इधर के 5 वर्षो में चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश ने केंद्र सरकार के बड़े समर्थन में संरक्षण,बचाव,युक्तिसंगत प्रयोग और विकास की कार्य-उसूल अपनाते हुए अपने गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की खुदाई व रक्षा में भारी उपलब्धियां हासिल की हैं।इससे तिब्बत में गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण संबंधी अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाएं संतोषजनक रूप से पूरी की गई है और राष्ट्र,प्रदेश,शहर व काऊंटी जैसे 4 स्तरों पर गैरभौकित सांस्कृतिक अवशेषों की नामसूचियां बनाने की व्यवस्था कायम हुई है,इसके साथ-साथ गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों के प्रतिनिधित्व वाले कुछ मुद्दों के उतराधिकारियों को भी अच्छा समर्थन व प्रशिक्षण मिला है।
इधर के वर्षों में तिब्बत की राजधानी ल्हासा के पास-पड़ोस के इलाकों में तिब्बती आँपेरा मंडलियां काफी लोकप्रिय हैं।न्यांग रेअ टाउनशिप की तिब्बती आँपरा मंडली उनमें से है। इस मंडली के तमाम सदस्य स्थानीय किसान हैं,तो भी उन सब का गाने,नाचने व अभिनय करने का कौशल पेशेवर कलाकारों से जरा कम नहीं है।इस मंडली के निदेशक लोसांगत्सीरन ने कहा,
`तिब्बती आँपेरा की 8 प्रमुख परंपरागत कृतियों में से 5 के मंचन में हमारी मंडली सक्षम हो गई है।अन्य 3 कृतियों के प्रस्तुतीकरण के लिए हम तिब्बती आँपरा के एक विख्यात मास्टर के निर्देशन में कोशिश कर रहे हैं।`
तिब्बती आँपेरा तिब्बती संस्कृति का जीवित जीवाश्म माना गया है।इधर के सालों में केंद्र सरकार और स्थानीय सरकार ने तिब्बती आँपेरा की लोकप्रियता की आम जांच,संबद्ध अनुसंधान,संरक्षण एवं विकास,तिब्बती आँपेरा पर पुस्तकों व वीडियो-फिल्मों के प्रकाशन में 1 करोड़ य्वान से ज्यादा धन-राशि लगाई है।उल्लेखनीय है कि तिब्बती आँपेरा बतौर एक कला आम लोगों में पहले से कहीं ज्यादा लोकप्रिय हो गई है और वर्ष 2009 में वह यूनेस्को की गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की सूची में शामिल की गई।तिब्बती जातीय कला अनुसंधानशाला के शोधकर्ता तानज़नत्सीरन का कहना था,
`पहले हमें सब से बड़ी चिन्ता सताती थी इस बात की कि तिब्बती आँपेरा कहीं लुप्त न हो जाए।सर्वविदित है कि कोई भी आँपेरा बहुआयामी कला है,जिसमें गाने,नाचने और अभिनय करने के उच्च स्तर की मांग होती है।इसलिए उस का मंचन करना बेहद मुश्किल है।वर्तमान हकीकत यह है कि आम लोगों में तिब्बती आँपेरा के प्रति रूचि बढ़ती जा रही है।केवल त्वी त लुंग छिंग काऊँटी में 9 तिब्बती आँपेरा मंडलियां सक्रिय हैं।पूरे तिब्बत प्रदेश में इस तरह की मंडलियों की संख्या 200 से अधिक है।
वर्ष 2005 में चीनी राज्य परिषद ने गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों के संरक्षण का अभियान शुरू किया।तब से अब तक तिब्बत में बहुत से कीमती गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों को कारगर संरक्षण प्राप्त हुआ है।ल्हासा के लांग मा और ला त्सी त्वी श्ये आदि 76 किस्मों की कलाकृतियां राष्ट्रीय गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों में शामिल की गई हैं।`गेसार गाथा`की प्रस्तुती करने वाले मास्टर त्सीरनज़ैनत्वी और तिब्बती चित्रकला—टंगा के मास्टर तानबाराओतान आदि 53 तिब्बती कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर के गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों के उतराधिकारी का दर्जा दिया गया है।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के संस्कृति ब्यूरो की उपप्रभारी रन शु-छुंग ने कहा,
`भावी 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान हम गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों से जुड़ी परियोजना के तहत विशेष सांस्कृतिक ब्रांड बनाएंगे और कोशिश करेंगे कि इस योजना के आखिरी काल तक 100 से अधिक संबद्ध मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर के और कोई 300 मुद्दों को प्रदेशीय स्तर के गैरभौतिक सांस्कृतिक अवशेषों की सूचियों में डाला जाए,ताकि तिबब्त यथाशीघ्र चीनी राष्ट्र का विशेष सांस्कृतिक संरक्षक स्थान बने।