बोआओ एशिया मंच से एशियाई देशों के बीच मज़बूत एकात्मकता उत्पन्न हुई है। बोआओ मंच परिषद के पूर्व अध्यक्ष, फिलीपींस के पूर्व राष्ट्रपति फ़िदेल वालदेज़ रामोस ने संवाददाताओं के साथ बातचीत में यह कहा।
रामोस के बोआओ एशिया मंच के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। वे बोआओ एशिया मंच के संस्थापकों में से एक हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 1997 में एशियाई आर्थिक संकट के बाद वे कई अन्य एशियाई नेताओं के साथ एक एशिया मंच स्थापित करनी चाहते थे,जिसमें सभी एशियाई देश व अन्य क्षेत्रों के मित्र देश शामिल हैं। विचार विमर्श के बाद सभी ने माना कि चीन के हाईनान प्रांत का बोआओ एशिया मंच के लिये सर्वश्रेष्ठ स्थान है।
फरवरी 2001में बोआओ एशिया मंच की औपचारिक स्थापना की गयी। मंच को एशिया के विभिन्न देशों का व्यापक समर्थन मिला है और दुनिया का विस्तृत ध्यान भी खींचा है। रामोस ने कहा कि बोआओ एशिया मंच के विकास और एशिया प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक एकीकरण बढ़ाने में चीन ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
रामोस मानते हैं कि बोआओ एशिया मंच एशिया के आधार पर आर्थिक एकीकरण, अन्तर्क्षेत्रीय सहयोग व विभिन्न संस्कृतियों के बीच आदान प्रदान के ज़रिए एशियाई देशों के हितों को बढ़ाने वाला पहला अतर्राष्ट्रीय मंच है। और यह मंच एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग संगठन व दावोस विश्व आर्थिक मंच के लिये एक पूरक है। दस सालों के विकास से हाल में वह एशिया तथा अन्य क्षेत्रों के संबंधित देशों की सरकारों, उद्योग व वाणिज्य जगत तथा शास्त्री जगत के नेताओं के बीच वार्तालाप करने का उच्च स्तरीय मंच बन चुका है।
हालांकि मंच के सदस्य देशों के बीच राजनीतिक व्यवस्था, धर्मों और संस्कृतियों में काफी अंतर है, फ़िर भी बोआओ एशिया मंच "साझा हित, सक्रिय आदान प्रदान एवं ईमानदार दोस्ती"की भावना के ज़रिए एशियाई देशों में मज़बूत एकात्मकता पैदा हुई है।
(रमेश)