श्रोता दोस्तो , अफगानिस्तान में तैनात अमरीकी सेना के कमांडर डेविड पेट्रेउस ने 15 मार्च को सीनेट की सैन्य कमेटी में अफगान युद्ध की प्रगति के बारे में गवाही देते हुए कहा कि अमरीकी सेना अफगानिस्तान में तालिबान के विस्तार को रोकने में सफल हुई है , पर आगे बढ़ने का रास्ता अभी भी मुश्किल है । इस से एक दिन पहले अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा ने ह्वाइट हाऊस में पेट्रेउस से भेंट की और अफगानिस्तान में अमरीकी सैनिकों में वृद्धि और अफगान प्रतिरक्षा कार्य के विधिवत स्थानांतरण आदि मामलों पर विचार विमर्श किया । विश्लेषकों का कहना है कि ओबामा ने चालू वर्ष की गर्मियों में अमरीकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी शुरु करने का वचन दिया है , पर अब यह समय निकट आने के साथ-साथ अमरीकी सेना की वापसी और वापसी के बाद अफगानिस्तान की घरेलू सुरक्षा परिस्थिति आदि सवालों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान केंद्रित हुआ है ।
पेट्रेउस ने 15 मार्च को कहा कि अमरीकी सेना ने विशेष टुकड़ियों के सहारे प्राप्त सूचना के आधार पर तालिबान के उच्च अधिकारियों पर ताबड़तोड़ हमले बोले और 90 दिनों के भीतर सशस्त्र संगठन के 360 सरगनाओं को मार डाला या गिरफ्तार कर लिया , जो इस संदर्भ में एक नया रिकार्ड है । इस के अलावा नाटो के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता टुकड़ियों ने अफगानिस्तानी सेना के साथ अभियान में तालिबान को अनेक गढ़ों से बाहर भगा दिया है । अब इन क्षेत्रों में व्यवस्था सामान्य होने लगी है ।
ऐसा होने पर भी पेट्रेउस ने यह माना कि प्राप्त यह प्रगति फिर भी काफी नाजुक है और इस के प्रतिकूल दिशा की ओर बदलने की संभावना भी है । उन के विचार में अमरीकी सेना अफगानिस्तान में फिर भी भारी खतरे का सामना कर रही है । पेट्रेउस ने कहा कि 2010 के उत्तरार्द्ध और 2011 के शुरु में प्राप्त इस प्रगति ने नाटो और अफगानिस्तान को विश्वास दिलाया है कि नाटो इस साल के वसंत से अनेक प्रांतों का सुरक्षा दायित्व अफगानिस्तान को सौंप देगा , इस से नाटो आगामी 2014 में सभी सुरक्षा दायित्व को अफगानिस्तान को सौपने में समर्थ होगा ।
इस से एक दिन पहले पेट्रेउस ने ह्वाइट हाउस में अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा और रक्षा मंत्री गेट्स के साथ अफगान युद्ध पर सैनिकों की वृद्धि नीति के प्रभाव और चालू वर्ष में अफगानिस्तान से अमरीकी सेना की वापसी पर विचार विमर्श किया । अमरीकी मीडिया ने अधिकृत सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि हटाये जाने वाले कई हजार अमरीकी सैनिक गैर फौजी लड़ाकू योद्धा नहीं हैं , वे आम दिनों में मुख्य तौर पर अमरीकी छावनियों व रनवे के निर्माण का जिम्मा संभाले हुए हैं । इस से जाहिर है कि अमरीका का सेना वापसी का कदम काफी सावधानी पूर्ण है ।
विश्लेषकों का मानना है कि अमरीका ने अफगानिस्तान से सेना वापसी पर जो सावधानी बरती है , उस का कारण है कि अफगानिस्तान की अंदरुनी सुरक्षा परिस्थिति में मूल प्रगति नहीं हुई है । वसंत आने के चलते तालिबान की सशस्त्र शक्तियां फिर एक बार सैनिकों का जमाव कर अमरीकी और वहां तैनात विदेशी टुकड़ियों पर वसंतकालीन अभियान शुरु करेंगी । 14 मार्च के दोपहर बाद उत्तर अफगानिस्तान स्थित कुंडुज़ प्रांत में राष्ट्रीय सेना के एक नये सैनिक ट्रेनिंग केंद्र के पास आत्मघाती विस्फोट हुआ , जिस से कम से कम 36 लोग मारे गये हैं और अन्य 40 लोग घायल हुए हैं।
पर अमरीकी सेना की वापसी के बाद अफगान सरकार परिस्थिति पर काबू पाने और अफगान सेना सुचारु रुप से प्रतिरक्षा कार्य संभालने में समक्ष है या नहीं , अब लोग इस बात को लेकर बेहद चिन्तित हैं । अफगान राष्ट्रपति करजाई ने इस से पहले कहा था कि हम 2014 में अफगान सुरक्षा दायित्व संभालने के लिये तैयारी कर रहे हैं । हम अफगान जनता और प्रादेशिक भूमि की रक्षा करेंगे । पर यह भी मानना पड़ेगा कि वर्तमान अफगान सरकार की प्रशासन क्षमता और सेना की युद्धक शक्ति काफी कमजोर है । लोग इस बात पर अत्यंत चिन्तित हैं कि कहीं वे अमरीकी सेना की वापसी के बाद सुरक्षा कार्य संभालने में सक्षम न हों ।
विश्लेषकों ने कहा कि ईराक की तुलना में अमरीकी सेना की वापसी के बाद अफगानिस्तान की स्थिति और अधिक जटिल होगी । यदि करजाई के नेतृत्व में अफगान सरकार अमरीकी सेना की वापसी के बाद अंदरुनी परिस्थिति को काबू में नहीं ला पायेगी , तो अफगानिस्तान की अंदरुनी परिस्थिति अवश्य ही और गम्भीर होगी ।