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चीन की मशहूर कवयित्री फू थिए लिन
2011-03-07 15:24:13

सुश्री फू थिए लिन चीन की एक मशहूर कवयित्री है। पिछले साल फू थिए लिन व उन की कविता《नींबू के पत्ते》को चीन का पांचवां लूशुन साहित्य पुरस्कार मिला। फू थिए लिन चीन के स्छवान प्रांत के छुंगछिंग शहर में रहती हैं और उन की उम्र 50 से भी अधिक है। उन के दोस्तों ने कहा कि फू थिए लिन यह पुरस्कार पाने लायक है। लूशुन साहित्य पुरस्कार की आयोजन समिति का मूल्यांकन है कि फू थिए लिन की कविता वास्तविकता के बारे में चिंता व्यक्त करती है, जीवन के मूल्यों पर विचार करती है। इस कविता की भावनाएँ गंभीर और उदार हैं और इस की भाषा सुंदर और सरल है।

सुश्री फू थिए लिन एक शांतिपूर्ण महिला हैं। वर्ष 1961 में छुंगछिंग बिजली तकनीक विद्यालय में स्नातक होने के बाद उन्होंने खेत में फल उगाना शुरू किया। उस समय उन की उम्र सिर्फ 15 साल थी। फल उगाने का काम बड़ा उबाऊ काम है। इसलिए सारे दिन का काम समाप्त करने के बाद मैदान में प्रचार टीम के प्रदर्शन कार्यक्रम देखना ही फू थिए लिन के लिए मनोरंजन करना था। उसी समय से कविता के प्रति उन की रुचि बढ़ी । मैदान में फल उगाने का जीवन उन की कविता का मुख्य विषय बन गया है। उन की पहली कविता का शीर्षक है मैदान में कुदाल चलाना ।

उन्होंने कहा कि उस समय मेरी उम्र 16 वर्ष की थी और स्कूल में मैंने शिक्षा नहीं पाई थी। इसलिए पहले मैंने अपने विचार के जरिए ही कविता लिखी। मेरी पहली कविता ऐसी है कि दोस्तों की कुदाल मत ले जाओ, दोस्तो का सपना न जागे, धीरे-धीरे दरवाजे को धक्का दो और रात में प्रवेश करो।

लगभग 50 साल बाद एक बार फिर यह कविता पढकर फू थिए लिन ने कहा कि वास्तव में यह एक कविता नहीं है, लेकिन इस कविता का विषय मेरे मैदान का वास्तविक जीवन है। मैदान में काम करते समय फू थिए लिन का स्वास्थ्य खराब हो गया था और उन्हें अक्सर तेज बुखार आने लगा था। इसलिए उन्हें हर महीने 4 या 5 बार अस्पताल जाना पड़ता। इस वजह से नेता ने उन्हें मैदान के रेडियो स्टेशन पर काम दिया। अपना निजी समय बढने के कारण उन्होंने अक्सर कविता लिखने का अभ्यास करना शुरु किया और धीरे-धीरे इस में उन्हें प्रगति मिली। उन्होंने कहा कि ज्यादा कविताएं लिखकर कुछ अनुभव मिले हैं। हालांकि उस समय की कविता का विषय आसान था, लेकिन इन कविताओं की शैली मैदान व किसान के बारे में है। उस समय लोगों ने उन्हें मैदान की कवयित्री के रुप में जानना शुरु किया। मैदान में काम करने के 19 सालों में उन्होंने सौ कविताएं लिखीं और बाद में उन्होंने उन कविताओं का एक साथ परिष्करण करके अपनी पहली कविता पुस्तक प्रकाशित की।

पिछली शताब्दी के आठवें दशक की शुरूआत में फू थिए लिन ने मैदान का काम खत्म करके छुंगछिंग शहर के बेई पे सांस्कृतिक केंद्र पर काम करना शुरू किया। अपना नए जीवन शुरू होने के साथ-साथ उन्होंने कविता लिखने की नयी प्रेरणा ढूंढनी भी शुरू की। कविता के विषयों की चिन्ता हुई तो उन्होंने पाया कि वास्तव में सबसे कीमती संसाधन तो उस के पास ही हैं, उन का अपना बेटा और बेटी ।

उन्होंने कहा कि एक बार मैंने शहर में सभा में भाग लिया, रात को 12 बजे घर वापिस जाते समय मैंने देखा कि मेरा बेटा और बेटी बस स्टेशन पर मेरा इन्तजार कर रहे हैं। और वे दोनों बहुत खुश हैं क्योंकि मां घर वापस जा रही है। बच्चों ने मुझे बताया कि उन्होंने अपने कपड़े खुद धो लिए और काम भी खत्म कर लिया है। उस समय मैं बहुत प्रभावित हुई और मुझे लगा है वे दोनों मेरी कविता का विषय हैं। इसलिए बाद में मैंने दोनों बच्चों के साथ जीवन बिताने के विषय को अपनी दूसरे कविता पुस्तक में शामिल करके उस का प्रकाशन किया।

शहर के सांस्कृतिक केंद्र में काम करने के दो साल बाद फू थिए लिन को फिर छुंगछिंग शहर की प्रेस में काम करने का मौका मिला। प्रेस में उन्हें जीवन का अनुभव करने के और ज्यादे मौके भी मिले। वे अक्सर चीन की भिन्न-भिन्न जगहों पर घूमती हैं और विदेश यात्रा भी करती हैं। इसलिए उनकी दृष्टि और व्यापक हुई है। नए अनुभव के साथ-साथ उन्होंने जीवन की और गहरी धारणा हासिल की है।

उन्होंने कहा कि उत्तरी चीन के जंलग और पश्चिम चीन के गोबी रेगिस्तान की यात्रा करने के बाद उन्हें मालूम हुआ कि विभिन्न जगहों के दृश्य रंग बिरंगें हैं। विशेषकर हमारे यहां के पेड़ों की शाखाओं और पत्तियों के रंग हरे हैं और गोबी रेगिस्तान में पेड़ तेज़ हवा के कारण झुक जाते हैं। लेकिन उन पेड़ों में जीवन शक्ति इतनी अधिक है, कि तेज़ हवा में भी वे अच्छी तरह तन कर खड़े हैं। उस समय मैंने सोचा कि दुनिया में कुछ लोगों का जीवन आसान नहीं है, पहले मुझे लगता था कि मेरे मैदान के जीवन में अनेक कठिनाईयां हैं, लेकिन गोबी रेगिस्तान जाने के बाद मुझे लगता है हर व्यक्ति जीवन में आने वाली कठिनाईयां दूर कर सकता है।

फू थिए लिन अपनी पूरी कोशिश और मन से कविता लिखती है। दशकों से वे इस नियम का पालन करती आ रही हैं। 《हरित नोट》, 《बच्चों और दुनिया के बीच》,《संगीत द्वीप》,《स्ट्रॉबेरी》आदि उन के मशहूर कविता संग्रह हैं। 《हरित नोट》को वर्ष 1983 का राष्ट्रीय पहला श्रेष्ठ कविता पुस्तक पुरस्कार मिला और《फू थिए लिन की कविता》को वर्ष 2003 का राष्ट्रीय महिला साहित्य पुरस्कार मिला।

उन्होंने कहा कि मेरे लिए कविता लिखना अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक तरीका है। हालांकि शुरूआत में मेरी कविता बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन मेरे विचार में यह मेरा सही शौक है। इसलिए दशकों की कोशिश से मैं कविता लिखना लिखती आ रही हूं और इसी वजह से हमेशा से इस शौक पर कायम हूं। कविता में मैं हर बात कह सकती हूं।

कुछ साल पहले फू थिए लिन दादी बनी और उन्होंने अपनी बेटी के बच्चे की देखभाल की। इसलिए तीन साल उन्होंने कविता नहीं लिखी। तीन साल बाद उन्होंने अपनी पोती के बड़े होने की याद करने के लिए एक विशेष कविता पुस्तक लिखी। इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद उन की नई कविताओं की लोगों ने खूब प्रशंसा की।

उन्होंने कहा कि हालांकि 3 साल में मैंने कविता नहीं लिखी, लेकिन मेरी पोती के बाल नर्सरी में प्रवेश करने के बाद मैंने एकदम कविता लिखना शुरू कर दी। मैंने सोचा कि मेरी पोती इतनी सुन्दर है और उस के साथ का जीवन इतना खुशनुमा है, मुझे उस के लिए एक कविता पुस्तक लिखनी पड़ेगी।

फू थिए लिन की कविताएं भावनापूर्ण हैं और लोगों को बहुत पसंद हैं। जैसाकि छोटी नदी में पानी बह रहा है।

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