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रंगीन फूलदार लालटेन की कहानी
2011-02-21 11:00:22

इस साल के 3 फरवरी को चीन के परंपरागत त्योहार वसंत त्योहार है, इस त्योहार मनाने के लिए हर जगहों का कस्टम भिन्न भिन्न है।

रंगीन फूलदार लालटेन जिसे चीनी भाषा में हवा तंग कहा जाता है , चीन में उसका इतिहास 1800 पुराना है, इसे चीनी लोगों के परम्परागत त्यौहारों की खुशी के मौके पर सजावट के लिए विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है। रंगीन फूलदार लालटेन को आम तौर पर दरवाजे के आगे लटकाया जाता है जो त्यौहार की धूम मचाने व उसकी सुन्दरता को निखारने का एक अनिवार्य साधन है, रात में इस रंगीन लालटेन से निकलती रोशनी व अनेक सौन्दर्य रंगो से निर्मित व सुसज्जित रंग बिरंगी लालटेन , त्यौहारों में अपनी अनोखी व मनमोहक झलक व कला से त्यौहारों की रात में चार चांद लगाती है, इस का मनमोहक रूप जो केवल पुराने जमाने में महलों में सजाया जाता था, आज वही रंगीन वृहदाकार व सुन्दर लालटेन आम लोगों के घर में लटकाया जाता है, इस लिए उसकी अदभुत्ता लोगों के मन में खुशी की लहर को उभारती है और दिल की प्रसन्नता को जगाती है। यही कारण है कि इसे राष्ट्र स्तरीय सांस्कृतिक विरासत के रूप में सुरक्षित किया जा रहा है।

पूर्वी पेइचिंग के फिंगकू जिला के सीकू गांव में लगभग 2000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाला एक रंगीन फूलदार लालटेन निर्मित करने वाला क्षेत्र है और पेइचिंग रंगीन लालटेन विरासत के वारिस ली बांग हवा का कार्यालय भी इसी जगह में स्थित हैं। श्री ली बांग हवा ने कहा कि कई पीढ़ियों के हाथों से निर्मित होने वाली पेइचिंग रंगीन लालटेन की कला, आज भी उतनी ही कड़ी तकनीक व बढ़िया सामग्रियों तथा विविधता कला की उच्च कोटि में वैसी ही बनी हुई हैं। उन्होने हमें बताया

पेइचिंग छह राजवंशो की राजधानी रह चुकी है, हर राजवंश में बहुत से इस कला के माहिर कलाकार हर जमाने की कौशलता की विशेषता से अपने समय की अदभुत रंगीन लालटेन निर्मित करती आयी हैं, जिसकी सुन्दरता व मनमोहकता वाकई ही लाजवाब है। लालटेन की कला महल में सुसज्जित लालटेन कला से शतप्रतिशत मेल रखती है, इस तरह उसकी कला व निर्मित तकनीक व इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियां की मांग बहुत ही ऊंची होती है।

इस साल 60 वर्षीय श्री ली बांग हवा कला परिवार में पले बढ़े हुए हैं, बचपन से ही पेन्टिग कला व परम्परागत कलाओं पर उनकी विशेष रूचि रही। बाद में उन्होने नए चीन की स्थापना के समय थ्येनआनमन में सुसज्जित बृहद लाल लालटेन के निर्माता कलाकार ली तुंग सुए को अपना गुरू अपनाया। और तब से वह पूरी लगन से पेइचिंग की रंगीन लालटेन की निर्मित कला का अध्ययन करने लगे, बीसेक वर्षों में श्री ली बांग हवा और उनके साथियों ने पेइचिंग रंगीन लालटेन की परम्परागत कला के नाम को रोशन किया और उसे नयी पीढ़ी तक पहुंचाने में सफल रहे। इस पर उन्होने दसेक पेशावर शिष्यों को अपनाया और इस के साथ नजदीक गांव के 100 से अधिक किसान परिवारों को इस कला के माध्यम से रोजगार दिलाने में मदद भी दी।

श्री ली बांग हवा के नेतृत्ववाला दल दसेक रंगबिरंगी खूबसूरत लालटेन निर्मित करने में माहिर है, उन्होने जो विविध रंगीन लालटेन बनायी हैं पूरी तरह परम्परागत शैली तरीके व हाथों से निर्मित की गयी है । विशेषकर जन्तुओं के आकार वाले रंगीन लालटेन के मुख्य स्तंभ को पशुओं की गतिविधियों के नियमों के आधार पर तैयार की गयी है,यहां तक उनके चलने व उनके शरीर के अंगो को इतनी अच्छी तरह सजाया है कि जैसे लगता है वे चमकती लालटेन नहीं बल्कि एक जीते जागते जन्तु ही हों।

श्री ली बांग हवा ने जानकारी देते हुए कहा कि सौ पक्षी पंख फैलाने वाली रंगीन लालटेन बनाने के लिए उन्होने लालटेन को जोड़ने वाली कई हजारें गांठ बांधी हैं, और तो और शिल्पकला इतनी बारीक और क्वालिटी इतनी सुन्दर है कि वे पेइचिंग रंगीन लालटेन के पीढी़ दर पीढ़ी के कलाकारों की माहिरता की कला को पूरी तरह प्रदर्शित करती हैं। इन लालटेन में पिछली शताब्दी के 80 वाले दशक में निर्मित ड्रेगन बोट नाम के लालटेन का जिक्र करते हुए वह फूले न समाते हैं। उन्होने कहा

मैंने ड्रेगन बोट लाल टेन का डिजाइन इस लिए किया था कि उस समय हमारे देश में आर्थिक सुधार व खुलेपन नीति लागू होने लगी थी, पूरे देश में राष्ट्र निर्माण की सरगर्मी भरी हुई थी, जो एक प्रफुल्लित ड्रेगन की तरह थी और पूरे देश की राष्ट्रीय भावना को दर्शा रही थी। इस लालटेन की लम्बाई 2.6 मीटर, ऊंचाई 1.5 मीटर थी, मैने लालटेन को ड्रेगन बोट के रूप में सजाया था, इस में बिजली की जरूरत नहीं , मोमबत्ती से इस में रोशनी पैदा की जा सकती है, जब लालटेन रोशनी के साथ घूमती है तो लालटेन के नीचे लटकी रेशमी धागें व अन्य खूबसूरत आकार तथा उसका आलीशान रूप लालटेन की सौदर्यता में चार चांद लगाते हैं।

फिलहाल पेइचिंग रंगीन लालटेन में पशु की रूपरेखा लालटेन की सजावट के विषय ही नहीं रह गए हैं, फूल व अन्य शैलियां भी इस में इस्तेमाल की जाने लगी है। पिछले साल के नए चीन की 60वीं वर्षगांठ के मौके पर श्री ली बांग हवा ने अपने शिष्यों के साथ चीन की 56 जातियों की एकता से बनी सौ पक्षी एक डाली में नाम का रंगीन लालटन बनाकर देश की समृद्धि व विकास का गुणगान किया, चीन के तेज विकास से जनता को खुशहाली मिलने के विषय से तैयार शुभ-खुशहाली साल नाम की लालटेन तथा त्यौहारों व मिलन की खुशियों का वर्णन करने वाली खुशी से भरा जीवन नाम की लालटेन ने श्री ली बांग हवा और उनके शिष्यों की कला माहिरता को एक नयी मंजिल तक पहुंचा दिया है और इस पर उन्हे उनकी माहिरता पर कला पुरूस्कार से सम्मानित भी किया गया।

इस सफलता की जिक्र करते हुए श्री ली बांग हवा ने कहा

पेइचिंग रंगीन लालटेन का वारिस होने के नाते , मेरा कर्तव्य है कि इस अदभुत कला की तकनीक को आगे आने वाली पीढ़ी तक पहुंचायी जा सके। मेरी उम्र जितनी बढ़ती जा रही है उतना ही अपने कर्तव्य को निभाने की ख्याइश भी बढ़ती जा रही है, ताकि यह परम्परागत कला कहीं लुप्त न हो जाए। निसंदेह पेइचिंग रंगीन लालटेन तकनीक कला हमारे अनेक पीढ़ी के कलाकारों यहां तक की दसेक पीढ़ियों की कला है, जिसे हमें नयी पीढ़ी तक गुम नहीं होने दिया जाना चाहिए। मेरे दिल की जिम्मेदारी मुझे इस कला को नयी पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रेरित करती आयी है, क्योंकि पेइचिंग रंगीन लालटेन कला की चमक ही हमारे भविष्य की चमकते भविष्य की झलक है।

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