ध्यान रहे वर्ष 2006 में एशियाई विकलांग खेल संगठन का पुनगठन हुआ और एशियाई विकलांग ऑलंपिक समिति की स्थापना हुई। इसके बाद एशियाई विकलांग खेल कार्य का विकास एक नये दौर में दाखिल हुआ। क्वांगचो एशियाई पैरा गेम्स एशियाई विकलांग ऑलंपिक समिति की स्थापना के बाद आयोजित पहला एशियाई पैरा गेम्स है और पहली बार है कि एशियाई पैरा गेम्स और एशियाई गेम्स एक ही शहर में आयोजित हुए हैं।
इस एशियाई पैरा गेम्स के आयोजन के लिए क्वागं चो शहर ने दो साल की तैयारी की ।पैरा गेम्स स्टेडियम पिछले महीने समाप्त एशियाड के स्टेडियम हैं ,जिससे प्रतियोगिता स्थलों के चोटी स्तर को सुनिश्चित किया गया ।इस पैरा गेम्स के 25 हजार स्वयंसेवकों को विकलांग दोस्तों की सेवा के लिए प्रशिक्षण दिया गया ।वे इस गेम्स में भाग लेने वाले खिलाडियों को बढिया सेवा प्रदान करेंगे ।क्वांगचो ने बडे पैमाने पर बाधा रहित संस्थापनों का निर्माण किया । क्वांगचो पांच सौ से अधिक चौराहों में नेत्रहीन दोस्तों की सुविधा के लिए साउंड सिग्नल व्यवस्था की स्थापना की गयी और बीस हजार से अधिक मार्गों में सुधार किया गया ।पैरा एशियाड के प्रतियोगिता व अभ्यास स्टेडियमों में विकलांग खिलाडियों के लिए डाक्टर व नर्स भी तैनात किये गये ।खेल गांव में ह्वील चेयर व नकली टांग की मरम्मत सेवा उपलब्ध है।
एशियाई पैरा ऑलंपिक समिति के अध्यक्ष डाटुक जैनेल अबू जारिन ने हमारे संवाददाता के साथ एक बातचीत में कहा कि क्वांगचे पैरा एशियाड की तैयारी व आयोजन शानदार रहा ।एक ही शहर में एशियाड व पैरा एशियाड का आयोजन पैरा एशियाड के भावी विकास के लिए बडा महत्व रखता है ।उन्होंने कहा कि एक शहर में दो एशियाई गेम्स के आयोजन का बडा महत्व है ,क्योंकि एशियाई पैरा एशियाड के स्टेडियम व संस्थापन एशियाड के हैं ।अगर हम चोटी स्तर वाले एशियाड स्टेडियमों व संस्थापनों का प्रयोग नहीं करते और अन्य एक शहर में संस्थापनों का इस्तेमाल करें ,तो मेजबान के लिए इस का खर्च बहुत बडा होगा ।एशियाड के बाद पैरा एशियाड के आयोजन से सिर्फ स्टेडियमों ,बल्कि एशियाड के मानव संसाधन का साझा भी किया जा सकता है ।क्वांगचो के हार्डवेयर विश्व स्तर के हैं ।दो खेल समारोहों के आयोजकों ने दो गेम्स को शानदार बनाने के लिए बडी कोशिश की । एक तरफ उन्होंने एशियाड के लिए स्टेडियम स्थापित किया ,दूसरी तरफ उन्होंने विकलांग खिलाडियों के लिए बढिया बाधा रहित संस्थापनों का निर्माण किया ।
पैरा एशियाड के दौरान विकलांग खिलाडी एक तरफ पदक के लिए स्पर्द्धा करते हैं ,दूसरी तरफ वे पूरे विश्व के समक्ष अपनी इच्छा ,शारीरिक क्षमता व बुद्धि दिखाते हैं ।वे साबित करना चाहते हैं कि वे जीवन में विजेता भी हैं ।पैरा एशियाड की चर्चा करते हुए जापानी ह्वील चेयर फेंसिंग खिलाडी यासुइ काजुहिको ने बताया ,एशियाई विकलांग खेल संगठनों के पुन गठन के बाद यह पहला पैरा एशियाड खेल समारोह है ।इस पैरा गेम्स में भाग लेने वाली विभिन्न टीमों की मजबूत शक्ति है ,जो पेइचिंग पैरा ऑलंपिक से कम नहीं है ।इसलिए इस पैरा एशियाड का स्तर बहुत ऊंचा है ।विभिन्न देशों के खिलाडी विकलांग खेल की शाभा देखने की पूरी कोशिश करेंगे ।
कुछ लोगों को विकलांग खेल थोडा सा कठोर लगता है ।इस के प्रति अंतरराष्ट्रीय पैरा ऑलंपिक समिति के अध्यक्ष फिलिप क्रेवन ने बताया कि विकलांग लोगों का प्रतियोगितामें भाग लेना कठोर बात नहीं है ।सभी विकलांग खिलाडी स्वइच्छा से प्रतियोगिता में भाग लेते हैं ।उन्होंने कहा कि शायद कुछ स्वस्थ लोगों का विचार है विकलांग लोगों को कुछ बात करने की क्षमता नहीं है ।लेकिन यह विचार पुराना है ।खेल शिक्षा का एक अच्छा साधन है ,जो बहुत लाभ लाएगा ।अब समाज का तेज विकसा हो रहा है ,विकलांग दोस्तों के पास खेल करने के कई विकल्प हैं।
पैरा एशियाड विकांग दोस्तों के लिए एक बडा मंच है ।इस मंच पर वे स्वस्थ लोगों की तरह प्रतियोगिताओं का आनंद उठाते हैं और अपनी शोभा भी दिखाते हैं । पैरा गेम्स विकलांग कार्य को व्यापक बढावा देगा ।