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माता नदी की रक्षा करने वाले स्वयंसेवक
2010-12-17 10:30:32
दोस्तो, हजारों वर्षों से चीनी लोग चीन की पीली नदी और यांत्सी नदी को माता नदी कह कर बुलाते हैं। लेकिन इधर के वर्षों में नदियों के दोनों किनारों में स्थित कारखानों से आर्थिक विकास होने के साथ-साथ पर्यावरण का प्रदूषण भी साथ आया है। वर्ष 1999 से चीन द्वारा आयोजित माता नदी की रक्षा करने की कार्यवाई में हजारों युवा स्वयंसेवकों ने नदियों व तालाबों के पारिस्थितिकी संरक्षण में भाग लिया है। वर्ष 2005 में इस गतिविधि को संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रथम पृथ्वी रक्षक पुरस्कार भी मिला है।

माता नदी की संरक्षण कार्यवाई चीन के युवा संगठन चीनी कम्युनिस्ट युवा लीग की केन्द्रीय कमेटी द्वारा चीनी राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण ब्यूरो आदि विभागों के साथ मिलकर आयोजित की गई एक परोपकारी गतिविधि है, जिस का मकसद चीन की पीली नदी और यांत्सी नदी के पारिस्थितिकी पर्यावरण का संरक्षण करना है।

11 वर्षों तक अनेक युवा स्वयंसेवकों ने इस गतिविधि में भाग लिया है और पीली नदी व यांत्सी नदी आदि जल क्षेत्रों के पारिस्थितिकी पर्यावरण के संरक्षण में भागीदारी की है। 28 वर्षीय मा श्यू फिंग इन में से एक हैं। उन का घर उत्तर पश्चिमी चीन के छिंग हाई प्रांत की ता थुंग काउंटी में स्थित है, जो पीली नदी के ऊपरी भाग में है। इधर के वर्षों में ता थुंग काउंटी में कागज़ कारखाना, रासायनिक कारखाना आदि कारखानों की स्थापना की गई। इन कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित पानी का कड़ाई से निपटारा न किए जाने के कारण यह पानी इस काउंटी से गुज़रने वाली पीली नदी की शाखा नदी पेईछ्वान नदी के पानी में मिलता रहा है और इस प्रकार इस की गुणवत्ता पर असर डाला है।

मा श्यू फिंग काउंटी के पर्यावरण निगरानी संस्था की निरीक्षक हैं। उन का रोजमर्रा का काम कारखानों के पर्यावरण प्रदूषण की निगरानी करना है। उन का कहना हैः

"मैं अपने सहकर्मियों के साथ कारखानों से निकलने वाले पानी से पेइछ्वान नदी में पैदा होने वाले प्रदूषण की निगरानी कर रही हूं। जब हमें पता चलता है कि किसी कारखाने में पर्यावरण के प्रदूषण की समस्या है, तो हम तुरंत घटनास्थल पहुंचते हैं और उस कारखाने को ऐसा करने से रोकते हैं।"

काउंटी की पर्यावरण निगरानी संस्था के हस्तक्षेप से दस से ज़्यादा कारखानों को बन्द किया गया है या स्थानांतरित किया गया है। लेकिन इस परिणाम से मा श्यू फिंग संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने काउंटी में युवकों को इक्कठा करके पर्यावरण संरक्षण स्वयंसेवक दल गठित किया और खुद वन रोपे। इतना ही नहीं, उन्होंने गर्मियों के मौसम में पारिस्थितिकी पर्यावरण शिविर, पर्यावरण संरक्षण की लिपि मैच और भाषण आदि गतिविधियों का आयोजन भी किया।

मा श्यू फिंग ने कहा कि वे लोगों को यह बताना चाहती हैं कि पीली नदी को प्रदूषण से बचाना पृथ्वीव्यापी घटना है। उन्होंने कहाः

"पीली नदी का संरक्षण करना न केवल हमारी जन्मभूमि का संरक्षण, बल्कि हमारी सब की एक समान पृथ्वी का संरक्षण भी है। इसलिए माता नदी का संरक्षण करना हमारी पृथ्वी का संरक्षण करना ही है।"

मा श्यू फिंग आदि स्वयंसेवकों की गतिविधियों से स्थानीय क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव पैदा हुआ है, जिस से और ज़्यादा लोगों ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व को जाना है। अब पर्यावरण संरक्षण और पीली नदी के स्रोत के पानी को साफ-सुथरा रखना स्थानीय लोगों की स्वेच्छा कार्यवाई बन चुकी है।

भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश की तंग खो काउंटी पीली नदी के मध्य व ऊपरी भाग में स्थित है। यहां पीली नदी की पारिस्थितिकी का संरक्षण करने वाला स्वयंसेवकों का एक दल मशहूर है। तंग खो काउंटी में 50 किलोमीटर से अधिक दूरी तक पीली नदी के गुज़रने का रास्ता है, लेकिन रेगिस्तान की स्थिति बहुत गंभीर है। तंग खो काउंटी हर वर्ष पीली नदी को लगभग 7 करोड़ टन रेत देती है। इस रेत से पीली नदी का जलस्तर बढ़ गया है और काउंटी में पानी आ जाने के कारण स्थानीय नागरिकों को जान-माल का बहुत नुकसान पहुंचा है। रेगिस्तान का निपटारा करना और पीली नदी की रक्षा करना काउंटी का केन्द्रीय मिशन बन चुका है।

30 वर्षीय काओ योंग तंग खो काउंटी के इस युवा स्वयंसेवक दल के नेता हैं। उन्होंने कहा कि उन का प्रमुख मिशन और ज़्यादा युवकों को पारिस्थितिकी निर्माण की प्रवृत्ति में भाग लेने को प्रोत्साहित करना है। उन के आह्वान व नेतृत्व में स्थानीय युवकों ने पीली नदी के पानी की गुणवत्ता और रेत की मात्रा की निगरानी करने के लिए पारिस्थितीकी निगरानी स्टेशन की स्थापना की। हर वर्ष वसंत में वे लोग वन रोपते हैं और घास उगाते हैं। काओ योंग ने युवकों के साथ रेगिस्तान के पारिस्थितिकी अर्थतंत्र का विकास भी किया है। उन का कहना हैः

"मैंने उन के साथ मिलकर रेगिस्तान के पारिस्थितिकी पर्यावरण का निपटारा किया। दूसरी ओर हमने इस से बड़ा आर्थिक लाभांश भी हासिल किया है। हम मुख्यतः पेड़ उगाते हैं, ताकि रेत का निपटारा किया जाए।"

अब तंग खो काउंटी में विकास बेहतर रास्ते पर आगे बढ़ चुका है। पीली नदी के आसपास अनेक लोगों ने अपनी विशेषता और विभिन्न तरीकों से संरक्षण की कार्यवाई में भाग लिया है।

पीली नदी के ह नान प्रांत में रहने वाले येई ल्यान फ़ोटो खींचना और कैलीग्राफी पसंद करते हैं। वे अक्सर इन दो तरीकों से पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देते हैं। उन्होंने पीली नदी के किनारे की रेगिस्तानी स्थिति के चित्र खींच करके प्रदर्शनी आयोजित की। उन्होंने कहाः

"मैं आशा करता हूं कि इस तरह के प्रसार से लोगों को चेतावनी दी जा सकती है कि सब लोग पारिस्थितिकी पर ध्यान दें और पर्यावरण संरक्षण करें।"

येई ल्यान के पास कोई नौकरी नहीं है, इसलिए वे धनी आदमी नहीं हैं। फिर भी उन्होंने अपने पैसों से पेड़ों के बीज खरीदकर पीली नदी के पास 0.2 हेक्टर भूमि में पेड़ उगाए। पूरे एक वर्ष में वे विभिन्न स्थलों के मीडिल व प्राइमरी स्कूल जाकर पर्यावरण संरक्षण का प्रसार करते हैं।

माता नदी की रक्षा करने वाले स्वयंसेवकों में अनेक विद्यार्थी भी हैं। वे सब अपने-अपने ढंग से माता नदी यानी पीली नदी के संरक्षण के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। पीली नदी जहां समुद्र में गिरती है, उस जगह शान तुंग प्रांत की एक विद्यार्थी फ़ू चिन ने अपने विश्विद्यालय में पर्यावरण संरक्षण संघ की स्थापना की और अपने सहपाठियों को लेकर कैम्पस में पुरानी बैटरियों को इक्कठा करके वन रोपण किया या घास उगाई। इतना ही नहीं, उन लोगों ने सड़कों पर जाकर नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में बताया और प्रसार किया। उन्होंने कहाः

"एक विद्यार्थी होने के नाते, हम कुछ निगरानी का काम नहीं कर पाते हैं। फिर भी हम प्रसार-प्रचार आदि गतिविधियों से लोगों को पीली नदी के संरक्षण करने की विचारधारा दे सकते हैं।"

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