जीवन और समाज कार्यक्रम में मैं ललिता आप सब का हार्दिक स्वागत करती हूं। आज से मैं आप के लिए यह साप्ताहिक कार्यक्रम पेश करूंगी। आशा है आप को यह कार्यक्रम जरूर पसंद आएगा। आज के इस कार्यक्रम में मैं आप को चीन-भारत संयुक्त चिकित्सा दल की हपेइ प्रांत की यात्रा के बारे में एक रिपोर्ट सुनाऊंगी।
संगीत
दोस्तो, चीनी लोगों के लिए डॉक्टर कोटनिस का नाम कोई नया नहीं है। डॉक्टर कोटनिस 1938 में चीन में चिकित्सा सहायता देने के लिए भारत से रवाना हुए थे। उन्होंने चीन के जापान विरोधी युद्ध में बड़ा योगदान दिया था और अपने जीवन की बलि भी दी थी। उन का नाम मित्रता का सेतु बना हुआ है और चीन व भारत की मित्रता की एक मिसाल है। हाल के दिनों में दूसरे चीन-भारत संयुक्त चिकित्सा दल ने हपेइ प्रांत के थांगश्येन कस्बे में निःशुल्क चिकित्सा सेवा दी, जहां डॉक्टर कोटनिस काम करते थे और जहां उन का निधन भी हुआ था।
संगीत
वर्ष 2008 में भारतीय प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की चीन यात्रा के दौरान दोनों प्रधान मंत्रियों की सहमति से चीन-भारत संयुक्त चिकित्सा दल की स्थापना हुई थी। उसी साल चीन और भारत के दस-दस श्रेष्ठ युवा डॉक्टरों से गठित चिकित्सा दल ने थांगश्येन कस्बे में स्थानीय निवासियों को निःशुल्क चिकित्सा दी, जिस की व्यापक प्रशंसा हुई। दो साल बाद चीनी और भारतीय डॉक्टर दुबारा एक साथ हपेइ प्रांत गए और इस मैत्रीपूर्ण गतिविधि को जारी रखा। दूसरे चीन-भारत संयुक्त चिकित्सा दल की निःशुल्क चिकित्सा की आरंभिक रस्म में चीनी वैदेशिक जन मैत्री संघ के अध्यक्ष छन हाओसू ने डॉक्टर कोटनिस की याद करते हुए कहाः
आवाज़ 1
"वर्ष 1938 में डॉक्टर कोटनिस भारतीय कांग्रेस द्वारा गठित चीन की सहायता करने वाले भारतीय मेडिकल मिशन के साथ चीन आए थे। चीन के जापान विरोधी युद्ध में उन्होंने मानवतावादी भावना और वरिष्ठ तकनीक से अनगिनत घायल हुए चीनी सैनिकों का उपचार किया था। दुःख की बात है कि चीन में काम करने के दौरान डॉक्टर कोटनिस की मौत हो गई। उन्होंने चीन के मुक्ति कार्य के लिए अपने जीवन की बलि दी थी और इस तरह वे चीन-भारत मैत्री का स्मारक खड़ा करने के माध्यम बने।"
डॉक्टर कोटनिस चीनी लोगों के हमेशा दोस्त थे और महान अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी सैनिक भी थे। उन की अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी भावना ने सभी चीनियों को प्रभावित किया है। चीन स्थित भारतीय मंत्री राहुल छाब्रा ने कहा कि चीन-भारत संयुक्त चिकित्सा दल की स्थापना डॉक्टर कोटनिस को याद करने का सबसे अच्छा तरीका है। उन्होंने कहाः
आवाज़ 2
"28 वर्षीय डॉक्टर कोटनिस चीनी लोगों की सहायता करने के लिए चीन आए। जब उन की मौत हुई थी, उन की उम्र सिर्फ 32 साल की थी। हालांकि उन का जीवन छोटा था, लेकिन उन्हें चीनी व भारतीय लोगों की हमेशा प्रशंसा मिली है। अगले 10 अक्तूबर को डॉक्टर कोटनिस के जन्म की 100वीं वर्षगांठ होगी। दूसरे संयुक्त चिकित्सा दल की स्थापना उन की स्मृति का सबसे अच्छा तरीका है।"
5 दिवसीय गतिविधि में संयुक्त चिकित्सा दल के सदस्यों ने थांगशिए कस्बे में डॉक्टर कोटनिस स्मारक भवन का दौरा किया, स्थानीय डॉक्टरों के साथ संगोष्ठी की और मुफ्त इलाज भी किया। डॉक्टर कोटनिस की कहानी ने चिकित्सा दल के सभी सदस्यों को प्रभावित किया है। भारतीय डॉक्टर राजेश कुमार धीर ने कहा कि कुछ भारतीय लोगों को डॉक्टर कोटनिस के बारे में पता नहीं है, जबकि चीन में हालांकि 70 साल बीत गए हैं, लेकिन डॉक्टर कोटनिस हमेशा चीनी दोस्तों के दिलों में रहते हैं। एक भारतीय होने के नाते वे बहुत प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहाः
आवाज़ 3
"मुझे चीन आने से पहले डॉक्टर कोटनिस के बारे में बिलकुल पता नहीं था। संयुक्त चिकित्सा दल का सदस्य बनने के बाद मुझे डॉक्टर कोटनिस की कहानी बताई गई। हमारे साहित्य में उन का नाम ज्यादा नहीं है। चीन में जो देखा उस से हम बहुत प्रभावित हैं। जब मैं भारत वापस जाऊंगा, मैं जरूर दोस्तों को चीन में अपना अनुभव बताऊंगा।"
थांगशिए कस्बे के अस्पताल में चिकित्सा दल के सदस्यों ने स्थानीय लोगों का मुफ्त इलाज किया। यह खबर पाकर बहुत से रोगियों ने सुबह-सुबह वहां आकर विदेशी डॉक्टरों का इंतजार किया। डॉक्टर कोटनिस के बारे में उन की भावना कभी नहीं बदली। एक रोगी ने कहाः
आवाज़ 4
"सभी डॉक्टर महान हैं। डॉक्टर कोटनिस और ज्यादा महान थे, क्योंकि वे एक विदेशी थे।"
संयुक्त चिकित्सा दल के डॉक्टरों ने कार्यदल बना करके स्थानीय डॉक्टरों के साथ आदान-प्रदान किया, जिससे दोनों देशों के डॉक्टरों व लोगों के बीच मैत्री बढ़ गई है। चीनी डॉक्टर चू छिंगवन ने कहाः
आवाज़ 5
"बचपन में मैंने डॉक्टर कोटनिस की कहानी सुनी थी। डॉक्टर बनने के बाद मैं हमेशा उन्हें अपना आदर्श मानती हूं। हमारा अस्पताल डॉक्टर कोटनिस मैत्री अस्पताल है। इसलिए मैंने चीन-भारत संयुक्त चिकित्सा दल में भाग लेने का निर्णय लिया। सौभाग्य की बात है अब मैं इस दल की एक सदस्य बन गई हूं। मैं डॉक्टर कोटनिस की अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी भावना जारी रखूंगी।"
सूत्रों के अनुसार इस साल की सर्दियों में चीनी डॉक्टर भारतीय डॉक्टरों के साथ भारत में निःशुल्क चिकित्सा सेवा देंगे और आदान-प्रदान भी करेंगे। हपेइ प्रांत के चिकित्सा विभाग की उप प्रधान यू सूवे ने अपनी आशा प्रकट की। उन्होंने कहाः
आवाज़ 6
"चीनी डॉक्टरों के भारत जाने से न सिर्फ दोनों देशों की आवाजाही व मैत्री, बल्कि दोनों देशों के डॉक्टरों का चिकित्सा स्तर भी बढ़ेगा। आशा है कि चीनी डॉक्टर भारत जाकर चीनियों की मैत्री और नई चिकित्सा तकनीक दिखाएंगे, ताकि दोनों देशों के समान विकास को बढ़ावा दिया जाए।"
अच्छा दोस्तो, हमारा आज का जीवन और समाज कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। अगली बार फिर मिलेंगे। नमस्कार।