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वर्ष 2010 क्वांग चो पैरा एशियाड का परिचय
2010-12-09 16:39:30
वर्ष 2010 पैरा एशियाड 12 से 19 दिसंबर तक दक्षिण चीन के क्वांग चो शहर में आयोजित होगा ।एशिया के पैंतालीस देशों व क्षेत्रों के तीन हजार से अधिक विकलांग खिलाडी इस में भाग लेंगे ।इस के अलावा 2000 अधिकारी ,1100 से अधिक तकनीकी अधिकारी और 2000 से अधिक मीडियाकर्मी ,30000 से अधिक स्वयंसेवक और तीस से अधिक पैरा एशियाड परिवार के अति महत्वपूर्ण मेहमान इस भव्य समारोह में उपस्थित होंगे ।एशियाड के दौरान खिलाडी ,कोच और विभिन्न टीमों के अधिकारी खेल गांव में ठहरेंगे ,तकनीकी अधिकारी व प्रतिनिधि ,रेफरी व चिकित्सक अधिकारी और तकनीकी अधिकारी गांव में रहेंगे ,जबकि मीडियाकर्मी मीडिया गांव में रहेंगे ।

ध्यान रहे, 28 नवंबर 2006 को क्वांग चो को 2010 पैरा एशियाड की मेजबानी मिली ।उस दिन एशियाई पैरा-ऑलंपिक कमेटी के नव निर्वाचित अध्यक्ष मलेशियाई डाटो जाइलेल अबू जारिन ने घोषणा की कि अधिकांश मत प्राप्त कर क्वांग चो 2010 पैरा एशियाड का मेजबान बना है ।क्वांग चो पैरा एशियाड का प्रतीक एक व्यायाम करने वाले व्यक्ति का आकार है ,जो लाल ,हरा व नील तीन रंगों की रेखाओं से बना है ।इस का मतलब है कि विकलांग खिलाडी पैरा एशियाड में कडी मेहनत कर अपना सपना पूरा करेंगे ।क्वांग चो पैरा एशियाड का शुभंकर फन फन नामक खिला हुआ कपोक व सिल्क कपास का फूल है ।कपोक फूल क्वांग चो वासियों का सब से पसंदीदा फूल है ।कपोक फूल को वीर का फूल नाम से पुकारा जाता है ,जिस से स्थानीय लोगों की नजर में संघर्ष करने की भावना जाहिर होती है ।फन फन पांच नाचती हुईं पंखड़ियों और एक मुस्कुराते हुए चेहरे से बना है ,जिस में भागीदारों की खुशी और मेजबान का उत्साह दिखाई देता है ।फन फन का उच्चारण अंग्रेजी शब्द fun से मिलता है ,जिस से पैरा एशियाड की केंद्रीय धारणा भी जाहिर होती है यानि विभिन्न एशियाई देशों व क्षेत्रों के दोस्त पैरा एशियाड में भाग ले कर क्वांग चो का उत्साह ,खेल की उमंग और भव्य समारोह का आन्नद साझा करेंगे और विकलांग व सामान्य लोग साथ-साथ मानव समाज की प्रगति का आनंद उठाएंगे ।

क्वांग चो पैरा एशियाड का नारा वी चीयर ,वी शयर ,वी विन यानि हम वाहवाही करें ,हम साझा करें और हम जीतें है ।पैरा एशियाड विकलांग खिलाडियों का मिलन समारोह है और वे खुशियां मनाने का भव्य समारोह है ।विकलांग दोस्तों और सामान्य लोगों को ऑलंपिक आंदोलन व सामाजिक जीवन में समान अधिकार हैं ।विकलांग दोस्त खेल से पैदा खुशी ,मैत्री ,सपना व सफलता का आनंद उठा सकते हैं ।खेल की स्पर्द्धा में उतरने से विकलांग खिलाडी अपने आप को चुनौती देते हुए खेल में अपनी पूरी जान लगाते हैं और आत्म सम्मान ,आत्म विश्वास ,आत्म निर्भरता दिखाते हैं ।सभी भागीदार विजेता हैं ।

तीन दिंसबर 2010 की सुबह क्वांग चो पैरा एशियाड की पवित्र अग्नि पेइचिंग में एकत्र की गयी ।उत्तर पश्चिमी चीन के शिन च्यांग से आयी विकलांग युवती अदिलान एयकन और अभी अभी समाप्त 16वें एशियाड में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले क्वांग चो तैराक चाओ चा वेइ ने पवित्र अग्नि एकत्र की ।4 दिसंबर की सुबह क्वांग चो पैरा एशियाड मशाल रिले की शुरूआत रस्म पेइचिंग में आयोजित हुई ।चीनी उपराष्ट्राध्यक्ष शी चिन पिंग ने मशाल प्रवज्ज्लित की ।मशाल रिले क्वागं तुंग प्रांत के विभिन्न इलाकों में सात दिन तक चल कर 12 दिसंबर को पैरा एशियाड के उद्घाटन समारोह के स्थल पर पहुंचेगी ।

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