दोस्तो, 2010 चौथी संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता चीन के थ्यानचिन में हो रही है। चीनी राजकीय विकास व रूपांतरण कमेटी के उपप्रभारी श्ये चेन ह्वा ने चीनी व विदेशी संवाददाताओं के साथ साक्षात्कार में कहा कि चीन में ऊर्जा किफायत व कम निकासी संबंधी काम विशेषकर संरचनात्मक कम निकासी में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त हुई है, जिस ने जलवायु परिवर्तन के मुकाबले के लिये महत्वपूर्ण योगदान किया है। दुनिया को जलवायु परिवर्तन के मुकाबले संबंधी लक्ष्य साकार करने व इस प्रक्रिया को बढ़ाने के लिये समान कोशिश करनी चाहिये।
मौजूदा वार्ता में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संबंधी ढ़ांचागत संधि व टोक्यू प्रोटोकोल में भाग लेने वाले 177 देशों, प्रेक्षक देशों, संयुक्त राष्ट्र संबंधित संस्थाओं, सरकारी व गैरसरकारी संगठनों के 3000 से अधिक व्यक्तियों ने जलवायु परिवर्तन के मुकाबले को केंद्र बना कर गहन रूप से विचार विमर्श किया। चीनी राजकीय विकास व रूपांतरण कमेटी के उपप्रभारी च्ये चेन ह्वा ने इंटरव्यू में कहा कि इधर के वर्षों में चीन ने स्वैच्छिक कम निकासी का लक्ष्य पेश कर ग्रीन हाउस गैस की निकासी कम की और ऊर्जा किफायत कानून, अनवरत ऊर्जा कानून व परिपत्र अर्थव्यवस्था के बढ़ावे का कानून आदि सिलसिलेवार कानून जारी किये तथा ऊर्जा किफायत व पर्यावरण संरक्षण, नव ऊर्जा कार आदि सात उद्योग के समर्थन की पुष्टि की है और इस की घोषणा भी की कि 2020 में सकल जीडीपी में कार्बन उत्सर्जन 2005 के आधार पर 40 से 45 प्रतिशत तक कम होगी। वर्तमान तक चीन में ऊर्जा किफायत व कम निकासी संबंधी काम विशेषकर संरचनात्मक कम निकासी में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त हुई है, जिस ने जलवायु परिवर्तन के मुकाबले के लिये अहम भूमिका अदा की है। उन का कहना है
चार सालों से पहले हम द्वारा बंद ताप बिजली पावर यूनिट की संख्या 6 करोड़ किलोवाट पहुंची और छोड़े पिछड़े लोहा उत्पादन क्षमता 8 करोड़ किलोवाट, पिछड़े इस्पात उत्पादन क्षमता 6 करोड़ किलोवाट व पिछड़े सीमेंट उत्पादन क्षमता 21 करोड़ टन तक पहुंची है।
च्ये ने कहा कि चीन को विकासशील देश के रूप में अर्थव्यवस्था का विकास करना व जनजीवन सुधाराना चाहिये। ओद्योगिकीकरण व शहरीकरण के दौरान ग्रीन हाउस गैस की निकासी में पैदा वृद्धि आवश्यक बात है, लेकिन चीन इस तरह की निकासी को सीमित कर रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के मुकाबला विकसित देशों व विकासमान देशों की समान कोशिश की जरूरत है। उन का कहना है
जब विकसित देश अधिक धनराशि प्रदान करेंगे और अधिक तकनीक का स्थानांतरण करेंगे तो वे अधिक योगदान करेंगे। चीन मानव के हित व मानव के दूरगामी विकास के लिये हरसंभव कोशिश करेगा।
श्ये के विचार में मौजूदा वार्ता वास्तव में इस साल आयोजित कोपेनहेगन सम्मेलन के बाद चौथी वार्ता है। हालांकि कोपेनहेगन सम्मेलन में कोई भी समझौता नहीं संपन्न हुआ, फिर भी जब तक सब सदस्य देश खुले और पारदर्शी, व्यापक रूप से भागीदारी की सिद्धांत के अनुसार अपनी भूमिका अदा करेंगे तब तक सहमतियां प्राप्त हो सकेगी।
(रूपा)