चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश के उत्तर पूर्वी सीमांत क्षेत्र की सुन्दर अर्गून नदी के किनारे एक विशेष छोटा कस्बा है, जिसका नाम शीवेई रूसी जातीय काउंटी है। यह चीन की एकमात्र रूसी जातीय काउंटी है, जहां 1700 से ज़्यादा चीनी-रूसी मूल के लोग रहते हैं। इस काउंटी व रूस का ऑल्वोछी गांव अर्गून नदी के दो किनारों पर स्थित हैं। आज हम एक साथ शीवेई रूसी जातीय काउंटी में प्रवेश करेंगे और गहरी रूसी रीति रिवाज के बारे में जानेंगे।
शीवेई रूसी जातीय काउंटी में प्रवेश करने के बाद हमने रंगीन लकड़ी के मकान, फूलों से भरे पार्क, काले बाल नीली आंखें एवं सफ़ेद खाल वाले लोगों को देखा। इतना ही नहीं, यहां चीन में रूसी मूल के नागरिकों के पुराने फोटो भी देखे जा सकते हैं। हमने सबसे पहले ईवेन नामक एक 88 वर्षीय वरिष्ठ व्यक्ति से मुलाकात की। वे यहां चीनी-रूसी मूल के पहले व्यक्ति हैं। वे शांत व सुखमय जीवन बिता रहे हैं। ईवेन ने हमें बताया कि ईवेन उनका रूसी नाम है, जबकि उनका चीनी नाम छ्वू छनशैन है।
वर्ष 1900 में रूस ने रूस में रेल लाईनों का निर्माण करने के लिए चीन से कई मज़दूरों को भर्ती किया। इन मज़दूरों में से अधिकांश युवक थे। उन्होंने रूसी लड़कियों से विवाह किया। बाद में स्वदेश वापस लौटने के बाद अर्गून नदी के किनारे की कुछ गांवों में रहने लगे। उनके बच्चे अर्गून शहर के सबसे पुराने चीनी-रूसी मूल के लोग थे। इसके अलावा, 20 वीं शताब्दी की शुरूआत में चीन के ह पेई एवं शान तुंग आदि स्थलों को लगातार मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कई युवक क्वैन तुंग को पार कर अर्गून क्षेत्र पहुंचे। उन्होंने यहां रहने वाली रूसी लड़कियों से विवाह किया। उनके बेटे भी सबसे पहले के चीनी-रूसी मूल के लोग बने, जिनमें ईवेन के माता-पिता भी शामिल हैं।
अर्गून नदी के किनारे चीनियों व रूसियों के बीच विवाह बहुत लोकप्रिय है। लम्बे अरसे से कई चीनी-रूसी मूल के लोगों की पोते-पोतियां चीन की भूमि में रहते हैं और यहां एक विशेष बस्ती स्थान बन गयी। वे स्थानीय लोगों से मेल से रहते हैं और इस भूमि में पूर्ण रूप से शामिल करते हैं।
अभी तक, यहां रूसी सांस्कृतिक जीवन के रीति रिवाज बरकरार रखे गए हैं। वे मूख्लन नामक परम्परागत मकानों में रहते हैं, ब्रैड एवं क्रीम खाते हैं और आंगन में फूल उगाते हैं। विखटो ने परिचय देते समय बताया,
आम तौर पर अब हमारे दैनिक जीवन की आदत चीनी स्टाइल की है। कभी कभी हम रूसी स्टाइल वाले भोजन भी खाते हैं। चीन के परम्परागत त्यौहार द्वेन वू पर्व पर हम जुंग ज़ी नामक चीनी खाना बनाते हैं, जबकि बास्ख फेस्टिवल पर हम रंगीन अंडा दबाते हैं।
चूंकि शीवेई गांव उत्तरी चीन के सीमांत क्षेत्र में स्थित है, वहां का मौसम खराब है और यातायात असुविधा है। पहले शीवेई रूसी जातीय काउंटी का अर्थतंत्र अपेक्षाकृत पिछड़ा था। वर्ष 2003 में अर्गून म्युनिसिपल की सरकार के नेतृत्व में विशेष प्राकृतिक दृश्य एवं जातीय रीति रिवाजों के सहारे, शीवेई में 90 प्रतिशत नागरिकों ने विभिन्न तरीकों से रूसी परिवार का जीवन महसूस करे नामक पर्यटन का व्यवसाय करना शुरू किया। इसके बाद स्थानीय लोगों का जीवन दिन ब दिन समृद्ध होने लगा है। रूसी जातीय गांव का नाम भी दूर तक विख्यात होने लगा।
चांग च्यैनह्वा स्थानीय सुयोग्य महिला हैं। कई वर्ष पहले, उन्होंने सरकार के आह्वान पर फार्म में काम करना छोड़ दिया और रूसी परिवार का जीवन महसूस करें पर्यटन व्यवसाय शुरू किया। जब हम उनसे मिले, तो वे अपने आंगन में व्यवस्त थी। उनका घर बहुत साफ़ सुथरा है। लकड़ियों से बनाए गए रूसी स्टाइल वाले मकान की खिड़कियों पर खुदी पैटर्न के साथ सजाया गया है। घर में रूसी स्टाइल के फ़र्नीचर भी रखे गए हैं, जो बहुत सुन्दर लगते हैं। च्यांग च्यैनह्वा के घर में प्रवेश करते ही हम मानो किसी एक रूसी के घर में आ गए हों।
चांग च्यैनह्वा व उनके पति हैन चीनज़ी सभी चीनी-रूसी मूल के लोगों के बच्चे हैं। उनके घर में रूसियों की जीवन आदत अभी तक बरकरार रखी हैं। लेकिन, देखने में चांग च्यैनह्वा बिलकुल चीनी की तरह है, जबकि उन के पति रूसी जैसे हैं। लेकिन, वे दोनों रूसी नहीं बोल पाते हैं।
इधर के वर्षों में उनका रूसी घर बहुत लोकप्रिय हुआ है। रात को कुछ पर्यटक च्यांग च्यैनह्वा के रूसी घर पहुंचे। यह 30 व्यक्तियों का एक पर्यटन दल है। वे हज़ारों किमी. दूरी फ़ू च्यैन प्रांत के श्यामन से यहां आये हैं। च्यांग च्यैनह्वा ने कहा कि गर्मियों के मौसम में उनके रूसी घर में रोज़ इसी तरह के पर्यटन दल आते हैं।
पर्यटकों का डिनर च्यांग च्यैनह्वा ने खुद बनाया है, जो रूसी स्टाइल में है। पर्यटक ल्यू ने कहा, हूल्वनपेर घास मैदान बहुत मशहूर है। हमारी वर्तमान यात्रा बहुत अच्छी रही। मुझे लगा कि रूसी जाति के लोग बहुत गर्म है और मैत्रीपूर्ण भी है।
शीवेई रूसी जातीय गांव में पारिवारिक पर्यटन का तेज़ी से विकास हो रहा है। विभिन्न पारिवारिक पर्यटन स्थलों के विशेष नाम हैं, मिसाल के लिए, खछोशा, दुनिया एवं नादाशा आदि। छोटे लकड़ी के मकान बहुत सुन्दर दिखते हैं। शीवेई में बीसों इसी तरह का पारिवारिक पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें स्थानीय सरकार ने भत्ता दिया। इससे पहले, ये लोग आसपास के फ़ार्मों व चरागाहों में काम करते थे, जो बहुत कम आमदनी कमा सकते थे। च्यांग च्यैनह्वा ने हमें बताया, जब हमने पर्यटन का व्यवसाय करना शुरू किया, तो कुछ स्थानीय लोगों ने संदेह जताया कि यहां पर्यटन का विकास कैसे होगा। लेकिन, दो महीने में हमने 10 हज़ार य्वान कमाये। हमें बड़ी खुशी हुई। पिछले दो वर्षों में हमने कुल मिलाकर लाखों चीनी य्वान कमाये हैं। भविष्य के प्रति हमें पक्का विश्वास है।
सुश्री मरोशा की उम्र 70 से ज़्यादा है, फिर भी देखने में वे केवल 50 से ज़्यादा की उम्र की लगती हैं। वे शीवेई में रूसी घर चलाती हैं। उन्होंने हमें अपनी दो बार की रूस यात्राके बारे में बताया, वर्ष 1983 में हमने अपनी पोती को लेकर रूस की यात्रा की। उस समय हमने देखा कि रूसी लोगों का जीवन बहुत अच्छा था। उनके पास निजी वाहन थे। लेकिन, हमारे पास नहीं थे, यहां तक की घर में बिजली भी नहीं थी। लेकिन, गत वर्ष हम ने फिर एक बार रूस की यात्रा की, तो हमें लगा कि उनकी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आया, जबकि हमारा जीवन बदल गया है। अब हमारा जीवन उनसे भी बेहतर है। मेरी पोती ने भी कहा कि हम उनसे बेहतर हैं।
मरोशा की तरह फ़िलहाल रूसी जातीय गांव के लोग अपने जीवन को लेकर बहुत संतुष्ट हैं। मुस्कराहट उनके मुंख पर रहती है। उन्हें विश्वास है कि इसी भूमि सुन्दर व उज्जवल भविष्य होगा।