इन सालों में दुनिया में चीनी भाषा सीखने की उंमग तेजी से उभर रही है। अधिकतर चीनी भाषा सीखने वाले विदेशियों के लिए, चीनी भाषा के वर्णमाला स्वर की माहिरता को हासिल करना, चीनी भाषा सीखने की महत्वपूर्ण बुनियाद मानी जाती है। हाल ही में हमारे संवाददाता ने चीनी भाषा वर्णमाला स्वर के वरिष्ठ विज्ञानी व चीनी अक्षर शास्त्र के विशेषज्ञ चओ यो क्वांग से मुलाकात की।
वर्तमान 104 साल आयु के वरिष्ठ विज्ञानी चओ यो क्वांग पेइचिंग के छाओयांग इलाके में रहते हैं। जब हमारे संवाददाता उनके घर पहुंचे तो वे अपने पुस्तकशाला में किताब पढ़ रहे थे। इतनी बड़ी उम्र में भी वे चुस्त दिख रहे हैं, कान में सुनने की थोड़ी कमजोरी के कारण उन्हे हमारे इन्टरव्यू के समय ओडीफोन का प्रयोग करना पड़ा।
विज्ञानी चओ यो क्वांग चीनी भाषा वर्णमाला स्वर अविष्कार के पिता के नाम से भी जाने जाते हैं। उन्होने हमें बताया भाषा से ही मानव व पशु के बीच फर्क रहा है, यह बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होने कहा भाषा से मानव व पशु के बीच फर्क रहा है, अक्षर से सभ्यता व क्रूरता के बीच अन्तर रहा है, शिक्षा ने समुन्नत व पिछड़ेपन में फर्क बनाया है। मानव अपनी गंवारेपन हरकत से सौभ्य की ओर परिवर्तित होने का पहला पड़ाव बोलना से ही शुरू हुआ था, पशु तो बोल नहीं पाते हैं, जबकि मानव बोल सकते हैं, इस तरह बोलने की माहिरता ने मानव व पशु को अलग कर दिया । बहुत से लोग सभ्यता व क्रूरता की बात करते हैं, जबकि सभ्यता और क्रूरता का सबसे महत्वपूर्ण निशान भाषा अक्षर का होना या न होना है, अक्षर के अविष्कार के बाद भाषा का युग शुरू हुआ , तब से मानव सदी की शुरूआत हुई, इस लिए भाषा अक्षर का अविष्कार बहुत ही महत्वपूर्ण है।
श्री चओ यो क्वांग ने हमें बताया कि चीन में 3300 साल पहले इतिहास में च्याकूवन नाम का चीन का सबसे प्राचीन अक्षर का युग शुरू हुआ और उस समय इस अक्षर का स्तर बहुत ऊंचा था, आज इस प्राचीन अक्षर च्याकूवन के जन्मस्थान आनयांग में चीन का पहला अक्षर अजायबघर खोला गया है, अजायबघर चीनी अक्षर का एक स्मृति भवन ही नहीं है बल्कि अक्षर साहित्य के अनुसंधान में इसका भारी महत्व भी है।
1955 में उस समय शांगहाए फूतान विश्वविद्यालय के अर्थ शास्त्र के प्रोफेसर चओ यो क्वांग अखिल चीन अक्षर सुधार सम्मेलन में भाग लेने पेइचिंग पहुंचे। सम्मेलन की समाप्ति के बाद, वे चीनी अक्षर सुधार कमेटी में नयी नौकरी के लिए आमंत्रित किए गए। तब से उन्होने भाषा अक्षर अनुसंधान की पेशावर जिन्दगी शुरू की। उन्होने चीनी हान भाषा के वर्णमाला स्वर प्रस्ताव के डिजाइन में भाग लिया और चीनी हान भाषा वर्णमाला स्वर के अविष्कारकर्ता के नाम से जाने लगे। श्री चओ यो क्वांग ने अपने इस अनुभव का जिक्र करते हुए कहा मैं भी माहिर नहीं हूं, भाषा वर्णमाला स्वर के अनुसंधान में मैं भी एक नया आदमी हूं, पेशावर नहीं हूं, हमारे नेता ने कहा कि ये एक नवीनतम कार्य है, इस क्षेत्र हर एक आदमी पेशावर नहीं है।
तभी से 49 वर्षीय श्री चओ यो क्वांग ने अपना अर्थ शास्त्र विज्ञान त्याग दिया और आधे रास्ते से भाषा विज्ञान की खोज के लिए निकल गए। आज भी जब हमारे संवाददाता ने उनके चीनी भाषा अक्षर संग्राहलय के सलाहकार का पद पर बने रहने की बात दोहराई तो उन्होने बड़ी नम्रता से कहा कि वे अब भी कोई एक पेशावर भाषा विज्ञान के सलाहकार नहीं हैं।
अर्थ शास्त्र विज्ञान छोड़ने के बाद श्री चओ यो क्वांग भाषा विज्ञान व अक्षर विज्ञान में जुट गए। श्री चओ यो क्वांग हमेशा से मानते आए हैं कि भाषा अक्षर विज्ञान अनुसंधान के दो महत्वपूर्ण पहलु हैं, एक है, प्राचीन संस्कृति की विरासत को हाथ में लेना, अन्य है, विश्व समुन्नत संस्कृति से सीखना। इस विषय पर बोलते हुए उन्होने कहा फिलहाल प्राचीन विचारधारा उभर रही है, लोग चाहते हैं कि इस तरह संस्कृति के रिक्त स्थान को भर दिया जाए। एक प्रचुर प्राचीन संस्कृति देश होने के नाते, चीन की संस्कृति में रिक्त स्थान नहीं होना चाहिए। इस लिए एक तरफ प्राचीन चीजों के अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाए, हर एक इतिहास के दौर में सुरक्षित संस्कृतियों को आज के जमाने तक लेकर लाया जाए और अनुसंधान के पैमाने की विशालता को बढ़ाया जाए। तो दूसरी तरफ, समुन्नत संस्कृति व वैश्विक संस्कृति का आयात किया जाए, संस्कृति दुनिया की होती है और वे धीरे धीरे प्रगति कर रही है।इस पहलु पर हमने बहुत कार्य कर लिए हैं, लेकिन अपने लक्ष्य से अभी भी बहुत दूर हैं, हमें अपने प्रयासों को जारी रखना होगा। आज हम ने अक्षर संग्राहलय की स्थापना की है, यह एक बहुत ही अच्छी घटना है, समाज के विभिन्न जगतों, सरकारों व विज्ञान जगतों ने इस की प्रशंसा की है।
वर्तमान दुनिया भर में कन्फयूशस कालेज की स्थापना की लहर उमड़ रही है , ऐसा लगता है कि विश्व में चीनी भाषा सीखने के लोगों की संख्या बढ़ती जा रही हैं, बहुत सी मीडिया ने भी चकित भरे स्वर में कहा कि चीनी भाषा जल्द ही विश्वव्यापी भाषा बन जाएगी। इस पर चर्चा करते हुए श्री चओ यो क्वांग ने इस का निचोड़ कर चार कारण बताएः सर्वप्रथम चीन के अर्थतंत्र के तेज विकास के चलते, विदेशों के साथ चीन का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है, इस क्षेत्र में चीनी भाषा अंग्रेजी की कमी को पूरा कर सकती है और आर्थिक-व्यापार में सुविधा प्रदान कर सकती है। दूसरा, विदेशों के भाषा विज्ञान जब इतिहास व विश्व संस्कृति का अध्ययन करते हैं तो वे चीनी संस्कृति के अध्ययन के बिना नहीं रह सकते हैं, क्योंकि चीन संस्कृति और सभ्यता का प्राचीन देश है, चीनी भाषा सीखना उनका एक अनिवार्य विषय बन गया है। तीसरा, पर्यटन राष्ट्रीय अर्थतंत्र का महत्वपूर्ण आर्थिक आमदनी का एक भाग बन गया है, इस के अलावा, वे जनता की संस्कृति के स्तर को उन्नत कर सकता है और लोगों की आंखे खोल सकता है। जबकि चीन का पर्यटन संसाधन बहुत ही प्रचुर हैं, यही वजह है कि चीन विदेशों को लगातार अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। और तो और बहुत से नौजवान लोग चीनी भाषा को सीखना अपने जमाने का एक फैशन मानते हैं।
चीनी भाषा के विकास की प्रवृत्ति पर बोलते हुए श्री चओ यो क्वांग ने हमें बताया सभी अक्षर जटिलता से सरलता में बदल रहे हैं, भाषा की सरलता मानव अक्षर के विकास का प्रमुख रूझान बन गया है। उस समय चीनी भाषा वर्णमाला की सरलता पर हमने एक सिद्धांत का पालन किया, जिसे जनता बोली व जन बोलचाल कहा जाता है, हमारा फर्ज है कि इस जनता की बोलचाल को कहीं अधिक बेहतरीन बनाना , न कि इस का पुनः अविष्कार करना है। हालांकि श्री चओ यो क्वांग अपने सौ सालों के अनुभवों से चीनी भाषा वर्णमाला के पिता के नाम से पुकारे जाते हैं, तो भी उनके विचार में संस्कृति को कभी काटा नहीं जा सकता है, नयी शताब्दी में प्राचीन भाषा अक्षर के अनुसंधान के दौर में भी इन संस्कृतियों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है।