श्रोता दोस्तो , जापान के फुकुशिमा में न्यूक्लीयर दुर्घटना से उत्पन्न परमाणु रिसाव संकट अभी जारी है । जापान के इस आकस्मिक परमाणु संकट के सामने परमाणु ऊर्जा का प्रयोग करने वाला बड़ा देश होने के नाते चीन ने परमाणु बिजली का विकास करने की गति धीमी कर दी है , उस ने एक तरफ परमाणु बिजली परियोजनाओं का अनुमोदन अस्थायी तौर पर बंद कर दिया है , दूसरी तरफ निर्माणाधीन परमाणु बिजली घरों की पूर्ण रुप से जांच पड़ताल की है । इस बात को लेकर चीनी परमाणु ऊर्जा व्यवसाय संघ के उप महा सचिव और राष्ट्रीय परमाणु आपात समन्वय कमेटी के विशेषज्ञ फू ई ने कहा कि मध्यम दीर्घकालीन दृष्टि से परमाणु बिजली के विकास करने का चीन का सिद्धांत अविचल है , इस के विकास की गति अस्थाई तौर पर धीमी करने का उद्देश्य इस का आधार और अधिक मजबूत बनाना है ।
इधर के सालों में चीन की परमाणु बिजली के विकास की रफ्तार बहुत तेज रही है । वर्तमान में चीन में 6 परमाणु बिजली घरों में 13 जनरेटर काम कर रहे हैं , जिन की क्षमता 1 करोड़ 8 लाख किलोवाट है , जबकि निर्माणाधीन परमाणु बिजली परियोजनाओं की जनरेटर क्षमता लगभग तीन करोड़ किलोवाट होगी , सारी दुनिया में निर्माणधीन न्यूक्लियर बिजली परियोजनाओं का 40 प्रतिशत चीन में ही केंद्रित है । अधिकृत सूत्रों के अनुसार ऊर्जा की खपत करने और कार्बन निकासी वाला बड़ा देश होने के नाते चीन आर्थिक वृद्धि की ठोस जरूरत और कम उत्सर्जन के दोहरे दबावों का सामना कर रहा है , ऐसी स्थिति में चीन के लिये न्यूक्लियर बिजली का विकास करना अनिवार्य है । चीन ने आगामी पांच वर्षों की राष्ट्रीय आर्थिक व सामाजिक विकास योजना में कहा है कि सुरक्षा को पक्का करने के आधार पर परमाणु बिजली का विकास किया जायेगा । चीनी परमाणु ऊर्जा व्यवसाय संघ के उप महा सचिव फुंग ई ने कहा मध्यम दीर्घकालीन दृष्टि से चीन का न्यूक्लियर बिजली के विकास का सिद्धांत दृढ़ व अविचल है , यह चीनी ऊर्जा रणनीति , मांग व सप्लाई और अपने समूचे परमाणु ऊर्जा व्यवसाय के विकास की वास्तविक स्थिति के अनुसार निश्चित किया गया है । क्योंकि दुनिया में इतना बड़ा परमाणु संकट उत्पन्न हुआ है , इसलिये अल्प समय में हम ने विकास की गति धीमी कर दी है और परमाणु सुरक्षा को प्राथमिकता पर रख दिया है , ताकि भावी विकास के लिये मजबूत नींव डाली जा सके ।
फुंग ई ने कहा कि चीन का परमाणु ऊर्जा का विकास काफी देर से शुरु हुआ है , इस के मद्देनजर चीन समुन्नत अंतर्राष्ट्रीय तकनीकों और बंदोबस्त अनुभवों से अच्छी तरह सीख सकता है । पिछले बीस साल में चीन सरकार परमाणु सुरक्षा पर कड़ी नजर रखे हुए है , साथ ही इसे अंतर्राष्ट्रीय मापदंड से जोड़ा गया है ।
विश्व के संबंधित सूचकांक के अनुसार हमारे सभी सूचकांक काफी बढ़िया हैं , जिन में 8 का स्तर अंतर्राष्ट्रीय जगत में अग्रसर है । हमारी सुरक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता , खासकर रेडियोएक्टिव की निकासी मात्रा राष्ट्रीय मापदंड से कम है , इतना ही नहीं , वह साल ब साल घटती जा रही है ।हमारी क्वालिटी , रफ्तार , जोखिम और सुरक्षा प्रबंधन आम तौर पर नियंत्रण में है , जो हमारी मांग व सप्लाई क्षमता से मेल खाता है ।
ऐसा होने पर भी फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना के बाद चीन ने तुरंत ही अपनी सुरक्षा स्थिति का नये सिरे से मूल्यांकन किया है । फुकुशिमा परमाणु संकट के तीसरे दिन चीन के क्वांग तुंग न्यूक्लियर विद्युत ग्रुप ने आपातकालीन मीटिंग बुलाकर निर्माणधीन न्यूक्लियर बिजली घरों समेत सभी परमाणु बिजली घरों की सुरक्षा का आकलन किया है। 16 मार्च को चीनी प्रधान मंत्री वन च्चा पाओ की सदारत में राज्य परिषद के नियमित सम्मेलन में सुरक्षा को न्यूक्लियर बिजली के विकास की प्राथमिकता पर रखने पर जोर दिया गया और अस्थाय़ी तौर पर न्यूक्लियर बिजली परियोजना के अनुमोदन को बंद करने और निर्माणधीन बिजली घरों की पूरी जांच पड़ताल करने का फैसला किया गया। फूंग ई ने कहा कि यह आत्मलोचना और अनुभवों का निचोड़ करने का मौका है । उन का कहना है न्यूक्लियर बिजली व्यवसाय अनुभवों का निचोड़ करने पर बहुत जोर देता है । पिछले बीस साल में समूचा वैश्विक परमाणु ऊर्जा जगत दुर्घटना के बाद तदनुरुप कार्यवाही योजना बनाने में लगा हुआ है । मौजूदा फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना को ध्यान में रखकर वैश्विक परमाणु ऊर्जा जगत हो या चीन निश्चय ही इस से सबक लेगा । अब चीन के लिये सब से विवेकपूर्ण विकल्प यह है कि इस संदर्भ में हो रहे काम की गति समुचित रुप से धीमी की जाये , दूसरे से सीखकर अपने संबंधित काम में सुधार लाया जाये ।यह हमारी सुरक्षा और निर्माण के लिये अत्यंत बेमूल्य निधि है ।
फुंग ई ने जताया कि सुरक्षा ही परमाणु बिजली व्यवसाय का प्राण है , नहीं तो इस की चर्चा करने का कोई सवाल नहीं उठता ।