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चीन के उत्तर-पश्चिमी भाग का हुआर लोकगीत
2011-01-06 16:58:43
चीन के उत्तर-पश्चिमी पहाङी इलाके में लगभग 600 साल पुराने पहाङी गीत गाये जाते हैं। यहाँ के प्रत्येक पहाङी गीत से एक प्यार झलकता है, गीत के हर बोल में एक इतिहास छुपा है, हरेक गायक की अपनी कहानी है। इन गीतों के जरिये विश्व के सामने इन्होनें एक अमिट छाप छोङी है।

चाईना रेडियो इंटरनेशनल के राष्ट्रीय दिवस विशेष कार्यक्रम ने गीतों के माध्यम से चीन के उत्तर पश्चिमी पहाङी गीतों की कहानियों का वर्णन किया है। इस कार्यक्रम के सात भाग हैं, जिनमें आज हम आपके सामने इसके छठे भाग को प्रस्तुत करने जा रहे हैं।

अभी आपने जो आवाज सुनी है, वह बच्चों के द्वारा गाया गया हचोउ गीत का है। इस गीत का एक बोल है—जुलाई महिने का हचोउ। हचोउ चीन के कानसू प्रांत के पश्चिमी भाग में स्थित वर्तमान लिनसिया का ही नाम है, जोकि पहाङी गीत हुआर का जन्मस्थान भी कहलाता है। यह गीत न केवल कानसू में प्रसिद्ध है बल्कि नींगसिया, छिंगहाय, सिनचियांग आदी पश्चिमी क्षेत्र में भी काफी लोकप्रिय है।

चीन की सबसे प्रसिद्ध गायिका सुफिंग जी, जो नौ साल की उम्र से ही पहाङी गीत गा रही हैं, लोग इन्हें प्यार से हुआर की रानी भी कहते हैं। इन सालों में सुफिंग जी भी पहाङी गीतों के बढावा और विकास की गवाह रही हैं। उनके विचार में, चीन के पश्चिमी भाग के आर्थिक विकास में हुआर का योगदान पर्यटन में गीतों के प्रचलन का सीधा असर पङा है।

प्रत्येक साल के 6 जून को कानसू, निंगसिया, छिंग हाय आदी प्रांतो से लोगों की भीङ यहाँ इकट्ठा होने लगता है। बङे-बुजुर्ग, बच्चे-नौजवान सभी चाहे कितना भी दूर रहे हों, यहाँ रंगमंच स्थल पर विभिन्न गायकों के द्वारा हुआर पहाङी गीत को सुनने जरूर आते हैं। उस समय यहाँ पर सिर्फ लोग ही लोग नजर आते हैं। इस समय विभिन्न प्रांत के पर्यटक भी यहाँ पहाङी गीतों का आनंद लेने आते हैं। हुआर पहाङी गीत काफी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है। लोग न केवल हुआर पहाङी गीतों को पसंद करते हैं, बल्कि यहां के स्थानिय सरकार ने भी इसके लोकप्रियता के लिए हमेशा प्रयत्नशील रही है। मिशाल के तौर पर, कानसू प्रांत के लिनसिया मुस्लिम स्वायत्त प्रदेश की स्थानीय सरकार ने इसके लिए हुआर कला मंच, हुआर कला विद्यालय की स्थापना की और बहुत से कलाकारों को उनकी कलाकृति को छपवाने में भी मदद की है। इस प्रांत में हुआर और पर्यटन दोनों मिलकर इस क्षेत्र का विशेष कार्यक्रम बन गया है। लिनसिया कांउटी और लिनसिया पर्यटन विभाग के अध्यक्ष श्रीमति काओ या छिन जी ने परिचय देते हुए कहा, यह जगह हुआर पहाङी गीत के जन्मस्थान होने के कारण, यहाँ पर इसके विकास और औद्योगिकीकरण पर काफी बल दिया जा रहा है। पिछले साल हमारे और प्रशासनिक विभाग के द्वारा दिए गए रिपोर्ट में पर्यटकों की संख्या पाँच लाख से ज्यादा बतायी गयी है और इससे होने वाली कुल आय की रकम 13 करोङ है। इसमें ज्यादा से ज्यादा पर्यटक हुआर के कारण आये हैं। हुआर के द्वारा हमने पर्यटकों के लिए एक नई संस्कृति की खोज की है जो कि हमारे पर्यटन को भी बहुत मजबूत बनाती है।

इसी प्रकार, कानसू प्रांत के पङोसी निंगसिया में भी हुआर के औद्यौगिकीकरण का काफी अच्छा परिणाम मिला है। यहाँ की मौलिक नाटक 《गाँव की शादी》का प्रदर्शन, यहाँ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल शापोथ में सफलतापूर्वक नियमित रूप से दर्शकों को दिखाया जा रहा है। इस पर्यटन स्थल के प्रबंधक ने हमे परिचय देते हुए कहा,हम बहुत सालों से सांस्कृतिक और रीति-रिवाजों को तवज्जो देते आ रहे हैं। हुआर ह्वी अल्पसंख्यक जाति की सबसे अनोखी संगीत है जिसे हम शापोथ में दर्शकों को दिखाया जाता है और लोगों को निंगसिया के हुआर नाटक और गीतों से परिचया कराया जाता है।

हुआर लोगों के आर्थिक विकास में भी काफी कारगर साबित हुआ है। इससे जुङे पर्यटन और गीत के क्षेत्र के लोगों को भी अच्छी सफलता मिली है। निंगसिया के चुंगवेई शहर के नाटक संगठन के कलाकार लियेन जी कहते हैं, हमलोग हुआर के प्रचार के साथ-साथ लोगों को इस कला को समझने के लिए भी प्रेरित करते हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इसे देखने आते हैं और हमारी आमदनी भी बढ जाती है।

हुआर के रंगमंच के समय हमने सछ्वान प्रांत से आए एक पर्यटक से बातचीत की जो कि 《गाँव की शादी 》नाटक देखने आए थे। उन्होनें हुआर संगीत की जमकर तारीफ की और बताया की उन्हें काफी पसंद आया।

हुआर की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान है जो कि सुनने, देखने काफी मजेदार है और साथ ही इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में भी काफी सहायक है। कानसू प्रांत के हुआर के अनुसंधान विशेषज्ञ ने हुआर के औद्यौगिकीकरण के विकास के लिए कई सुझाव पेश किए,

मेरा पहला सुझाव है कि, स्थानीय लोग हुआर के द्वारा पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं। दूसरा- इस तरह के कार्यक्रम के प्रदर्शन के द्वारा इसे बढावा दिया जा सकता है। तीसरा- हुआर के नाम से कई तरह के पर्यटन के सामानों का निर्माण किया जा सकता है, साथ ही इसका कैसेट भी बनाया जा सकता है।

इन सभी सुझावों के अलावा कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि हुआर के विकास का मूल श्रोत प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं। चीनी सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञ प्रोफेसर हयांग जी का कहना है कि हुआर के बाजारीकरण का रास्ता अभी काफी लंबा है जिसमें बहुत सारे प्रतिभाशाली विशेषज्ञों की जरूरत है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके लिए वांग लुओ पिन जैसे प्रतिभाशाली विशेषज्ञों की जरूरत है, जो कि चीन की लोक संस्कृति को जानते है, लोकगीतों का बहुत गहरी जानकारी है, फिर इसी के आधार पर हुआर को बढावा दिया जा सकता है।

हुआर का इतिहास जितना पुराना है, उसके गीतों में उतना ही स्थानीय नयापन है, जिसकी संस्कृति बहुत ही गहरी है और लोक संस्कृति का आधार भी निहीत है। मुझे विश्वास है कि आज के बाद हुआर के विकास में और ज्यादा जागरूकता आएगी।

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