयिकों को आकर्षित कर दिया है , सभी दर्शक सछ्वान प्रांत की प्राचीन विविधतापूर्ण संस्कृतियों से एकदम प्रभावित हुए हैं।
उस दिन सछ्वान प्रात से आये कलाकारों ने नृत्य , सछ्वान औपेरा , कलाबाजी और ऊ शू आदि बहुत ज्यादा प्रस्तुतियां पेश कीं , उल्लेखनीय है कि मंच पर विस्मयजनक प्रदर्शन एक के बाद एक धारावाहिक रुप से प्रस्तुत किये , जिस से भारतीय दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी गयी है । प्रस्तुतियों की समाप्ति पर बहुत ज्यादा दर्शक थिएटर से बाहर निकलना नहीं चाहते , क्योंकि वे फिर भी चीनी कलाकारों के चतुर प्रदर्शनों में मग्न रहे हैं । नेहरु विश्वविद्यालय के छात्र मृत्युजय ने अपना अनुभव हमारे संवाददाता को बताते हुए कहा आज मैंने यहां पर जो आश्चर्यजनक प्रोग्राम देखा है , वह भारत में बहुत कम देखने को मिलता है , ऊ शू का प्रदर्शन मुझे सब से पसंद है , आज के परम्परागत चीनी ऊशू का प्रदर्शन वाकई बेहद प्रशंसनीय है , भारत में इतना बढ़िया प्रदर्शन देखने को मिला है , यह सचमुच कमाल की बात है ।
भारत के एक विद्युत कम्पनी में कार्यरत कर्मचारी निशित चीनी ऊशू देखने के लिये विशेष तौर पर बाहर से नयी दिल्ली आये । वे चीन के सछ्वान प्रांतीय आँपेरा की चेहरे बदलने की कला और कलाबाजी में बड़ी रुचि लेते हैं और यह प्रोग्राम देखने को उत्सुक हैं । पर चीन जाने का मौका न मिलने से उन की यह मनसूबा पूरी नहीं हो पाई । इस बार वे यह मौका बेहद मूल्यवान समझकर विशेष तौर पर नयी दिल्ली आये । उन्होंने हमारे संवाददाता से कहा मुझे बड़ी खुशी हुई है कि अपने देश में ही इतना मनमोहक प्रोग्राम देखने को मिला है , चेहरे बदलने का प्रदर्शन मेरा पसंदीदा कार्यक्रम है , मुझे मालूम नहीं है कि कलाकारों ने यह अजीब प्रदर्शन कैसे दर्शा दिया है । इस के अलावा कलाबाजी का प्रदर्शन भी बहुत प्रसंशनीय है , मुझे बहुत पसंद है , कलाकारों का स्तर भी बहुत ऊचा है ।
संदीप चीनी संस्कृति का एच बी छात्र है । उन्होंने प्रस्तुतियों की चर्चा में कहा मेरा विचार है कि आज की तमाम प्रस्तुतियां बहुत प्रशंसनीय हैं , परम्परागत नृत्य मुझे बड़ा अच्छा लगता है , कलाबाजी का प्रदर्शन भी बहुत पसंद है । पूरी प्रस्तुतियां धारावाहिक रुप से पेश की हैं , यह बड़ा आश्चर्य हुआ है , देखने में बड़ा मजा आया है । सभी प्रोग्रामों का अभिनय स्तर भी बहुत ऊंचा है ।
भारतीय दर्शकों की जोशीली प्रतिक्रिया से जाहिर है कि सांस्कृतिक व कलात्मक क्षेत्रों में आदान प्रदान चीनी व भारतीय जनता के बीच आपसी समझदारी बढाने का सब से बढ़िया माध्यम ही है । सछ्वान प्रांत के गवर्नर च्यांग च्यू फंग ने इस का उल्लेख करते हुए कहा कि सछ्वान प्रांत सांस्कृतिक आदान प्रदान के जरिये भारत के साथ आर्थिक व्यापार , पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी समेत अनेक क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने को तैयार है ।
सछ्वान प्रांत का इतिहास बहुत पुराना है , प्राकृतिक संसाधनों की भरमार होती है । विश्वास है कि आज रात सछ्वान प्रांत की कलामंडली की प्रस्तुतियों ने एक रंगारंग और खुले सछ्वान को पूरी तरह दर्शकों को प्रदर्शित कर दिया है । हालांकि सछ्वान और भारत के बाच का रास्ता बहुत दूर है , पर दोनों क्षेत्रों का आदान प्रदान काफी पुराना है , आर्थिक व व्यापारिक सहयोग में बड़ी शक्ति निहित है । गत वर्ष सछ्वान व भारत का कुल आयात निर्यात एक अरब 19 करोड़ 60 लाख अमरीकी डालर तक पहुंच गया है , भारत सछ्वान प्रांत का छठा बड़ा व्यापार साझेदार बन गया है ।
भारत स्थित चीनी राजदूत चांग य्येन ने मौके पर भारतीय दर्शकों से अवगत कराते हुए कहा कि 2010 में चीन व भारत दोनों देश एक दूसरे के यहां पर चीन वर्ष और भारत वर्ष आयोजित करने में सफल हुए हैं । ध्यान देनेयोग्य की बात यह है कि भारत वर्ष का समापन समारोह ठीक ही सछ्वान प्रांत की राजधानी छंग तू में संपन्न हुआ है । दोनों देशों के नेताओं के बीच संपन्न सहमति को मूर्त रुप देने के लिये दोनों देश चालू वर्ष में चीन भारत आवाजाही वर्ष आयोजित करेंगे , आशा है कि दोनों देशों के सांस्कृतिक व कलात्मक आदान प्रदान के जरिये द्विपक्षीय संबंधों के निरंतर विकास को बढावा मिलेगा ।