स्थानीय समय के अनुसार 23 मार्च को रात, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका आदि पश्चिमी देशों ने लीबिया पर हवाई हमला जारी रखा, जिस से बड़ी जानी हताहती हुई। पश्चिमी देशों ने अपने मौजूदा हमले का कारण यों बताया है कि लीबिया में बड़े पैमाने पर मानवीय आपदा उत्पन्न हुई है। लेकिन असलियत यह है कि इतने बड़े पैमाने, इतने व्यापक इलाके पर किये जा रहे हवाई हमलों से भारी जानी माली क्षति पहुंची है, जो उन के कथित मानवीय लक्ष्य से कहीं अधिक दूर साबित हुई है। विश्लेषकों का कहना है कि पश्चिमी देशों ने मानवता के नाम पर जो फौजी कार्यवाही शुरू की है, वह राजनीतिक विचारधारा तथा आर्थिक हितों से प्रेरित हुई है।
चीनी समाज विज्ञान अकादमी के पश्चिमी एशिया व अफ्रीका अनुसंधा संस्थान के शोधकर्ता चांग युङफङ ने कहाः
पश्चिमी देशों की नजर में गद्दाफी सरकार एक तानाशाही सत्ता है। लोखर्बिय विमान दुर्घटना तथा तेल संसाधन के बंटवारे पर गद्दाफी हमेशा पश्चिमी देशों के विपरीत खड़े रहे हैं। अपना कड़ा रूख होने के कारण गद्दाफी पश्चिमी देशों की आंखों का कांटा बन गए। कुछ समय पहले अफ्रीका में चेमेली क्रांति छिड़ी, इस से पश्चिमी देशों को गद्दाफी सत्ता का तख्ता पलटने का सुनहरा मौका नजर आया।
श्री चांग युङफङ ने कहा कि विचारधारा में मतभेद होने के कारण के अलावा आर्थिक स्वार्थ भी पश्चिमी देशों द्वारा फौजी हस्ताक्षेप किये जाने का एक मुख्य कारण है। लीबिया में तेल का समृद्ध भंडार है और भौगोलिक रूप से यह देश प्रमुख अन्तरराष्ट्रीय जल मार्ग यानी सुएज नहर के नजदीक है, जो ऊर्जा की कमी से परेशान हुए पश्चिमी देशों को प्रबलपूर्वक आकर्षित करता है। इस पर श्री चांग ने कहाः
फ्रांस, अमेरिका व इटाली आदि देशों का तेल को लेकर लीबिया से अहम रिश्ता है। लीबिया से रोज बड़ी तादाद में तेल यूरोपीय देशों को निर्यात किया जाता है, इसी तेल सवाल से पश्चिमी देशों को फौजी हस्ताक्षेप करने के लिए प्रेरणा मिली है।
इन दो कारणों से प्रेरित होकर पश्चिमी देशों की गठबंधन सेना ने स्टेल्थ बमबारों, पनडुब्बियों और विमान वाहक जहाजों सहित भारी हथियारों से लीबिया पर हमले बोले। य़ूरोपीय देशों की तुलना में मौजूदा हमलों में अमेरिका ने थोड़ी सावधानी बरती है, उस ने अनेक बार दावा किया कि वह लीबिया में थल सेना नहीं भेजेगा और सिर्फ सीमित फौजी कार्यवाही में भाग ले रहा है। इस पर श्री चांग ने कहा कि इस का यह अर्थ नहीं है कि मौजूदा फौजी कार्यवाही का अमेरिका के हितों से नहीं जुड़ा है, अमेरिका का मकसद इतना ही है कि वह अरब दुनिया को अधिक टक्कर देना नहीं चाहता। श्री चांग युङफङ ने कहाः
अमेरिका ने क्रमशः खाड़ी युद्ध, इराक युद्ध और अफगानिस्तान युद्ध छेड़े थे, जिस की वजह से वह अरब दुनिया में बहुत बदनाम हो गया है। सत्ता पर आने के बाद बराक ओबामा ने अरब दुनिया के साथ संबंधों को सुधारने की बड़ी कोशिश की। मिस्र की अपनी यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने सुलह का बयान दिया और अरब देशों के साथ संबंधों को सुधारने की इच्छा प्रकट की। इसलिए मौजूदा फौजी कार्यवाही में वो नेतृत्व की भूमिका से बचने की कोशिश करते हैं ताकि अरब दुनिया फिर क्रूद्ध न हो उठे।
तथ्य तो यह है कि किसी भी फौजी हमले से नकारात्मक परिणाम नहीं निकलना असंभव है। इराक युद्ध और अफगानिस्तान युद्ध की वजह से ये दोनों देश गृहयुद्ध की चपेट में फंसे, इस के मद्देनजर अन्तरराष्ट्रीय समाज को चिंता है कि कहीं लीबिया में भी इसी प्रकार की स्थिति पैदा न हो। इन दिनों, अन्तरराष्ट्रीय समाज में युद्ध का विरोध करने की आवाज लगातार बढ़ती जा रही है। अफ्रीका संघ ने शांति के तरीके से लीबिया संकट का समाधान करने की अपील की, रूस ने अपने वक्तव्य में कहा कि लीबिया संकट को दूर करने के लिए समन्वय का तरीका अपनाना चाहिए और चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता सुश्री च्यांग यु ने कहा कि चीन वार्ता जैसे शांतिपूर्ण तरीके से वर्तमान लीबिय़ा संकट का समाधान करने के पक्ष में है और लीबिया का भविष्य लीबियाई जनता द्वारा स्वयं तय किया जाना चाहिए।