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लूशिन साहित्य पुरस्कार से चीन के समाज में शुद्ध साहित्य पर नया ध्यान केन्द्रित हुआ
2011-01-05 15:47:22
चीन का पांचवा लूशिन साहित्य पुरस्कार हाल ही में लू शिन के गृहस्थान चेच्यांग प्रांत के साओशिंग शहर में आयोजित हुआ। लम्बाई उपन्यास, लघु उपन्यास समेत साहित्य रिपोर्ट, गद्य कविता व साहित्य समीक्षा आदि 30 रचनाओं ने चीन का सर्वोच्य लूशिन पुरस्कार प्राप्त किया। 31 पुरस्कृत लेखक आलीशान कारपेट पर फिल्म सितारों की तरह सजधज कर शान जताते हुए उत्साह भरे कदम बढ़ाते पुरस्कार समारोह में शरीक हुए। चीन के हजारों साहित्य प्रेमी एतिहासिक शहर साओशिंग में एकत्र हुए, जहां उन्होंने चीन के मशहूर लेखक लूशिन के गृहस्थान में चीन के सबसे शानदार साहित्य रचनाओं की महकती खुश्बूओं का आन्नद उठाया।

चीनी लेखक संघ द्वारा प्रवर्तित लूशिन साहित्य पुरस्कार का चयन हर तीन साल में एक बार किया जाता है, उक्त साहित्य पुरस्कार को चीन के इतिहास के सबसे प्रसिद्ध लेखक लूशिन के नाम से रखा गया है, जो चीन के साहित्य जगत का राष्ट्र स्तरीय सर्वोच्च पुरस्कार माना जाता है। उक्त पुरस्कार में साहित्य से जुड़े विविध व व्यापक आधुनिक रचनाओं को सम्मानित किया जाता है, तभी तो इस पुरस्कार ने शुरू से ही साहित्य प्रेमियों व साहित्य जगत का भारी ध्यान खींचा हैं। चीन के प्रसिद्ध साहित्यकार लए ता का मानना है कि इस बार पुरस्कृत रचनाओं की विविधता बेशक सराहनीय है, बुनियादी तौर पर इस ने पिछले तीन सालों में चीन के साहित्य की मुख्य सफलता को प्रतिबिंबित किया है। श्री लएता ने कहा मेरे ख्याल में वर्तमान की साहित्य रचनाओं का व्यवहारिक जीवन व चीन के वास्तविक जिन्दगी से सीधा संबंध रहा है। इस तरह की रचनाओं की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। विशेषकर रचनाओं में निचले स्तर के लोगों के जीवन पर पहले की पुरानी नजर से केवल उनके गम की दास्तान को ही नहीं दर्शाया है, बल्कि इन में ऊंची मानवता व मनुष्य के प्यार व देखरेख पर काफी ध्यान दिया है। खासा उन आम लोगों पर जो अक्सर मुसिबतों से जूझते रहते हैं, बड़ी इन्सानियत से उन की भावना को सीधे असली जीवन से जोड़कर प्रदर्शित किया है। चीन के प्रसिद्ध लेखक लूशिन ने कहा था कि जीवन में असौभाग्य वालों व बेनसीबों को अधिक प्यार दें, उनके इन दो लफ्जों का यह तथ्य कभी नहीं मुर्झाएगा।

लेखक सूथुंग ने गांव की लड़की शहर में नाम के अपने उपन्यास को लेकर पहली बार मध्यम लम्बाई उपन्यास का लूशिन साहित्य पुरस्कार हासिल किया। गांव की लड़की शहर में उपन्यास ने पिछली शताब्दी के 70 वाले दशक में एक गांव की लड़की के अपने शादी के मंडप से भागकर शहर में अपने भाग्य को बदलने की मर्मस्पर्शी जीवनी कहानी को बड़ी खूबसूरती के साथ दर्शाया है। उपन्यास में लोगों की स्वभाविक भावना व जीते जागते इन्सान की मन भावना से बंधी सच्ची जीवन से लोगों के मन को बड़ा प्रभावित कर दिया । पुरस्कार प्रदत्त समारोह ने उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार उनकी कल्पना के बाहर था, वे हमेशा से लघु उपन्यास लिखने में बड़ी रूचि रखते हैं। लेखक सूथुंग लूशिन साहित्य पुरस्कार के विजेता होने से यह साबित हो गया है कि लम्बे अर्से से चुपचाप कलम के कामों में मगन लेखकों को मानों एक खिलते फूल की एक नयी जीवन शक्ति मिल गयी हो। हालांकि सूथुंग एक पुरूष लेखक है लेकिन वे शुरू से ही महिला से जुड़े विषयों को बड़ी विस्तृत रूप से उनकी जटिल व डावांडोल मन भावना का वर्णन करने के बड़े माहिर लेखक माने जाते हैं। इस पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा चाहे पुरूष हो या महिला सभी अपनी वास्तविकता जीवन से जुड़े इन्सान हैं। मैं तो सिर्फ एक पुरूष की नजर से महिला की मन भावना की सच्चाई को दर्शाने की कोशिश कर रहा हूं। मेरे उपन्यास गांव की लड़की शहर में हालांकि पिछली शताब्दी के 70 वाले दशक पर आधारित एक मामूली कहानी है, पर उसका महत्व आज के जीवन में कोई एक पुराना किस्सा नहीं है। लोगों के बीच का संबंध युग के बदलते इतनी आसानी से नहीं बदलते हैं, वे बने रहते हैं, इन में लोगों की सौन्दर्यता व उनकी खामियां वगैरह वगैरह।

लूशिन एक शताब्दी से लोगों के मन में पूजा की मूर्ति के रूप में बने एक महान लेखक रहे हैं। बहुत से लोगों ने इस बार के पुरस्कार को लूशिन के जन्मस्थान साओशिंग में आयोजित करने पर बड़ी खुशी जतायी। लेखक लूछुन श्यांग के रोग से पीड़ित अक्षरमाला नाम के गद्य कविता को लूशिन पुरस्कार का पहला सम्मान मिला। लेखक ने अक्षरमाला को एक एक चीनी दवा के नाम से जोड़कर रोगी इलाज के फार्मूला के रूप में तैयार अपनी गद्य कविता को अनोखे ढंग से प्रस्तुत किया है। इस पर बोलते हुए लेखक लूछुन ने कहा मैं बाजार की प्रगति पर हमेशा कड़ी नजर रखे रहता हूं। जमाना बदल गया है, लूशिन साहब की नोकभरी कलम से निकली कहानियां आज भी हमारी जनता का अनमोल खजाना हैं। आज के नये जमाने में हालांकि हमारी कलम उस समय की कलम से इतनी नोकभरी नहीं है, इस में कहीं ज्यादा निर्मलता के तत्वों से भरा गया है, यह एक खून की नाली की तरह लोगों के शरीर को अपने समय की उत्तम खुराक देती है। मैं अपनी कलम से खासकर बाजार व बाजार के प्रति पाठकों की ख्वाईश व मांग पर अधिक ध्यान देता हूं। अगर पाठक आपकी किताब पढ़ना तक नहीं चाहते हैं तो कैसे आप बाजार की चढ़ती उतरती किस्सों को अपनी कलम की नोक से उनकी आवाज व पुकार को प्रदर्शित कर सकते हैं।

खेद सिर्फ इस पर है कि इस बार के लूशिन साहित्य पुरस्कार में अनुवाद व वेबसाइट आलेखों की कमी रही है। विशेषकर वेबसाइट रचनाएं, इस बार हालांकि लूशिन साहित्य पुरस्कार चयन कमेटी ने इन रचनाओं को शरीक तो किया है, पर कोई भी रचनाओं को सफलता नहीं मिल पायी, कोई भी आलेख पुरस्कार का विजेता न बन सका। चीनी लेख संघ के सचिववालय के सचिव श्री छन छी रूंग ने कहा कि अनुवाद निबंध पुरस्कार की कमी का कारण उच्च गुणवत्ता वाले अनुवाद रचनाओं का अभाव है। इस पर हमें अपने लूशिन साहित्य पुरस्कार के चयन के तरीके पर गौर करना चाहिए, आजकल के जमाने में वेबसाइट लेखों व अनुवाद रचनाओं की अनुपस्थिती हमारे चयन कमेटी की एक बड़ी खामी का खुलासा करती है। जिसे आगे सुधारने की सख्त जरूरत है।

इस बार के लूशिन साहित्य पुरस्कार में वनछुआन भीषण भूंकप की पृष्ठभूमि से जुड़ी रचना दिल में लगा भूकप झटका के लेखक ली मिन संग ने तीसरी बार उक्त पुरस्कार हासिल किया है। उन्होंने कहा कि इस से पहले के दो पुरस्कार मिलने पर मुझे बड़ी खुशी हुई, इस बार के पुरस्कार से मुझे बड़ी तसल्ली मिली है , क्योंकि इसने केवल मेरी सफलता को ही मान्यता नहीं दी है, बल्कि करोड़ो भूंकप से पीड़ित लोगों को दी गयी प्रेरणा भी है। उन्होंने कहा मेरी तीन पहचान है, एक, मैं लेखक हूं , दूसरा मैं सैनिक हूं, और तीसरा में स्छवान का नागरिक हूं। जब आप मेरे जन्मस्थान में आकर इस भीषण भूंकप से हुई बर्वादी को देखेंगे तो आप अपनी जान की परवाह नहीं करेंगे। आप के मन में एक जिम्मेदारी बार बार आप को कोसती हुई कहती रहेगी कि तुम्हे इस बर्बादी की एक एक तबाही घटना को अपनी कलम में नोट करना होगा।

तिब्बती लेखक के रूप में राष्ट्र का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार पाना सचमुच एक गौरव की बात है। और तो और इस बार के लूशिन साहित्य पुरस्कार में छीरनलोपू अल्प संख्यक जाति के एक मात्र लेखक हैं। उन्होंने अपने उपन्यास बकरी चरवाह बालक की कहानी से साहित्य जगत का भारी ध्यान खींचा। अलग अलग शैली व शीर्षक से निर्मित रचनाओं में अलग अलग राय होना कोई अजीब बात नहीं है, इस से यह साबित होता है कि जनता के साहित्य की असलीयता व उसकी शुद्धता व पवित्रता की पुकार दिनोंदिन तेज होती जा रही है।

संदर्भ आलेख
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• विशेष पुरस्कार विजेता की चीन यात्रा (दूसरा भाग)
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