ब्रिक्स देशों का तीसरा शिखर सम्मेलन अप्रैल के मध्य में चीन के हाईनान प्रांत के सानया शहर में होगा। मौके पर दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स का औपचारिक सदस्य बनेगा, ब्रिक्स का शिखर सम्मेलन पहली बार चीन में आयोजित होने तथा दक्षिण अफ्रीका को औपचारिक सदस्यता प्राप्त होने के कारण मौजूद ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और अधिक ध्यानाकर्षक होगा।
ब्रिक की अवधारणा सब से पहले विश्वविख्यात अमेरिकी कंपनी गोल्डमान साक्स द्वारा प्रस्तुत है,जिस में ब्राजील, रूस, भारत और चीन चार देश शामिल हैं और उन के नामों के प्रथम अंग्रेजी अक्षरों के जोड़ से ब्रिक बना है और बाद में व्यापक तौर पर मान्य हो गया है।
नवम्बर 2010 में जी-बीस का सम्मेलन सियोल में हुआ, उस के दौरान दक्षिण अफ्रीका ने ब्रिक के चार देशों के समूह में हिस्सा लेने का आवेदन किया। दिसम्बर 2010 में चीन, रूस, भारत और ब्राजील ने दक्षिण अफ्रीका को ब्रिक देशों की सहयोग व्यवस्था में स्वीकार कर लिया, इसे जोड़ने से ब्रिक का नाम बदल कर ब्रिक्स बनाया गया। इस साल अप्रैल में चीन के सानया शहर में जो ब्रिक्स का शिखर सम्मेलन होगा, जिस में दक्षिण अफ्रीका औपचारिक सदस्य के रूप में भाग लेगा। इसलिए लोकमत इस सम्मेलन पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के सानया में होने वाले ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन में सदस्य देश वर्तमान विश्व वित्तीय व आर्थिक स्थिति पर गहन विचार विमर्श करेंगे, आदान प्रदान बढ़ाएंगे तथा आपसी लाभ वाली उपलब्धियों के लिए कोशिश करेंगे। वे इस साल के उत्तरार्ध में फ्रांस में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के विभिन्न विषयों के बारे में सलाह मशविरा करेंगे, ताकि विकसित देशों के साथ बातचीत में विकासशील देशों की आवाज और ऊंची कर दें और वर्तमान दुनिया में शांति, विकास व सहयोग के लिए और अधिक मिसाल खड़ी की जा सके।
रिपोर्टों के अनुसार ब्रिक्स के सदस्य ब्राजील ने सानया ब्रिक्स शिखर सम्मेलन पर बड़ी आशा बांधी है।
चीन स्थित ब्राजील के दूतावास के मिनिस्टरी स्तरीय कौंसुलर टाटिंना रोजिटो ने हाल ही में कहा कि 2010 में ब्राजील में चीन के पूंजी निवेश की रकम 30 करोड़ अमेरिकी डालर पहुंची थी, इसतरह चीन ब्राजील का सब से बड़ा निवेशक देश बन गया है, अनुमान है कि दोनों देशों के बीच निवेश की कुल रकम 15 अरब डालर दर्ज हुई है और दोनों के द्विपक्षीय संबंध बहुत अधिक मजबूत हो गए। ब्राजील की अपेक्षा है कि मौजूदा सानया ब्रिक्स सम्मेलन में चीन के साथ और गहरा व व्यापक सहयोग होगा। ब्राजील सरकार की उम्मीद है कि ब्रिक्स देशों में सहयोग और विस्तृत होगा, ताकि ब्रिक्स देशों का सहयोग सचे मायने में सार्थक हो।
ब्राजील के विभिन्न तबकों का मानना है कि अफ्रीका के सब से शक्तिशाली देश दक्षिण अफ्रीका के ब्रिक्स का सदस्य बनने से ब्रिक्स की शक्ति बढ़ेगी, जिस से प्रेरित होकर और अधिक समान शक्ति वाले विकासशील देश इस में भाग ले सकेंगे। ब्राजील के चीन व प्रशात अनुसंधान संस्थान के नेता श्री काबराइल ने कहा कि वर्तमान में चीन, भारत, रूस और ब्राजील के विकास विश्व में ध्यानाकर्षक है। अतः इन चार देशों में सहयोग बढ़ाना स्वाभाविक है, अब दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के परिणामस्वरूप अन्तरराष्ट्रीय क्षेत्र में विकासशील देशों का पल्ला और भारी होगा। जो वर्तमान विश्व आर्थिक संकट, यहां तक राजनीतिक संकट के खात्मे के लिए अहम भूमिका अदा कर सकेंगे। ब्राजील की आशा है कि ब्रिक्स देशों का सानया शिखर सम्मेलन अपने क्षेत्र और पूरे विश्व तक अपना प्रभाव बढ़ा देंगे।
विश्वभर में मुद्रास्फीति बढ़ने की स्थिति में मौद्रिक व्यवस्था का सुधार भी मौजूदा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का मुख्य मुद्दा होगा। ब्राजील भी इस समस्या पर ध्यान दे रहा है। ब्राजील के मीडिया के मुताबिक इस साल विश्व में प्रमुख उत्पादों के दाम लागातर ऊंचे बढ़ने के कारण बड़ी राशि की पूंजी ब्राजील में घुस आयी, जिस से ब्राजील में महंगाई और बढ़ी और उस की मुद्रा के मूल्य में इजाफा हुआ। चीन के सामने भी यही समस्या मौजूद है। इसलिए मौद्रिक व्यवस्था का सुधार ब्रिक्स जैसे नवोदित अर्थव्यवस्था वाले देशों की समान अपील है।
वर्तमान में चीन रूस और चीन भारत के द्विपक्षीय व्यापार में अपनी अपनी मुद्रा से हिसाब का तरीका अपनाया जा चुका है। केवल चीन व ब्राजील के बीच अभी मतभेद है। इसलिए ब्राजील के अर्थशास्त्रियों की आशा है कि मौजूदा सानया शिखर सम्मेलन में इस सवाल का समाधान होगा। इस तरह ब्रिक्स देशों में परस्पर आदान प्रदान व समन्वय के आधार पर विकसित देशों के वित्तीय इजारेदारी का सामना करने की शक्ति बढ़ जाएगी।