मेरा नाम टुरसेन आई है। वेवुर भाषा हमारी भाषा है। वेवुर भाषा सीखते समय मैं चीनी भाषा भी सीखती हूं। बाद में मैं एक निजी कंपनी खोलकर उसकी निदेशक बनना चाहती हूं।
उसकी सुन्दर आंखों में आत्मविश्वास भरा हुआ है। टुरसेन आई सिनच्यांग के काशी द्विभाषी प्राइमरी स्कूल की छात्रा है, जो बहुत अच्छी तरह चीनी भाषा बोल सकती है। उसके लिए वर्ष में सबसे खुशी की बात है कि माता-पिता के रेस्तरां खोलने के स्थल चांग सू प्रांत के छांग चो जाना है। वहां कई हान जाति के मित्र हैं। वह उनके साथ गपशप करती है और जीवन के अनुभव शेयर करती है।
38 वर्षीय एसेनखेन वाइट ने कभी भी द्विभाषी स्कूल में नहीं पढ़ाया। चूंकि उस समय सिनच्यांग में द्विभाषी शिक्षा नहीं थी। सामान्य मिडिल या प्राइमरी स्कूल में लोग वेवुर, हाज़ाक व शिबो आदि 6 भाषाओं में पढ़ाई दी जाती थी। इसलिए, वे केवल अपनी जाति की भाषा बोल पाते थे और चीनी नहीं बोल पाते।
गत् 90 के दशक में एसेनखेन वाइट काशी कला स्कूल के नृत्य विभाग से स्नातक हुए। बाद में उन्होंने चाशी काउंटी के सांस्कृतिक मंडल में काम करना शुरू किया। वे अच्छी तरह नृत्य कर सकते हैं, इसलिए, उन्हें चीन के विभिन्न स्थलों में अभिनय करने का मौका मिला। लेकिन, चीन के भीतरी इलाकों में अभिनय करते समय उन्हें दर्शकों की प्रशंसा मिलने के साथ साथ भी मुश्किलें भी मिली। कारण यह है कि उन्हें केवल वेवुर भाषा आती है, और चीनी नहीं बोल पाते। इसलिए, वे दर्शकों के साथ आराम से बातचीत नहीं कर पाते और भीतरी इलाकों के नृतकों से गहन आदान प्रदान नहीं कर सकते।
सिनच्यांग वापस लौटने के बाद एसेनखेन वाइट ने स्वेच्छा से चीनी भाषा सीखना शुरू किया। साथ ही उन्होंने निर्णय लिया कि अपने बच्चों को द्विभाषी स्कूल में भेजे। उन्होंने कहा कि अब घर बच्चों के लिए चीनी भाषा का अभ्यास करने का अच्छा स्थल बन चुका है। रोज़ खाना खाते समय परिवार के सभी सदस्य चीनी में बातचीत करने की कोशिश करते हैं। उनके अनुसार,
मेरी बेटी द्विभाषी स्कूल में पढ़ती है। वह अच्छी तरह पढ़ती है। मुझे भी बड़ी खुशी है। वह अक्सर गायन प्रतियोगिता में भाग लेती है और पुरस्कार हासिल करती है। मैं पूरी तरह संतुष्ट हूं। अब मेरी बेटी मेरी अध्यापिका की तरह है। रोज़ घर वापस लौटने पर अवश्य ही वह मुझे एक चीनी वाक्य सिखाती है।
एसेनखेन वाइट चाशी काउंटी में रहती हैं। वह दक्षिण सिनच्यांग के वेवुर स्वायत प्रदेश में रहते हैं। वहां 90 प्रतिशत से ज़्यादा नागरिक अल्पसंख्यक जाति के लोग हैं, जिनमें वेवुर जाति के लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा है। दैनिक जीवन में वेवुर भाषा बहुत उपयोगी है। युग के विकास एवं यातायात के सुविधा होने के साथ साथ बाहरी दुनिया के साथ संपर्क बढ़ता रहता है। वेवुर जाति के अधिक से अधिक लोग एसेनखेन वाइट की तरह वेवुर भाषा के अलावा चीनी आदि भाषाएं भी सीखना चाहते हैं।
स्थानीय अल्पसंख्यक जातियों के लोगों की इस आवश्यक्ता को पूरा करने के लिए 2004 में सिनच्यांग ने द्विभाषी शिक्षा का प्रसार करने के लिए उन्हें बुनियादी शिक्षा समर्थन दिया।
अभी आपने जो आवाज़ सुनी, वह चाशी द्विभाषी प्राइमरी स्कूल के विद्यार्थी चीनी भाषा में पाठ्य पढ़ रहे हैं। 2007 में स्थापित सिनच्यांग चाशी द्विभाषी प्राइमरी स्कूल में अल्पसंख्यक जातियों के विद्यार्थियों की संख्या 80 प्रतिशत से ज़्यादा होती है। ये विद्यार्थी न केवल चाशी काउंटी से आये हैं, बल्कि आसपास की गांव से भी आये हैं। स्कूल मास्टर सुश्री छ्यैई श्योमेई ने कहा कि अब स्कूल में कोर्स बिलकुल विद्यार्थियों की वास्तविक मांग के अनुसार प्रबंध किये जाते हैं। सुश्री छ्यैई के अनुसार,
स्कूल में वेवुर व चीनी कोर्स होते हैं। अल्पसंख्यक जातियों के बच्चों के लिए उन की प्रथम भाषा वेवुर भाषा है। इसलिए, घर में उनके लिए वेवुर बोलने का वातावरण होता है। जबकि स्कूल में हमने बच्चों को चीनी बोलने के कई मौके भी दिये हैं। यह बहुत प्रभावी है।
द्विभाषी पढ़ाई न केवल स्कूल में बच्चों का स्वागत मिला है, बल्कि स्थानीय नागरिकों के जीवन में भी द्विभाषी की आवश्यक्ता को पकड़ना बहुत जरूरी है। चाहे बाज़ार में व्यापारी करने वाले लोग या टेक्सी में लोग सरल संपर्क कर सकते हैं। द्विभाषी आवाजाही सामान्य बन चुकी है। सरकार के लिए द्विभाषी शिक्षा न केवल स्कूल शिक्षा में नियंत्रित है, बल्कि सारे समाज में भी शामिल किया गया है।
चाशी काउंटी की उप प्रधान गाओ जडंरोंग ने कहा कि हाल में चाशी में प्रारंभिक रूप से किंडरकार्डन शिक्षा, प्राइमरी शिक्षा, मिडिल शिक्षा एवं पौढ़ शिक्षा होने वाली परिपक्व वैज्ञानिक द्विपभाषी शिक्षा स्थापित की गयी है। सुश्री गाओ के अनुसार,
हर एक गांव में किसानों के लिए रात्रि स्कूल उपलब्ध हैं। हमने काऊंटी व कस्बा स्तरीय किसानों की वैज्ञानिक व तकनीक सांस्कृतिक स्कूल खोले हैं। ये प्रशिक्षण व्यवस्थाएं बहुत परिपक्व हैं, जो मुख्यतः स्नातक होने वाले विद्यार्थियों, किसानों व कर्मचारियों के तकनीक प्रशिक्षण व चीनी प्रशिक्षण देती हैं।
द्विभाषी पढ़ाई न केवल अल्पसंख्यक जाति के कर्मचारियों के लिए ज़रूरी है, बल्कि हान जाति के कर्मचारी के लिए भी आवश्यक्त है। अब चीनी व वेवुर भाषा जानने वाले सुयोग्य व्यक्ति सिनच्यांग के चाशी समेत विभिन्न स्थलों में सरकारी कर्मचारियों को चुनने का मापदंड बन चुका है। साथ ही सरकारी विभाग भी कार्यरत कर्मचारियों को भाषा का प्रशिक्षण दे रहा है और विविधतापूर्ण व लजीले तरीके अपना रहे हैं।
चाशी रेश्मी मार्ग के रास्ते पर रहा था। प्राचीन काल से ही इस रेश्मी मार्ग में व्यापारी आवाजाही बहुत व्यस्त है, बहु संस्कृतियों व जातियों के बीच आदान प्रदान बहुत घनिष्ट व ओतप्रोत है। आज चाशी में क्षेत्रीय आवाजाही, आर्थिक विकास एवं जातीय संस्कृति का अनुसंधान व प्रसार बहु भाषी के प्रचलन से अलग नहीं हो सकता है।
सिनच्यांग के अनेक लोग, चाहे अल्पसंख्यक जातियों या हान जाति के लोग सुन्दर भविषय के लिए चीनी भाषा या अल्पसंख्यक जातियों की भाषाएं सीख रहे हैं। स्थानीय अनेक लोग यह मानते हैं कि चीनी भाषा सीखने से देश के विभिन्न स्थलों में आर्थिक आदान प्रदान करने, स्थानीय अर्थतंत्र का विकास करने एवं जीवन स्तर को उन्नत करने के लिए लाभदायक होगा।
चीनी केंद्रीय जातीय विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर थंग शींग ने कहा कि चीन एक बहु जातीय देश है। अनेक जातियों की भाषाओं को पकड़ना श्रेष्ठ सुयोग्य व्यक्तियों का प्रशिक्षण करने के लिए और मददगार सिद्ध होगा। उन के अनुसार,
अल्पसंख्यक जातियों का युवा युग चीनी प़ढ़ाई के जरिये उनकी चीनी भाषा के स्तर को उन्नत करता है। वे खुशी से आधुनिक समाज में शामिल करना चाहते हैं, आधुनिक समाज की उपलब्धियों का उपभोग करना चाहते हैं, आधुनिक समाज के अधिकार व कर्त्तव्य निभाना चाहते हैं, देश के नागरिक की विचारधारा को उन्नत करना चाहते हैं। दूसरी ओर, अल्पसंख्यक जातीय भाषाओं व संस्कृतियों की पढ़ाई से वे अपनी जाति की श्रेष्ठ संस्कृति को भी बरकरार रख सकते हैं।