चीन के सिनच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश में एक ऐसी कलाकार हैं, जो सिनच्यांग की जातीय संस्कृति से बहुत प्यार करती हैं। वे सिनच्यांग की जातीय रीति रिवाज़ों को लोक कला के तरीकों से प्रदर्शित करती हैं। उनके तमाम चित्रों को कई बार देश विदेश में पुरस्कार मिल चुके हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने 30 से ज़्यादा कला लेखों का प्रकाशन भी किया है। हम एक साथ इस सिनच्यांग की कलाकार छिन ईंग से रू-ब-रू होंगे।
पिछले 50 सालों से छिन ईंग दिन रात मेहनत कर चित्र बना रही हैं। लेकिन, उनका जीवन मुश्किलों से भरा रहा है। बचपन में उनके पिता जी का निधन हो गया। वर्ष 1959 में वे अपनी दो बहनों व माता जी के साथ सिनच्यांग आयीं। उस वक्त उनकी मां केवल दूसरों के कपड़े धोकर पैसे कमाती थीं। रोज़ स्कूल से लौटने के बाद छिन ईंग अपनी मां के साथ कपड़े धोती थीं, खाना पकाती थीं और घर का काम करती थीं। लेकिन, थकान व व्यस्त होने के बावजूद वह ज़मीन पर चित्र बनाती थीं।
14 साल की उम्र में छिन ईंग ने कला स्कूल में चित्र बनाना शुरू किया। ऐतिहासिक वजहों से उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। बाद में उन्होंने गांव जाकर खेती का काम करना शुरू किया। लेकिन, वह कहीं भी जाती, चित्र बनाना नहीं छोड़ा। उनके अनुसार,
दूसरे लोगों के लिए आराम का समय है, लेकिन, मेरे पास नहीं है। मैं समय निकालकर चित्र बनाती हूं। रोज़ मैं बहुत कम सोती हूं और खेलती हूं। लेकिन, मेरे विचार में मैं सुखी हूं। मुझे विश्वास है कि लोग मेरे चित्रों को देखकर भी प्रभावित होंगे। मैं आशा करती हूं कि मेरे चित्रों में जो सुन्दरता है, वह लोगों को आशा देगी।
वर्ष 1981 में छिन ईंग को फिर एक बार स्कूल में पढ़ने का मौका मिला। उन्होंने थ्यैनचीन के स्कूल जाकर चित्र बनाना सीखा। सीखते समय सिनच्यांग एवं वेवुर संस्कृति के प्रति छिन ईंग की रूचि बढ़ी।
इससे पहले मैं पूर्ण रूप से अल्पसंख्यक जातियों की सांस्कृतिक सुन्दरता नहीं प्रतिबिंबित कर पाती थी। इसलिए, मैं सोचनी लगी कि किस तरह चित्र बनाऊं , ताकि लोग मेरे चित्रों को देखकर तुरंत अल्पसंख्यक जातियों की सुन्दरता महसूस कर सकें।
यह सवाल हमेशा के लिए छिन ईंग के दिमाग में रहा। चूंकि बहुत छोटे से ही छिन ईंग सिनच्यांग आयी थीं और सिनच्यांग के प्रति उनका गहरा प्रेम था। जब हालिया चित्र सिनच्यांग की सुन्दरता को पूर्ण रूप से प्रतिबिंबित नहीं कर पाते, तो उन्होंने चित्र बनाने के तरीकों को बदलने का निर्णय लिया। उन्होंने एबस्ट्रैक्शनिज्म शैली में चित्र बनाना शुरू किया।
छिन ईंग अमूर्त विचारधारा से यथार्थ जीवन में देखने वाले लोगों व चीज़ों को अमूर्त तरीकों से एक जाति के प्रति अपनी गहरी भावना प्रकट करती हैं और सिनच्यांग वासियों के मन में महसूस को चित्र के रूप में प्रतिबिंबित करती हैं। सुश्री छिन ईंग के अनुसार,
मैं खुद हान जाति की हूं, मेरे मन में हान जाति की कई रीति रिवाज़ हैं। लेकिन, मैं लम्बे अरसे तक सिनच्यांग में रही हूं। सिनच्यांग की अल्पसंख्यक जातियों की रीति रिवाज़ों के प्रति मैं परिचित हूं। इसलिए, मैं अपने चित्रों के जरिये यह बताना चाहती हूं कि हान जाति की नज़र में सिनच्यांग कैसा है।
छिन ईंग ने पता चला कि इस्लाम धर्म में विश्वास रखने वाली वेवुर जाति के चित्रकला में लोगों के चित्र बहुत कम है। वे दुनिया को पूरे सिनच्यांग का परिचय करना चाहती हैं। इसलिए, उन्होंने सिनच्यांग के इतिहास में अनेक मशहूर आदमियों के चित्र बनाये। उन्होंने कहा,
सिनच्यांग में रीति रिवाज़ एवं अनवरत सांस्कृतिक विरासतें बहुत प्रचुर हैं। यह मुस्लिम लोगों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसलिए, मैंने हान जाति की कला से मुस्लिम लोगों का विवरण किया।
हर एक चित्र बनाने के लिए छिन ईंग चित्र के मुख्य विषय को बड़ा महत्व देती हैं। जातीय रीति रिवाज़ों के अलावा, गीत, संगीत, लोककथाएं आदि सभी उनके रचनाओं के स्रोत हैं। वे अपने चित्रों से लोगों को यह बताना चाहती हैं कि सुन्दरता जीवन के हर पहलू में उपलब्ध है।
छिन ईंग ने लगातार हान जाति व वेवुर जाति के बीच क़लम से एक पुल बनाया। विभिन्न जातियों के बीच मेल मिलाप उनके चित्रों में प्रतिबिंबित होता है। सुश्री छिन ईंग के अनुसार,
चूंकि मैं बचपन से यहां रहती थीं, मैं सिनच्यांग के स्थानीय निवासियों के जीवन से प्रेम करती हूं। मैं इस स्थल से बहुत प्रेम करती हूं और अकसर उनकी गतिविधियों में भी भाग लेती हूं। इसलिए, मेरे चित्रों में जातीय संस्कृति दिखती है।
सुश्री छिन ईंग ने अपने हाथों में कलम से सिन्चयांग के आदमियों, दृश्यों व सुन्दरता को इस रहस्यमय भूमि को जानना चाहने वाले लोगों को परिचय दिया, ताकि सिनच्यांग दुनिया की ओर जा सके और दुनिया सिनच्यांग को जान सके। छिन ईंग ने कहा,
जातीय संस्कृति के प्रति मेरा ज्ञान अपर्याप्त है। मैं अल्पसंख्यक जाति व हान जाति की संस्कृति के द्वारों के बीच में खड़ी हूं। इसलिए, मुझे आम लोगों के जीवन को जानना चाहिए और और अच्छे चित्र बनाना चाहिए।
छिन ईंग एक सफल चित्र कलाकार हैं, साथ ही वे एक पत्नी हैं, माता हैं और नानी भी हैं। एक साथ इतने ज़्यादा जीवन पद संभालने में उन्हें थकान लगी। लेकिन, कला उनकी आजीवन खोज है।उन्होंने किसी स्थिति में चित्र बनाना नहीं छोडा़।
वर्ष 2005 में उन्होंने उरूमछी शहर के अंतरराष्ट्रीय बड़े बाज़ार में एक चित्र कला रूम खोला। रूम में उनके कई चित्र टांगे गए हैं। उनके चित्र अनेक पर्यटकों को पसंद आए। ली लुंग चीन के भीतरी इलाके से आये पर्यटक हैं। उन्होंने कहा,
मुझे कलाकार छिन ईंग के चित्र बहुत पसंद हैं। मुझे लगता है कि उनके चित्रों में परम्परागत जातीय विशेषताएं होती हैं, साथ ही हमारे आधुनिक लोगों के विचारों को भी प्रतिबिंबित किया जाता है।
पर्यटक वांग श्याओयैन ने हमें बताया,
कलाकार छिन ईंग के चित्रों का रंग बहुत प्रचुर है। मुझे बहुत अच्छा लगता है।
श्रोता दोस्तो, छिन ईंग के चित्रों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों ने पसंद किया। आजकल छिन ईंग ने पेइचिंग में निज़ी चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया। छिन ईंग के अनुसार,
हर एक आदमी का अपना शौक व कार्य है। बचपन से ही मुझे चित्र कला पसंद है। मैंने अपनी मेहनत से इसे मेरा कार्य बनाया। मेरे विचार में यह सच्चाई है कि मेहनत के बिना लोग सफलता नहीं हासिल सकते हैं।
छिन ईंग "घास मैदान के प्रति मुहब्बत", "सुदूर स्थल पर" व "बाज़ार जाये" नामक आदि चित्रों में सिनच्यांग एवं अल्पसंख्यक जातियों के प्रति प्रेम पूर्ण रूप से विवरण मिलता है। वर्ष 2003 में चीनी कला संघ, लोक कला व्यवसायिक कमेटी ने छिन ईंग को उल्लेखनीय योगदान पुरस्कार प्रदान किया।
हमें आशा है कि भविष्य में छिन ईंग और श्रेष्ठ चित्र बना सकेंगी।