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चीन की परंपरागत संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने वाले एस्पेरांतो भाषा के विद्वान ल्यो बाओ क्वो
2011-02-14 11:05:30

चीनी संस्कृति 5 हजार साल पुरानी है और विश्व संस्कृति व इतिहास में कभी नहीं मिटती है और इसका विकास दिन-प्रदिन आगे बढता जा रहा है। लेकिन दुनिया में चीनी संस्कृति को एक सरल व उचित तरीके से प्रदर्शित करना चीन के सांस्कृति कर्मियों का समान लक्ष्य है। दुनिया के सामने चीन की संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने में कुछ सांस्कृतिक कर्मियों के पास विशेष उपाय हैं। एस्पेरांतो भाषा के विद्वान ल्यो बाओ क्वो असामान्य तरीके से चीन की परंपरागत संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।

ल्यो बाओ क्वो ने कहा कि मेरी पोलैंड यात्रा के दौरान एक बात पर मुझे आश्चर्य हो रहा है कि पोलैंड के कई दोस्तों ने मुझे बताया कि पिछली पीढ़ी में वे चीनी लोग थे। अगर सिर्फ एक व्यक्ति ने मुझे ऐसा बताया, तो मुझे लगता है कि वह चीन के प्रति मैत्रीपूर्ण भावना प्रकट करता है। लेकिन वास्तव में एक दर्जन लोगों ने मुझे ऐसा बताया था कि उन्हें विश्वास है कि सदियों पहले वे चीनी लोग थे। मेरे विचार है कि यह चीन के बौद्ध विचार के प्रचार-प्रसार का प्रदर्शन है।

ल्यो बाओ क्वो ने अक्सर लोगों को बताया कि अब चीन की कई तरह की परंपरागत संस्कृति के विचार पश्चिमी दुनिया के विचार से जुड़े रहे हैं। वे चीन की परंपरागत संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए पूरी कोशिश करते रहे हैं।

अब ल्यो बाओ क्वो उत्तरी चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश के बौथो शहर के थिए चा बिंग मध्य विद्यालय व भीरती मंगोलिया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में एस्पेरांतो भाषा सिखाते हैं। इस तरीके से वे दुनिया के विभिन्न देशों में चीनी संस्कृति को पसंद करने वालों के साथ संपर्क करते हैं और वेइबसाइट पर वे अक्सर विभिन्न देशों के नेटीजनों के साथ एस्पेरांतो भाषा से संबंधित हर परकार के सवालों पर विचार-विमर्श करते हैं और चीन की परंपरागत संस्कृति का प्रचार-प्रसार भी करते हैं। इसलिए अधिकाधिक विदेशी दोस्त उन्हें चीनी संस्कृति के प्रवक्ता के रुप में मनाते हैं और अक्सर उनके साथ चीन के मशहूर सांस्कृतिक जगतों व दर्शनीय स्थलों की यात्रा करते हैं। ल्यो बाओ क्वो ने कहा कि एक बार मैंने अंतर्राष्ट्रीय एस्पेरांतो भाषा संघ के पूर्व उपाध्यक्ष रोमान दोबजेनस्की के साथ चीन के मशहूर पहाड़ यानी च्यो ह्वा शान पहाड़ की यात्रा की। च्यो ह्वा शान पहाड़ के सुन्दर दृश्य ने इस विदेशी दोस्त पर गहरी छाप छोड़ी है।

ल्यो बाओ क्वो ने कहा कि रोमान दोबजेनस्की पोलैंड टी.वी. के एक मशहूर फोटोग्राफर हैं, इसलिए फोटो खींचने व फोटोग्राफी बनाने में वे एक विशेषज्ञ हैं। उन्होंने च्यो ह्वा शान पहाड़ के दृश्य व स्थिति के ठोस रिकॉर्ड रखे थे। लेकिन बौद्ध धर्म के कुछ सवाल उन्हें समझ नहीं आए। मैंने आसान वाक्यों से अच्छी तरह उन्हें जानकारी दी और बौद्ध धर्म की संस्कृति की दृष्टि से उन्हें कुछ सवालों का जवाब दिया। धीरे-धीरे रोमान दोबजेनस्की और मेरे यूरोपीय दोस्तों ने मेरे साथ चीन की बौद्ध धर्म की संस्कृति पर विचार-विमर्श करना शुरू की।

इस तरह के कई अनुभव होने के बाद ल्यो बाओ क्वो ने अपना और ज्यादा ध्यान चीनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार पर लगाया है।

ल्यो बाओ क्वो ने कहा कि बौद्ध दर्शनीय स्थलों की यात्रा करने के बाद मैंने सोचा था कि विदेशी दोस्तों को चीन की परंपरागत संस्कृति की जानकारी देने के समय मैं कैसे चीन की धार्मिक संस्कृति का परिचय देता हूं, जैसा कि बौद्ध धर्म व ताओ धर्म की संस्कृति की जानकारी कैसे देता हूं। क्योंकि ताओ धर्म की संस्कृति चीन की एक परंपरागत संस्कृति है और बौद्ध धर्म की संस्कृति भी है। लेकिन इस के बारे में अब हमारे पास उचित शब्दकोष नहीं है। हमारे पड़ोसी देश जापान ने बौद्ध धर्म का अनुवाद व व्याख्या करने में बहुत काम किया था। इसलिए मुछे लगता है कि चीन की परंपरागत संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने के लिए ज्यादा काम किया जाना पड़ेगा।

विचार के क्षत्र में चीन का परंपरागत का प्रचार-प्रसार करने के अलावा ल्यो बाओ क्वो अपने चीनी कुंग फू से विदेशी लोगों को चीनी संस्कृति का भव्य का प्रदर्शन भी करते हैं।

स्पेन के एस्पेरांतो भाषा संघ के पूर्व अध्यक्ष ओगुस्टो कास्खुरो ने ल्यो बाओ क्वो के साथ चीन के अनेक मशहूर जगहों की यात्रा की थी। उन्होंने श्री ल्यो बाओ क्वो की विशेषज्ञता की बड़ी प्रशंसा की।

ओगुस्टो कास्खुरो ने कहा कि ल्यो बाओ क्वो लम्बे समय से चीन की परंपरागत संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने का काम में संलग्न रहते हैं। केवल पोलैंड एक देश में उन्होंने कई बार चीन की परंपरागत संस्कृति के बारे में एस्पेरांतो भाषा की व्याख्यानों और भाषणों का आयोजन किया। लम्बे समय से पश्चिमी देशों में चीन की संस्कृति के बारे में प्रचार बहुत कम है, केलिन ल्यो बाओ क्वो के कामों के जरिए मुझे चीन के बारे में बहुद जानकाली मिली। मुझे मालूम है कि श्री ल्यो बाओ की तरह अपने देश की संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने में हर कोई की रूचि नहीं है। लेकिन हर बार जब उन्होंने विदेशी लोगों के सामने चीन का परिचय देने के समय, लोगों को अच्छी तरह लगता है यह एक सचमुच चीन है और यह चीन की संस्कृति है।

अब ल्यो बाओ क्वो स्पेनिश सीख रहे हैं। उनके विचार है कि स्पेनिश व एस्पेरांतो भाषा दोनों लैटिन के हैं, जिससे वे आसान से स्पेनिश सीख सकते हैं। इस नई भाषा सीखने के कारण की चर्चा करते हुए ल्यो बाओ क्वो ने कहा कि मैं और अच्छी तरह विदेशी लोगों के साथ आदान-प्रदान करने के लिए और उन लोगों को और अच्छी तरह चीन व चीनी संस्कृति को समछने के लिए स्पेनिश सीखता हूं।

हालांकि ल्यो बाओ क्वो अपनी पूरी कोशिश से विदेशी लोगों को चीन की परंपरागत संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते रहे हैं, लेकिन इस रास्ते पर उन्हें कई कठिनाइयां मिली है। सांस्कृतिक मतभेद होने के कारण उनके काम में बहुत बाधाएं हैं। लेकिन उन्हें पूरा विश्वास है कि अपनी व और ज्यादा चीनी लोगों की कोशिशों से अधिकाधिक विदेशू लोगों को चीन के बारे में ज्यादा जानकारी मिलेगी।

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