दोस्तो , चालू वर्ष के पहली फरवरी से शुरु सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महा सभा द्वारा प्रस्तावित प्रथम वैश्विक भिन्न धार्मिक विश्वासों का सामंजस्यपूर्ण सप्ताह ही है । संयुक्त राष्ट्र संघ के इस प्रस्ताव के आहवान में आकर चीन के पांच बड़े धार्मिक संप्रदायों ने हील ही में पेइचिंग में प्रस्तावित धार्मिक सामंजस्यपूर्ण साझा घोषणा पत्र जारी किया । इस घोषणा पत्र में देश व धर्म से प्यार करने , समानता व सहनशीलता का पक्ष लेने , सामंजस्यपूर्ण धारणा को प्रदर्शित करने और तोड़ फोड़ के खिलाफ सकारात्मक भूमिका निभाने जैसे सैद्धांतिक विचार पेश किये गये हैं , साथ ही विभिन्न चीनी संप्रदायों से समान रुप से सामंजस्यपूर्ण धारणा को अमल में लाने की अपील की गयी ।
2010 में संयुक्त राष्ट्र संघ की 65 वीं महा सभा ने विश्व में विभिन्न धार्मिक विश्वासों के बीच सामंजस्यपूर्ण सप्ताह की स्थापना का प्रस्ताव पारित हुआ , जिस का उद्देश्य इस बात पर प्रकाश डालना है कि आपसी समझदारी और धार्मिक संप्रदायों का वार्तालाप शांति व संस्कृति का अहम विषय ही हैं , साथ ही हर वर्ष के फरवरी का प्रथम सप्ताह विश्व के तमाम धर्मों व विश्वासों के बीच भिन्न वैश्विक विश्वासों का सामंजस्यपूर्ण सप्ताह घोषित किया गया है ।
संयुक्त राष्ट्र संघ के इस प्रस्ताव के आहवान में आकर चीनी बौद्ध धर्म संघ , चीनी ताओ धर्म संघ , चीनी इस्लाम धर्म संघ और चीनी कैथोलिक देशभक्त संघ तथा चीनी क्रिश्चियन देशभक्तिपूर्ण आंदोलन कमेटी ने हाल ही में प्रस्तावित धार्मिक सामंजस्य संगोष्टी आयोजित की और प्रस्तावित धार्मिक सामंजस्यपूर्ण साझा घोषणा पत्र जारी किया । चीनी बौद्ध धर्म संघ के आचार्य चुंग शिन ने चीनी धार्मित जगत की ओर से प्रस्तावित धार्मिक सामंजस्यपूर्ण साझा घोषणा पत्र पढ़कर सुनाया । इस घोषणा पत्र में कहा गया है शांति , विकास और सहयोग फिर भी युग का प्रमुख मुद्दा है , लेकिन आज की दुनिया में अमन चैन नहीं है । धर्मों के बीच आदान प्रदान व आवाजाही दिन ब दिन बढ़ने के साथ साथ धार्मिक अंतरविरोध और टक्करें भी बढ़ती गयी है , जिस से अंतर्राष्ट्रीय राजनीति व वैश्विक मामलों पर अधिकाधिक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ गया है । चीन आधुनिकीकरण प्रक्रिया के अहम दौर से गुजर रहा है , सामाजिक जीवन में भी गहरा बदलाव आ रहा है . ऐसी स्थिति में प्रस्तावित धार्मिक सामंजस्य विभिन्न धर्मों के सामाजिक विकास का अनुरुप होने और सकारात्मक भूमिका निभाने का अनिवार्य तकाज़ा ही है ।
चीनी ताओ धर्म संघ के उपाध्यक्ष आचार्य ह्वांग शिन यांग ने कहा कि घोषणा पत्र में चीनी ताओ धार्मिक जगत की अभिलाषा प्रकट की गयी है । उन का कहना है ताओ धर्म का यिन और यांग मछली आरेख ने सजीव रुप से एक दूसरे के खिलाफ और एक दूसरे के पूरक और सामंजस्पपूर्वक सहअस्तित्व का विचार प्रकट कर दिया है । हमारा मानना है कि भिन्न धर्मों के बीच विविधतापूर्ण अंतर मौजूद हैं । हम भिन्न धर्मों के बीच सकारात्मक रुप से वार्तालाप व आदान प्रदान करने का पक्ष लेते हैं ।
चीनी इस्लाम धर्म संघ के उपाध्यक्ष अचिकरिम ने कहा कि इस्लाम शांति व समानता का समर्थन करने और सामंजस्य की खोज करने वाला धर्म ही है । चीनी इस्लाम धर्म मौजूदा सामंजस्यपूर्ण सप्ताह का फायदा उठाकर घोषणा पत्र के तकाजे को मूर्त देने को सकल्पबद्ध है ।
हमारे लिये यह जरूरी है कि विशाल मुसलमानों को एकता के सूत्र में बांधकर देश व धर्म से प्यार कर धार्मिक सामंजस्यपूर्ण धारणा को जबरदस्ती से प्रदर्शित किया जाये , आतंकवादी , उग्रवादी और अलगाववादी शक्तियों का डटकर विरोध किया जाए और भिन्न धर्मों का सम्मान कर धार्मिक संबंधों को सामंजस्यपूर्ण बनाये रखा जाये ।
चीनी धार्मिक मामलात ब्यूरो के प्रधान वांग च्वो आन ने उक्त घोषणा पत्र में प्रस्तुत वास्तविक महत्व को सुनिश्चित किया है और धार्मिक सामंजस्य को आइंदे में चीनी धार्मिक कार्य की नयी दिशा बतायी ।
उन का कहना है कि धार्मिक सामंजस्य धार्मिक संबंधों से निपटाने का नया प्रस्थान बिंदु बनाया जायेगा , इस के लिये यह जरुरी है कि धर्मों से संबंधित नाना प्रकार वाले संबंधों को संयुक्त रुप से समन्वित बिठाया जाये ।
चीन के विभिन्न धर्म इस बात से राजी हुए है कि हर वर्ष के फरवरी के प्रथम सप्ताह के आसपास विभिन्न धार्मिक मंदिरों , मठों , मस्जिदों और चर्चों में अपने परम्परागत तौर तरीकों के माध्यम से भिन्न धार्मिक सामंजस्यपूर्ण व दयालु सूचनाएं प्रसारित की जायेंगी और धार्मिक सामंजस्यपूर्ण धारणाओं की वकालत की जाएंगी ।