श्री हू चिंगथाओ ने चीन-भारत संबंधो के संदर्भ में चार सूत्रीय सुझाव प्रस्तुत किया कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक विश्वास बढाया जाए,रणनीतिक संपर्क को मजबूत किया जाए,आर्थिक व व्यापारिक सहयोग का सकारात्मक विकास किया जाए,पूंजीगत संस्थापन,सूचना प्रौद्योगिक व निवेश जैसे क्षेत्रों में सहयोग को नया आयाम दिया जाए,मतभेदो का सही निपटारा किया जाए और शांति व अमनचैन को बनाए रखा जाए।
हू चिंगथाओ ने यह भी कहा कि चीन भारत के साथ सीमा-विवाद पर वार्ता को आगे ले जाने, उभय रूप से स्वीकारा जा सकने वाला न्यायोजिक व युक्तिसंगत समाधान ढूंढ निकालने को तैयार है।
भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह श्री हू चिंगथाओं से एकदम सहमत हैं।उन्होंने कहा कि भारत चीनी उद्यमों व कंपनियों का भारत में निवेश हेतु आने के लिए स्वागत किया और उन्हें खासकर भारत के बुनियादी सरंजामों के निर्माण में ज्यादा पूंजी लगाने के लिए प्रोत्साहन दिया।सिंह का कहना है कि भारत चीन के साथ सीमा-विवाद का ऐसा समधान,जो दोनों देशों को स्वीकार्य है,खोजने की समान कोशिश करना चाहता है।
13 तारीख को दोनों नेताओं ने `चीन-भारत वर्ष ` का औपचारिक उद्घाटन भी किया।सूत्रों के अनुसार इस वर्ष के दौरान दोनों देशों के बीच अनेक आर्थिक व सांस्कृतिक आयोजन किये जाएंगे।भारत के 500 युवा लोग निमंत्रण पर चीन की यात्रा पर आएंगे।