ब्रिक्स देशों का तीसरा शिखर सम्मेलन 14 अप्रैल को दक्षिण चीन के हाईनान प्रांत के सानया शहर में आयोजित होगा, चीन के अलावा रूस, ब्राजील, भारत, दक्षिण अफ्रीका के नेतागण सम्मेलन में भाग लेंगे। हाल ही में रूसी विदेश मंत्रालय के प्रेस प्रवक्ता लुकाशेविच ने सी आर आई के साथ साक्षात्कार में ब्रिक्स देशों की सयहोग व्यवस्था की भूरि भूरि प्रशंसा की और यह आशा प्रकट की है कि मौजूदा सम्मेलन में विभिन्न सवालों पर सार्थक उपलब्धियां प्राप्त होंगी।
सी आर आई संवाददाता के साथ बातचीत में रूसी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लुकाशेविच ने कहा कि ब्रिक्स देशों की सहयोग व्यवस्था वर्तमान विश्व में सब से बड़ी जीवन शक्ति से ओतप्रोत नवोदित देशों व नयी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग का बिलकुल नया माडेल है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स सहयोग व्यवस्था का उज्ज्वल भविष्य दो पाइंटों पर आधारित है।
पहला, ब्रिक्स देशों की मौद्रिक क्रय-शक्ति असाधारण होती है, 2010 में ब्रिक्स के पांच सदस्य देशों का कुल घरेलू उत्पाद मूल्य सारी दुनिया का एक चौथाई बन गया, इस के अलावा पांचों देशों की कुल जनसंख्या तीन अरब होती है, जो सारी दुनिया को एक विशाल बाजार और पर्याप्त श्रम संसाधन प्रदान कर सकती है।
श्री लुकाशेविच ने कहा कि वर्तमान में ब्रिक्स देश विश्व अर्थव्यवस्था में इंजन की भूमिका निभाते हैं। उन के बीच सहयोग का विश्व वित्तीय व्यवस्था के सुधार पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। श्री लुकाशेविच का कहना हैः
मेरे विचार में ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग का जोर अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय क्षेत्र में परस्पर सहयोग को और अधिक बढ़ाने पर होना चाहिए, ताकि विश्व के विभिन्न देश जल्दी ही विश्वव्यापी वित्तीय संकट के प्रभाव से छुटकारा पा सकें और एक ज्यादा लोकतांत्रिक व न्यायोचित विश्व वित्तीय तंत्र कायम हो सके।
श्री लुकाशेविच के विचार में आर्थिक सहयोग के अलावा ब्रिक्स में अन्तरराष्ट्रीय राजनीतिक क्षेत्र में भी सहयोग बढाना चाहिए। क्योंकि इस का विभिन्न देशों और विश्व भर तक सुरक्षा व स्थिरता से संबंध है। उन्होंने कहाः
ब्रिक्स देश संयुक्त राष्ट्र संघ के दायरे में सक्रिय सहयोग कर रहे है, खासकर सुरक्षा परिषद में बहुत से सवालों पर उन की रायें एक जैसी हैं जिन में अंतरिक्ष में किसी भी प्रकार के हथियारों की तैनाति तथा अन्य देशों की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले अंतरिक्ष संस्थापनों की स्थापना पर पाबंदी आदि शामिल हैं। हम आर्थिक व सामाजिक परिषद जैसी संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं में सहयोग बढ़ाने की भी कोशिश करेंगे।
श्री लुकाशेविच ने कहा कि रूस ब्रिक्स के द्वारा अन्य विकासशील देशों, संयुक्त राष्ट्र संघ, शांगहाई सहयोग संगठन, एपेक, ईईसी आदि अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग के विकास का समर्थन करता है।
चीन के सानया में जल्द ही होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की चर्चा में श्री लुकाशेविच ने कहा कि रूस आशा करता है कि विभिन्न देश कुछ अहम अन्तरराष्ट्रीय सवालों पर सहमति प्राप्त करेंगे और उन के बीच व्यवहारिक सहयोग बढ़ा सकेंगे। उन्होंने कहा कि रूस की उम्मीद है कि ब्रिक्स देश अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय सुधार में सहयोग बढ़ाने के बारे में अपना निर्णय ले लेंगे। यदि ऐसा हुआ तो इस साल के अंत में फ्रांस में होने वाले जी-बीस के शिखर सम्मेलन की तैयारी के लिए मदद मिलेगी। इन के अलावा हम सानया सम्मेलन में विश्व शांति के सवाल पर भी विचार विमर्श करेंगे, खासकर वर्तमान मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका में लगातार बिगड़ती जा रही स्थिति पर विचारों का आदान प्रदान करेंगे, क्योंकि ब्रिक्स के पांचों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य हैं।
श्री लुकाशेविच ने यह भी कहा कि सानया शिखर सम्मेलन में पांच देशों के नेता मौसम परिवर्तन व व्यवहारिक सहयोग जैसे सवालों पर भी विचार विमर्श करेंगे और सार्थक उपलब्धियां पाने की कोशिश करेंगे ।
पिछले साल के अंत में दक्षिण अफ्रीका भी ब्रिक्स का सदस्य बना है, वह भी सानया शिखर सम्मेलन में भाग लेगा। श्री लुकशेचिव की नजर में ब्रिक्स में दक्षिण अफ्रीका की भागीदारी एक द्विपक्षीय सफलता है, जिस से ब्रिक्स देशों तथा अन्य अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के बीच वार्ता बढ़ाने को मदद मिलेगी और इस से यह भी जाहिर होगा कि अफ्रीकी देश अन्तरराष्ट्रीय मंच पर अधिकाधिक भूमिका निभाएंगे।