2010 शांगहाए विश्व मेला यानी शांगहाए एक्सपो का मुख्य विषय -- शहर जीवन को अधिक सुन्दर बनाएगा-- रखा है। हाल ही में पेइचिंग मंच में दिखाया जा रहा विश्व मेला बाल ओपेरा हाएपाओ , बच्चों को किस तरह अपने शहर के सुन्दर भविष्य को चुनना सिखाता है। ओपेरा प्रदर्शन के दौर में ही नन्हे दर्शक अपनी पसंद के मुताबिक ओपेरा में प्रदर्शित शहर के नये जीवन को और अधिक सुन्दर बनाने में अपनी रायें पेश करते हैं। बच्चों के साथ इस ओपेरा को देखने आए उनके माता पिता ने कहा कि बच्चों को बचपन से ही पर्यावरण की सुरक्षा करने वाले जीवन तरीके को चुनने की समझ को बढ़ाने पर ही शहर के विकास के लिए एक अच्छी नींव डाली जा सकती है।
बाल ओपेरा हाएपाओ पेइचिंग बाल कला ओपेरा मंडली द्वारा खास तौर पर बच्चों के लिए निर्मित एक रौचक ओपेरा है, विश्व मेले के शुभंकर हाएपाओ को इस बाल ओपेरा का मुख्य पात्र चुना गया है। ओपेरा की कहानी एक मनोरम रेनबो शहर पर आधारित है। मुख्य पात्र हाएपाओ की मां रेनबो परी अपने सात रंगो के उर्जा से दिन रात इस जगह की रक्षा करती आयी है, विश्व में जब अन्य शहर उर्जा किफायत, पर्यावरण संरक्षण की चिन्ताओं से जूझ रहे थे , तो रेनबो शहर के निवासी कब से चैन की नींद सो रहे थे, वे बहुत पहले से ही जीवन में उर्जा की फजूल खपत पर भारी ध्यान देते रहे हैं। लेकिन एक दिन रेनबो शहर की सुरक्षा कर रहा उर्जा अचानक गायब हो जाता है , पूरा शहर बिना बिजली ,बिना पानी व कचरा कूड़े से भरे एक गन्दे शहर में डूब गया, पर्यावरण गंभीर रूप से प्रदूषित हुआ। बाल ओपेरा हाएपाओं के निर्देशक साओ चे हुए ने इस ओपेरा की जानकारी देते हुए कहा ओपेरा की कहानी में रेनबो शहर को दुनिया की सबसे नयी उर्जा व सबसे हाई टैक से संचालन करने की शक्ति का रूप दिया है, इस दौर में थोड़ा फजूल खर्चा होने व थोड़ा ज्यादा प्रदूषण पैदा होने पर भी , वहां के लोग इस समस्या का आसानी से हल कर सकते हैं। अचानक एक दिन इस शहर की सौन्दर्य पर्यावरण की सुरक्षा करने वाली रेनबो परी की उर्जा को नष्ट कर दिया गया, पूरा शहर एकाएक भारी प्रदूषित शहर बन गया, सारी जगह फैंके कूड़ा कचरे ने पूरे वातावरण को बिगाड़ डाला। हम इस तरह की कहानी निर्मित कर असल में यह दिखाना चाहते हैं कि चाहे दुनिया के पास कितनी विकसित तकनीक क्यों न हों, चाहे उसे कितनी उच्च क्षमता हासिल क्यों न हों, तो भी हमें उर्जा किफायत पर्यावरण के आधार पर कम कार्बन जीवन तरीके पर चलना चाहिए, ये हमारे जीवन का एक मात्र चिरस्थायी तरीका होगा।
केवल सात रेनबो उर्जा पत्थर ढूंढ लाने पर ही रेनबो शहर की पुरानी रंगीन चमक को वापस लाया जा सकता है। इस के लिए हाएपाओ और उनके नन्हे साथियों ने एक छोटे रेनबो दल की स्थापना कर इस कठिन व जटिल मिशन को पूरा करने का निश्चय लिया, वे अपने सुन्दर शहर के रूप को वापस लाने के लिए रवाना हो गए। नन्हे दर्शक भी इस कहानी के साथ साथ चलने लगे। जब रेनबो दल बिजली देवी के किले पर पहुंचा तो लोगों द्वारा फैके रददी घरेलु विद्युत यंत्र के ढेर में अपना रास्ता खो बैठे । पुराने घरेलु विद्युत यंत्रो ने रेनबो निवासियों की निन्दा करते हुए कहा कि वे रात भर बत्ती जला कर सोते हैं, पूरे साल एयर कन्डीशन का इस्तेमाल करते हैं, यहां तक कि गर्मी को सर्दी और सर्दी को गर्मी मानकर जीवन बिताते आए हैं। रेनबो दल ने भी अपने शब्दों से अपने जीवन तरीके की सफाई पेश कर अपने पक्ष को मजबूत किया। बिजली देवी ने उनके अड़ियल रूख को देखते हुए उनकी मदद करने को तब तक मदद देने से इन्कार कर दिया जब तक वे अपने जीवन के रूख को बदल न लें। इस नाजुक घड़ी में ओपेरा देख रहे नन्हे दर्शकों ने अपनी सीटों से उठकर रेनबो दल से गल्ती स्वीकार कर उर्जा किफायत के रास्ते को अपनाने की आवाजें लगायी।
पेइचिंग बाल कला ओपेरा मंडली लिमेटिड कम्पनी की जनरल मेनेजर सुश्री वांग इंग ने इस ओपेरा की चर्चा करते हुए कहा कि हमारी कहानी का मकसद बच्चों को खुद ब खुद अपने आने वाले शहर को चुनना है। उन्होने कहा बच्चों का चुनाव हमारे भविष्य शहर का निर्णय होगा , ये हमारी इस कहानी का असली मकसद है। इस ओपेरा की कहानी का निर्माण करते समय हमने कहानी के हर एक दौर में बच्चों को कहानी के भविष्य को खुद तय करने के लिए छोड़ दिया था ,यदि बच्चों ने पर्यवारण संरक्षण, उर्जा किफायत और सफाई की दिशा को चुना, तो ओपेरा की कहानी उनके चुने विषयों पर आगे बढ़ती जाएगी, ओपेरा में नन्हे दर्शकों व बच्चों की भागीदारी हमारी ओपेरा की कहानी की एक चमकती खूबी है।
बाल ओपेरा हाएपाओ को चार से पांच एपीसोड में बांटा गया है। इन में जल संसाधन सूख जाना, कूड़े कचरे से पैदा प्रदूषण तथा गन्दी व निकासित प्रदूषित वायु के मौसम पर पड़ने वाले प्रभाव जैसे विषय शामिल हैं। जब रेनबो दल अपनी गल्तियों को अस्वीकार करने की मुश्किलों में जा फंसा, तो थियेटर में ओपेरा देख रहे सभी नन्हे दर्शक बैचेनी से अलग अलग आवाजों में उनकों रायें दी कि वे पानी का इस्तेमाल कर लेने के बाद नल को अच्छी तरह बन्द कर दें, मिनरल वाटर की खाली बोतल को निश्चित कूड़ेदान में डालें, इस तरह ओपेरा की कहानी लगातार नन्हे बच्चों की भागीदारी के साथ साथ आगे बढ़ती रही, स्टेज के छोटे बच्चे कलाकार भी उनकी रायों के मुताबिक एक एक उर्जा पत्थर को ढूंढ निकालने में आखिर सफल रहें।
नन्हे दर्शकों के इतनी बड़ी उत्सुकता से ओपेरा की कहानी में भाग लेने से ओपेरा के खतम होने पर भी उनकी उमंग उतनी ही ऊंची बनी रही। हमारे संवाददाता ने एक छोटे दर्शक से पूछा तो उन्होने तुरन्त जवाब दिया कि उन्हे यह ओपेरा बहुत ही पंसद आया है, वे अपने सीखे ज्ञानों से स्टेज के कलाकारों को मदद करने के लिए बड़े उत्सुक हैं। नौ साल की बालिका श्याओ ची छी ने कहा पानी की किफायत, पर्यवारण की सुरक्षा व बिजली की किफायत करना हमारा फर्ज है। हमें पानी का इस्तेमाल करने के बाद नल को बन्द कर देना चाहिए, यदि पलास्टिक बोतल को फैंकना हो तो उसे निश्चित कूड़ेदान में डालना चाहिए। इस ओपेरा ने हमें पानी की किफायत करना, पर्यावरण की सुरक्षा व बिजली की किफायत करने की बातें सिखायी हैं।
बालिका श्याओ ची छी की मां च्या सू येन ने हमें बताया कि इस तरह के ओपेरा की कहानी हमारे केवल मुंह से बोलने वाली शिक्षा से कहीं ज्यादा बच्चों पर असर डालती है। उन्होने कहा मेरे ख्याल में यह प्रोग्राम बहुत ही अच्छा है, बच्चों की शिक्षा के लिए बड़ी फायदेमंद है। हमारे आज के बच्चे बहुत ही बेहतरीन स्थिति में जीवन बिता रहे हैं, घरों की परिस्थिति भी बहुत अच्छी है। बिजली व पानी की किफायत करना हालांकि हम भी उन्हे बताते रहते हैं, तो भी इस ओपेरा में खुद ब खुद भाग ले कर इन बातों को जानना उनके लिए कहीं बेहतर है, बच्चे आपस में अपनी रायों से एक दूसरे की मदद करने की बातें सीखते हैं, ये बच्चों की शिक्षा के लिए भारी महत्व रखती है।