श्रोता दोस्तो , 29 मार्च को संयुक्त राष्ट्र संघ , नाटो , यूरोपीय संघ , इस्लामी सम्मेलन संगठन और अरब लीग आदि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के नेताओं और 36 देशों के विदेश मंत्रियों तथा अनेक देशों के पर्यवेक्षकों ने लंदन में ब्रिटेन के प्रस्ताव में आयोजित लीबिया सवाल के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया । सम्मेलन में लीबिया के राजनीतिक भविष्य पर केंद्रित रुप से विचार विमर्श किया गया और संबंधित मामलों को समन्वित करने के लिये लीबिया सम्पर्क दल बनाने का फैसला किया गया।
ब्रिटेन के प्रधान मंत्री केमरोन ने सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में भाषण देते हुए कहा कि लीबियाई जनता दबाव रहित भविष्य को सुनिश्चित करना चाहती है , तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिये तीन क्षेत्रों में उस की मदद करना आवश्यक है । सर्वप्रथम यह जरूरी है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के नम्बर 1970 और नम्बर 1973 प्रस्तावों को मूर्त रुप देने के लिये व्यापक गठबंधन का वचन पक्का किया जाए । दूसरी तरफ, जरूरत पड़ने पर विद्रोहियों के अधिकृत क्षेत्रों को मानवीय सहायता देने की गारंटी दी जाये । तीसरी तरफ मुठभेड़ की समाप्ति के बाद लीबियाई जनता को अपना भविष्य कायम करने में मदद दी जाये ।
सम्मेलन के दौरान हिस्सेदारों ने व्यापक बहुपक्षीय और द्विपक्षीय सम्पर्क किया और विचारों व सूचनाओं का आदान प्रदान किया । संयुक्त राष्ट्र महा सचिव बान की मून ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वे लीबिया के भविष्य की स्थापना की प्रकिया में अंतर्राष्ट्रीय समन्वित नेतृत्व का काम संभालने को तैयार हैं । उन्हों ने कहा कि लीबिया को जनवादी सरकार और सामाजिक संक्रमण के लिये समय और तमाम लोगों के समर्थन की जरूरत है , संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस क्षेत्र में लीबियाई जनता को सहायता देने के लिये तैयारी कर रखी है । बान की मून ने कहा कि संबंधित रिपोर्ट से पता चलता है कि लीबिया के दोनों पक्षों के भीतर आम नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है । सम्मेलन की समाप्ति के बाद वे दोनों पक्षों के साथ सम्पर्क बनाने के लिये विशेष दूत खटिब को लीबिया भेजेंगे । अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी ने कहा कि ऐसी स्थिति में जबकि गद्दाफी ने आम नागरिकों पर हमले बंद नहीं किए हैं और जनता तक मानवीय सहायता नहीं जाने दी है , तो गठबंधन देशों का सैन्य अभियान बंद नहीं होगा । साथ ही उन्हों ने कहा कि लीबिया की दीर्घकालिक प्रगति सैन्य अभियान से नहीं होगी , केवल राजनीतिक व कूटनीतिक दबाव के माध्यम से गद्दाफी को सत्ता छोड़ने पर विवश करना चाहिये । अमरीकी प्रतिनिधि मंडल ने संकेत दिया है कि हिलेरी ने लीबिया की राष्ट्रीय अस्थायी अंतरिम कमेटी के अधिकारी जिब्रिल से मुलाकात की।
सम्मेलन की समाप्ति के बाद सम्मेलन के अध्यक्ष और ब्रिटेन के विदेश मंत्री हेग ने नौ सूत्रीय वक्तव्य जारी किया । वक्तव्य में कहा गया है कि सम्मेलन के हिस्सेदार इस बात पर सहमत हुए हैं कि लीबिया की राजकीय प्रभुसत्ता , स्वाधीनता , प्रादेशिक अखंडता और राष्ट्रीय एकीकरण बनाये रखना चाहिये , साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ के संबंधित प्रस्तावों की भावना से सैन्य , लोजिस्टिक , धनराशि और मानवीय सहायता आदि माध्यमों के जरिये लीबियाई जनता को सहायता दी जाए । वक्तव्य में कहा गया है कि लीबियाई नेता गद्दाफी सत्ता संभालने की वैधता से वंचित हुए हैं , लीबियाई जनता को अपना भविष्य तय करने और राजनीतिक प्रक्रिया शुरु करने का अधिकार होना चाहिये । सम्मेलन में लीबिया सम्पर्क दल की स्थापना का निर्णय लिया गया है , ताकि वह संबंधित लीबियाई अंतर्राष्ट्रीय कार्यवाही को समन्वित करने और लीबिया के विभिन्न पक्षों के साथ सम्पर्क बनाने का दायित्व निभा सके । इस तंत्र का प्रथम सम्मेलन कतार में होगा । कतार के प्रधान मंत्री व विदेश मंत्री थानी ने कहा कि अरब देशों को आशा है कि लीबियाई परिस्थिति शीघ्र ही सामान्य होगी , लीबियाई जनता को अपने भविष्य का फैसला करने दिया जायेगा ।
लीबिया के दोनों युद्धक पक्षों की निगाहें भी इसी सम्मेलन पर टिकी हुई हैं। लीबिया के नेता गद्दाफी ने सम्मेलन के हिस्सेदारों के नाम भेजे पत्र में मांग की है कि लीबिया में दखल देने की दुष्ट कार्यवाहियां बंद की जाएं । जबकि लीबिया के विद्रोहियों के प्रवक्ता अब्दुमोलाह ने कहा कि सम्मेलन को मानव जाति विरोधी अपराध में गद्दाफी को सजा देने का फैसला सुनाना चाहिये । सम्मेलन में उपस्थित राष्ट्रीय अस्थायी अंतरिम कमेटी के प्रतिनिधि मंडल ने अपने एक वक्तव्य में कहा कि गद्दाफी के गैर कानूनी शासन का तखता उलटने के बाद जनमत के अनुसार संविधान बनाया जायेगा , आम चुनाव किया जाय़ेगा और निर्वाचित सरकार का शांतिपूर्ण हस्तातंरण पूरा किया जायेगा । लोकमत के अनुसार अरब लीग ने सम्मेलन में भाग लेने के लिये अपने महा सचिव के बजाये मात्र एक राजदूत स्तरीय अधिकारी भेजा है , इस से जाहिर है कि अरब लीग लीबिया के खिलाफ हवाई सैन्य अभियान पर शंकित है ।