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संयुक्त चिकित्सा मिशन चीन की यात्रा
2010-09-06 10:55:14
पिछले हफ्ते संयुक्त चिकित्सा मिशन-भाग 2(Joint Medical Mission Part2) के तहत चीन की यात्रा करने आए भारत के 5 सदस्यीय चिकित्सक प्रतिनिधि मंडल के साथ बिताए एक सप्ताह के अनुभव के बारे में आपको संक्षेप में बताने का प्रयास कर रही हूँ। वर्ष 2010 संयुक्त चिकित्सा मिशन-भाग 2 का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है, इस के दो कारण हैं।एक,भारत-चीन के राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ और दूसरा,इस वर्ष डॉ. कोटनिस की शताब्दी जयंती। संयुक्त चिकित्सा मिशन-भाग 2 का आयोजन चीनी जन वैदेशिक मैत्री संघ और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के सौजन्य से किया गया था।

भारत के इस 5 सदस्यीय चिकित्सक प्रतिनिधि मंडल का चीन का दौरा औपचारिक तौर पर 17 अगस्त को शुरु हुआ। 17 अगस्त को मंडल के स्वागत में एक भव्य सत्कार समारोह आयोजित हुआ। इस में दोनों देशों के बड़े नेताओं ने भाग लिया। चीनी जन वैदेशिक मैत्री संघ के छन हाओसू के अलावा चीन-भारत मैत्री संघ के चांग चेनह्वा भी मौजूद थे। उन्होंने कहा विश्व में सबसे प्राचीन सभ्यता वाले देशों में से दो होने के नाते चीन और भारत मैत्रीपूर्ण पड़ोसी देश हैं। दोनों के बीच आवाजाही का इतिहास भी बहुत पुराना है। दो हज़ार वर्षों से भी अधिक लंबे समय में चीन और भारत आदान प्रदान के जरिए दोस्ती को आगे बढ़ा रहे हैं। और साथ ही डाक्टर कोटनिस ने चीनी जनता की मुक्ति के लिए अपनी जान अर्पित की। इन सब लोगों की चीनी और भारतीय जनता के दिल में गहरी छाप पड़ी और दूरगामी प्रभाव देखने में आया। चीनी जन वैदेशिक मैत्री संघ और चीन-भारत मैत्री संघ मिलकर दोनों देशों में संयुक्त चिकित्सा मिशन-भाग 2(Joint Medical Mission Part2) के माध्यम से जन-सेवा का कार्य करेंगे। विश्व में दो बड़े विकासमान देशों के नाते चीन और भारत विश्व शांति व मानव विकास में बड़ा योगदान कर रहे हैं, हालांकि विश्व की दो सबसे घनी आबादी संपन्न होने के नाते अभी भी दोनों देशों में कई लोग गरीबी - रेखा से नीचे रह रहे हैं,जिन्हें अभी भी चिकित्सा सेवाएँ तथा दवाएँ उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए इस वर्ग को हमारी मदद तथा साथ की आवश्यकता है।

इसलिए चीन-भारत मैत्री को आगे बढ़ाते हुए और डॉ. कोटनिस की अंतर्राष्ट्रीयता की भावना को आगे ले जाते हुए, जहाँ मकसद केवल बीमार और असहाय की मदद करना है, संयुक्त चिकित्सा मिशन (Joint Medical Mission) दोनों देशों के समाज के ऐसे तबके के लोगों के लिए काम करेंगे जिन्हें उचित चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है। यह विश्व शांति, स्थिरता व समान विकास के लिए लाभदायक है। साथ ही हमारा कर्तव्य भी है। इस तरह की आवाजाही से चीन-भारत दोनों देशों का संबंध और सुदृढ़ होगा।

सत्कार समारोह के पश्चात संयुक्त चिकित्सा मिशन-भाग 2 के 10 चिकित्सक --5 भारतीय तथा 5 चीनी चिकित्सकों ने सफेद ध्वज हाथों में लेकर इस मिशन के शुभारम्भ के साथ-साथ इसकी सफलता की भी कामना की। उसके पश्चात छन हाओसू, चांग चेनह्वा तथा राहुल छाबड़ा ने मिलकर रिबन काटकर डॉ. कोटनिस की चित्र-प्रदर्शनी का शुभारम्भ किया। समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों ने इस प्रदर्शनी के दर्शन किया।प्रदर्शनी में डॉ. कोटनिस के चीन में बिताए वर्षों तथा संघर्षो का चित्रण बखूबी किया गया था।

इस प्रकार इस महान मिशन की औपचारिक शुरुआत हुई। अगले 4 दिन यानि 18 से 21 अगस्त तक संयुक्त चिकित्सा मिशन-भाग 2 के 10 ई.एन.टी चिकित्सक हपे प्रांत की थांगशियन काऊंटी तथा शिजियाजुआंग जो हपे प्रांत की राजधानी है में जाकर वहाँ के अस्पतालों का दौरा करेंगे, वहाँ के असहाय मरीजों का इलाज करेंगे तथा दवाओं और चिकित्सा उपकरणों का दान करेंगे। साथ-साथ चीनी चिकित्सकों के साथ मिलकर अपनी चिकित्सा संबंधी जानकारियों का भी आदान-प्रदान करेंगे।

श्रोताओ, अब मैं आपको अपने साथ-साथ संयुक्त चिकित्सा मिशन-भाग 2 के 10 ई.एन.टी चिकित्सकों के साथ हपे प्रांत में बिताए 4 दिन का अनुभव बताने जा रही हूँ।

संयुक्त चिकित्सा मिशन-भाग 2 के 10 ई.एन.टी चिकित्सक बीजिंग से हपे प्रांत की थांगशियन काऊंटी के लिए 18 अगस्त की सुबह रवाना हुए। हपे प्रांत बीजिंग से लगभग 300 कि.मी की दूरी पर स्थित है। यह प्रांत पहाड़ों से घिरा हुआ है। सौभाग्य से उस दिन मौसम भी बहुत सुहावना था, हल्की-हल्की बारिश हो रही थी। थांगशियन काऊंटी पहुँचने में हमें 3 घंटे का समय लगा। 3 घंटे कैसे बीत गए ये हम में से किसी को पता नहीं चला। रास्ते में चीन की सड़कों और राजमार्गों की तारीफ करते हुए भारतीय चिकित्सक अपने साथी चीनी चिकित्सकों को जानने, उनके साथ बातें करने में, चीन की चिकित्सा प्रणाली को समझते हुए, ई.एन.टी संबंधित बीमारियों के चीनी तथा अंग्रेजी नाम समझते, समझाते हुए इतने व्यस्त रहे कि थांगशियन काऊंटी कब आ गई पता ही नहीं चला।दोपहर बारह बजे थांगशियन जन सरकार के उपाध्यक्ष श्री श्वे हाओयिन ने संयुक्त चिकित्सा मिशन-भाग 2 के 10 ई.एन.टी चिकित्सकों का न केवल भव्य स्वागत किया बल्कि आने वाले दो पूरे दिनों तक वे इस मंडल के साथ रहे तथा उस दिन दोपहर के भोजन के समय उन्होंने हमें बताया कि थांगशियन काऊंटी की जनसंख्या लगभग 40,000 है। उन्होंने हमें ये भी बताया कि किस प्रकार डॉ. कोटनिस को आज भी यहाँ सराहा जाता है तथा उन की पूजा की जाती है।दोपहर के भोजन के बाद संयुक्त चिकित्सा मिशन-भाग 2 के 10 ई.एन.टी चिकित्सकों ने डॉ. कोटनिस तथा डॉ.बैथयून मैमोरियल हॉल(स्मृति भवन) का दौरा किया। जहाँ आज भी डॉ. कोटनिस लोगों की यादों में जीवंत है, वहाँ आज भी डॉ. कोटनिस द्वारा प्रयोग किए गए चिकित्सा उपकरणों व उनके वस्त्रों को सहेज कर रखा गया है। न केवल इतना वे हर साल उनकी वर्षगांठ तथा पुण्य स्मृति मनाते हैं। चीन में बिताए समय, उनके संघर्ष और उनकी सेवा भावना को चित्रों के रूप में इस मैमोरियल हॉल में बेहद सम्मान व प्यार से प्रदर्शित व अभिव्यक्त किया गया है,जिसे देख चिकित्सकों की आँखें नम हो गईं। इतना ही नहीं जब सब दर्शन कर बाहर आ रहे थे तो जो देखा उसके बाद सभी अचंभित रह गए। मूसलाधार वर्षा में एक माँ अपने बच्चे के साथ मैमोरियल हॉल में प्रवेश कर रही थीं। भारतीय चिकित्सकों ने यह देख कहा कि महान है ये देश जिन्होंने 70 वर्ष पश्चात भी अपने बच्चों को महान डॉ. कोटनिस के बारे में बताना नहीं भूले। यह सुन चीनी चिकित्सकों ने कहा कि चीन में कहा जाता है जो आपके बुरे समय में मदद करे उसका आजीवन आभार मानना चाहिए। डॉ. कोटनिस ने ऐसा किया, उनकी कहानियों के पाठ यहाँ के स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित हैं। डॉ. कोटनिस के बारे में इतने विस्तार से जानकर भारतीय चिकित्सकों में से एक ने बताया कि वे उसी विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं जहाँ से डॉ. कोटनिस ने डॉक्टरी पढ़ाई की थी। उनके बारे में चीन में इतना जानने के बाद सब ने कहा कि डॉ. कोटनिस की समर्णपन भावना और अपने काम के प्रति इतना लगाव देखकर वे भी उनसे प्रेरित हुए हैं।

डॉ. कोटनिस तथा डॉ.बैथयून मैमोरियल हॉल(स्मृति भवन) का दौरा करने के बाद संयुक्त चिकित्सा मिशन-भाग2 के 10 ई.एन.टी चिकित्सकों की टोली ने तंगशियन काऊंटी में चंगगू टाऊन अस्पताल का दौरा किया तथा संबंधित अधिकारियों से कई सवाल-जवाब किए, वहाँ भर्ती मरीजों से बातचीत भी की। वह चीन के मानक स्तर के अनुसार ग्रेड2 लेवल ए अस्पताल हैं जहाँ 30 मरीजों के लिए रहने का प्रबंध है, 20 चिकित्सक तथा 80 नर्सें तथा अन्य मेडिकल स्टाफ पूरे समय के लिए मौजूद है। इस अस्पताल में हर माह 60 नवजात शिशु पैदा होते हैं। यहाँ का दौरा करने के बाद भारतीय चिकित्सकों ने कहा कि यहाँ की सुविधाओं का स्तर काफी ऊँचा है और वे यहाँ के काम-काज को देखकर बहुत संतुष्ट हैं। इसके साथ-साथ उन्होंने चीनी चिकित्सकों को भारत में जिला स्तर के अस्पताल की जानकारी भी दी।

इस प्रकार संयुक्त चिकित्सा मिशन-भाग2 का पहला दिन थांगशियन काऊंटी में जहाँ डॉ. कोटनिस ने अपना अधिकांश समय बिताया था, सफलतापूर्वक समाप्त हुआ। हम अपने अगले कार्यक्रम में आपको अगले 3 दिनों के बारे में बताएँगे। तब तक के लिए इज्जाजत दें, नमस्कार।

हेमा कृपलानी

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