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लीबिया पर हवाई हमले जारी, अन्तरराष्ट्रीय समाज में चिंता बढ़ी
2011-03-22 16:31:29

पश्चिमी देशों की गठबंधन सेना ने 21 मार्च को लीबिया पर हवाई हमले जारी रखे, इस पर अन्तरराष्ट्रीय समाज में चिंता अधिक बढ़ी।

इन दिनों, पश्चिमी देशों की गठबंधन सेना ने लीबिया की राजधानी त्रिपोली और उस के अन्य इलाकों के प्रतिरक्षा प्रतिष्ठानों पर लगातार हवाई हमले बोले। लीबिया की मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक लीबिया के विमान भेदी व्यवस्था को भारी क्षति पहुंची है। लीबिया के नेता कर्नल गद्दाफी की थल सेना ने सरकार विरोधी सशस्त्र शक्ति के गढ बेनगाजी पर अपनी चढ़ाई बन्द कर दी और बेनगाजी पर कब्जा करने की उन की योजना विफल हो रही है। 21 मार्च के दिन, लीबिया के विभिन्न स्थानों में थोड़ी शांति रही, लेकिन रात आने पर राजधानी त्रिपोली के दक्षिण में फिर जबरदस्त धमाके सुनाई पड़े, इस के तुरंत बाद विमान भेदी तोपों के गर्जन उठे। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि त्रिपोली के पश्चिम में 30 किलोमीटर दूर एक सैनिक कैम्प पर बमबारी की गयी है।

अमेरिकी सेना ने कहा कि गठबंधन सेना ने उसी दिन सत्तरह अस्सी लड़ाकू विमान भेजे थे, जिन में अमेरिकी लड़ाकू विमानों की संख्या आधे से अधिक थी। कई दिनों के हमलों से जाहिर है कि लीबिया की रक्षा टुकड़ी ने विमान भेदी तोपों से त्रिपोली के प्रादेशिक आकाश की रक्षा करने की कोशिश की थी, पर कोई खास कामयाबी नहीं हासिल हुई। गद्दाफी के आवासीय परिसर के पास कुछ मकान ध्वस्त हो गए, जिन में लीबियाई सशस्त्र शक्ति का कमान और कंट्रोल केन्द्र शामिल है।

ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका और इटाली के अलावा डैन्मार्क, कनाडा के साथ कतर व संयुक्त अरब अमीरात दो अरबी देशों ने भी लीबिया के खिलाफ फौजी कार्यवाही में भाग लेने का ऐलान किया। पश्चिमी देशों की गठबंधन सेना लीबिया में उड़ान वर्जित इलाके की स्थापना के लिए कार्रवाई कर रही है जिस में तालमेल का काम अमेरिका संभालता है। किन्तु अब अन्तरराष्ट्रीय समाज में यह चिंता जोर पकड़ रही है कि इन देशों की फौजी कार्यवाहियों से अधिकाधिक बेगुनाह आम लोगों की हताहती होगी। लोकमतों में यह चिंता है कि अखिरकार गठबंधन सेना की फौजी कार्यवाही किस स्तर पर पहुंचेगी और लीबिया की राजनीतिक स्थिति अंत में क्या हो सकेगी?

लीबिया पर पश्चिमी देशों की गठबंधन सेना की बमबारी का कुछ क्षेत्रीय संगठनों और देशों ने विरोध किया। अरब लीग के महा सचिन मूसा ने पश्चिमी देशों की आलोचना करते हुए कहा कि उन के फौजी हमले अरब देश समर्थित नो फ्लाई जोन की स्थापना के मकसद से आगे बढ़ गये है। मूसा ने कहा कि अरब लीग चाहता है कि उड़ान निषिद्ध क्षेत्र की स्थापना से आम लोगों की हमले से रक्षा की जाए, लेकिन अब लीबिया में हो रही कार्यवाही इस मकसद के विपरीत है, वहां और ज्यादा आम लोगों को हवाई हमले से नुकसान पहुंचा है। अफ्रीका संघ की लीबिया मामला कमेटी ने वक्तव्य जारी कर अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन आदि देशों से तुरंत सैनिक कार्यवाही बन्द करने की मांग की और अन्तरराष्ट्रीय समाज से भारी मानवीय हादसे को रोकने की कोशिश करने की अपील की । नाटो के भीतर भी 28 सदस्य देशों के बीच लीबिया पर फौजी हमले को लेकर गंभीर मतभेद हुए। जर्मनी और तुर्की ने फौजी हस्ताक्षेप का विरोध किया , ब्रिटेन और ग्रींस सरकार तो फौजी हमले की समर्थक है, किन्तु वहां के आम लोग इस का विरोध करते हैं।

वर्तमान में अमेरिका फौजी हमले के प्रति विभिन्न देशों के समर्थन की खोज कर रहा है, अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा की टीम ने इन दिनों अनेक अरबी देशों के नेताओं के साथ तेलीफोन पर संपर्क कायम किया और उन्हें समझाया कि उन की फौजी कार्यवाही का मकसद गद्दाफी को उस के देशवासियों पर प्रहार करने से रोकना है। अमेरिकी रक्षा मंत्री गेट्स ने 21 तारीख को रूस की यात्रा के दौरान रूस से कहा कि वह भी पश्चिमी देशों द्वारा लीबिया के विरूद्ध किए जा रहे हमलों में भाग ले। लेकिन उन्हों ने अपने साथ आए अमेरिकी पत्रकारों से कहा कि फौजी हमले को बढ़ाने से बहुत सी समस्याएं उभर सकेगी। उन की आशा है कि भावी कुछ दिनों में अमेरिका सैनिक कमांड का अधिकार अन्य पक्ष को सौंप देगा, जबकि अमेरिका ग़ठबंधन सेना के एक अंग के रूप में फौजी कार्रवाइयों में हिस्सा लेना जारी रखेगा, पर वह मुख्य शक्ति की हैसियत नहीं रखेगा। ब्रिटिश प्रधान मंत्री कैमरुन ने दावा किया कि वर्तमान हमलों से आम लोगों की हताहती नहीं हुई, लीबिया के खिलाफ फौजी कार्यवाही जारी रहेगी। किन्तु इराक युद्ध और अफगानिस्तान युद्ध से सबक लेते हुए अमेरिका और ब्रिटेन दोनों ने लीबिया में स्थल सेना नहीं भेजने को कहा है।

लोकमतों का कहना है कि पश्चिमी देशों ने आम लोगों की रक्षा के नाम पर लीबिया पर फौजी हमला बोलने का जो तर्क पेश किया है, वह स्पष्टतः कमजोर है, क्योंकि बल का प्रयोग करने से केवल लीबिया की राजनीतिक स्थिति को और गड़बड़ और जटिल बनाया जा सकेगा । फौजी हमलों में शरीक देशों को भी समझ आयी है कि अंधाधुंध फौजी कार्यवाहियों का विस्तार करने से बड़ा जोखिम उठेगा । अमेरिकी रक्षा मंत्री गेट्स ने कहा कि मध्य़ पूर्व देश लीबिया का लिभाजन नहीं चाहते और उन के मत में लीबिया का आंडरिक मुठभेड़ लीबियाइयों के द्वारा हल किया जाना चाहिए। विश्लेषकों का कहना है कि यदि पश्चिमी देशों का यह कथन मानें कि फौजी हमले का मकसद गद्दाफी का खात्मा करना नहीं है, तो लीबिया में अंत में क्या स्थिति पैदा होगी और लीबिया के विभिन्न दलों में संघर्ष का क्या अंत होगा, इस पर नजर रखना बाकी है।

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