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जनवादी सुधार से तिब्बती जनता का नया जीवन
2011-03-28 18:06:11

श्रोता दोस्तो , आज यानि 28 मार्च को तिब्बत में लाखों तिब्बती भूदासों का तीसरा मुक्ति स्मृति दिवस मनाया गया। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के अध्यक्ष पादमा त्रिनले ने कहा कि पिछले पांच साल में तिब्बत ने जन जीवन की गारंटी और सुधार को सरकारी कार्य में प्राथमिकता पर रखा है और सामाजिक कल्याण , यातायात और शिक्षा आदि क्षेत्रों में ज्यादा पूंजी लगायी है, जिस से तिब्बती जनता की जीवन गुणवत्ता व स्तर सुधरा है । 

ल्हासा शहर के चाइ कुंग थांग टाऊन शिप में रहने वाले बुजुर्ग पासांग के लिये सब से बड़ी सुखद बात यह है कि उन्हें हर माह साठ य्वान की पेंशन मिलती है । उन का कहना है मैं बूढ़ा हो गया हूं , खेतीबाड़ी करने में असमर्थ हूं , बच्चों पर आश्रित रह कर दिन काटता हूं , सामान्य पारिवारिक जीवन संभालना काफी कठिन है। क्या जाने सरकार ने हमारा ख्याल रखकर पेंशन दे दी है । अब मेरा जीवन बड़ा सुखी हो गया है ।

वर्तमान में तिब्बत में मूल रुप से पेंशन बीमा , चिकित्सा बीमा और बेरोजगारी बीमा का एकीकृत रुप से प्रबंध किया जाता है और सामाजिक बीमा व्यवस्था बुनियादी तौर पर स्थापित हो गयी है । आइंदे तिब्बत सामाजिक बीमा व्यवस्था को और संपूर्ण बनाएगा ।

दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में असुविधापूर्ण यातायात के मद्देनजर चालू वर्ष में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने विशेष तौर पर नीति निर्धारित कर कांऊटियों व टाऊनशिपों की यात्री बसों को एक हजार चार सौ य्वान का मासिक भत्ता देने का निर्णय भी किया है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के यातायात ब्यूरो के उप प्रधान सोनाम चोस्पल ने इस का परिचय देते हुए कहा 12वीं पंच वर्षीय योजना के दौरान वर्तमान 40 प्रतिशत गांवों को बढ़ाकर 60 प्रतिशत गांवों में यात्री बस सेवा उपलब्ध करायी जाएगी और सौ प्रतिशत ग्रामीण मार्गों का पक्का किया जाएगा , ताकि स्थानीय किसानों व चरवाहों की यात्रा जरुरतों को पूरा किया जा सके ।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश शिक्षा को भी बड़ा महत्व देता है , स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने यह फैसला किया है कि चालू वर्ष से नौ वर्षीय अनिवार्य शिक्षा नीति का विस्तार किया जाएगा ।अब हरेक छात्र को साल में दो हजार य्वान का भत्ता मिलता है । जब ल्हासा मीडिल स्कूल ने सभी टीचरों व छात्रों के सम्मुख इस नयी नीति की घोषणा की , तो इस हाई स्कूल की पहली क्लास की छात्रा पादमा चोड्रोन इस से अत्यंत प्रभावित हुई । उसे ने कहा  यह खबर सुनकर मुझे बड़ी खुशी हुई , अब इतनी ज्यादा फीस देने की जरूरत नहीं है , मेरे पापा का बोझ भी थोड़ा बहुत हल्का हो गया है । यह हमारे किसानों के बेटे बेटी के लिये सचमुच एक अच्छी बात है ।

ल्हासा मीडिल स्कूल के प्रधान थांग त्से ह्वी ने कहा कि नयी नीति के निर्धारण से गरीब परिवारों के बच्चों की स्कूली कठिनाइयों को दूर किया गया है । एक छात्र को साल में करीब दो हजार य्वान का भत्ता भी मिलता है । इस से बच्चों पर दबाव कम हो सकता है । बाद में किसानों व चरवाहों के स्कूली बच्चों की चादरों व बिस्तरों समेत आवश्यक दैनिक वस्तुएं सरकार संभालती है , जिस से इन छात्रों में और लगन से सीखने का उत्साह बढ़ गया है और गरीबी के कारण पढ़ाई छोड़ने की समस्य़ा भी दूर हो गयी है ।

28 मार्च 1959 को चीन की केंद्रीय सरकार ने जब तिब्बत में जनवादी सुधार लागू करने की घोषणा की है , तो तिब्बत में लागू हजार वर्षीय सामंती भूदास व्यवस्था समाप्त हो गयी और लाखों तिब्बती भूदासों व दासों को नया जीवन मिला है । पिछले 52 सालों में तिब्बत के विकास का जोर हमेशा तिब्बती जनता की राजनीतिक स्वायत्तता , सामाजिक व आर्थिक विकास के अधिकार , सांस्कृतिक विकास के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के विश्वास के अधिकार पर दिया जा रहा है ।

1965 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना के बाद केंद्रीय सरकार द्वारा तिब्बत में स्वायत्त व्यवस्था लागू कर तिब्बती जनता को अपने क्षेत्रीय मामलों का स्वतंत्र रूप से निपटारा करने का अधिकार प्राप्त हो गया है । तिब्बती जनता ने लोकतांत्रिक चुनाव के जरिये जन प्रतिनिधि निर्वाचित किये , फिर ये प्रतिनिधि विभिन्न स्तरीय जन प्रतिनिधि सभा के जरिये राजकीय व स्थानीय मामलों के निपटारे में भाग लेते हैं । वर्तमान तिब्बत में कुल 34 हजार प्रतिनिधियों में तिब्बतियों और अन्य अल्पसंख्यक जातियों की संख्या 94 प्रतिशत से अधिक है ।

इधर दस सालों में प्रति तिब्बती किसान व चरवाह की औसत शुद्ध आय बढ़कर 12 प्रतिशत हो गयी है । जनजीवन और चिकित्सा में हुए सुधार की वजह से तिब्बतियों की औसत आयु भी बढ़कर 67 हो गयी है , जो 50 साल पहले से एक गुना अधिक है ।

अब तिब्बत में धार्मिक विश्वास और अधिक स्वतंत्र हो गया है । बहुत ज्यादा तिब्बती किसानों व चरवाहों के घरों में आले खड़े हुए हैं , वे अपनी मर्जी से धर्म पर विश्वास कर सकते हैं । अब तिब्बत में कुल एक हजार सात सौ से अधिक तिब्बती बौद्ध धार्मिक गतिविधियों के अखाडे हैं , 46 हजार भिक्षु व भिक्षुणियां हैं । इस के अलावा चार मस्जिदें और तीन हजार से अधिक मुस्लिम भी हैं । चर्च भी हैं । तिब्बत में विभिन्न धार्मिक गतिविधियां सामान्य रुप से चलायी जाती हैं और धार्मिक विश्वासों को सम्मान मिल रहा है । विश्वास है कि तिब्बत का कल और उज्ज्वल होकर रहेगा ।

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