चीन के महान आधुनिक चित्रकार वू क्वान चुंग का हाल ही में पेइचिंग में निधन हो गया, चीन के विभिन्न जगतों के जाने माने लोगों व कला-पेन्टिंग से लगाव रखने वाले हजारों पेन्टिंग प्रमियों ने दुखभरे मन से इस महान चित्रकार गुरू को अन्तिम विदा दी।
इन्टरनेट में इन दिनों इस महान चित्रकार की याद के लिए स्मृति उद्यान, यादों की बहार जैसे नाम के ब्लाग और अनेक वेबसाइटों ने महान चित्रकार वू क्वान चुंग स्मृति हाल का भी आयोजन किया, बहुत से नेटिजनों ने मोमबत्ती ज्योति ज्वलंत व फूलमलाएं चढ़ा कर इस महान चित्रकार को श्रद्धांजलि अर्पित कीं। चीन के मशहूर इंजन सर्च वेवसाइट बाएतू द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि हाल में कई सौ लोगों ने अनेक तरीकों से उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। यहां तक कि चीन के कई उच्च कोटि के कला वेबसाइटों में भी चित्रकार वू क्वान चुंग की कला उपलब्द्धियों का गुणगान व उनके महान योगदान की प्रशंसा कर इस महान चित्रकार के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।
स्वर्गीय चित्रकार वू क्वान चुंग के देहांत के बाद, चीन की कला संग्राहलय के महा प्रबंधक फान ती आन ने हमारे संवाददाता को बताया कि 20 वीं शताब्दी चीन की कला विकास का सबसे सुनहरा काल रहा, श्री वू क्वान चुंग ने 20वीं शताब्दी की पिछले आधी शताब्दी में चीन के कला विकास के लिए असाधारण योगदान किया है। उन्होने कहा चित्रकार वू क्वान चुंग की जीवनी व कला की तीन सबसे बड़ी विशेषताएं हैं , वे हैं श्री वू क्वान चुंग सचमुच चीन के एक महान कलाकार हैं, उन्होने अपनी पूरी जिन्दगी कला की उच्च कोटि की ओर बढ़ने व कला की उच्च सीमा की खोज करने में बितायी है। दूसरा, कला प्रणाली सिद्धांत में उन्होने चीन व पश्चिम की खूबियों को जोड़ने का रास्ता ढूंढ निकाला है, उन्होने पश्चिमी आधुनिक कला की विशेषताओं व चीन की कला विचारधारा की परम्परा को बड़ी अच्छी तरह एक साथ बिठाया है, ये उनकी व्यक्तिगत कला की एक सदाबहार छवि है । तीसरा, श्री वू क्वान चुंग एक महान देश भक्त हैं और मातृभूमि व उसकी धरती से भारी प्रेम करने वाले कलाकार भी हैं, उनकी रचनाओं में अधिकतर चीन की विशाल भूमि में दिन दिन बदलते जीवन व विकसित प्रगति को प्राकृति के साथ बड़ी नजदीकी से जोड़ा हैं , जिस से देश और प्राकृति की खूबसूरती व उनकी रचनात्मक भावना चित्रों में एक सौन्दर्य कला के रूप में बहुत ही प्रफुल्लित तौर से दर्शायी गयी हैं।
श्री वू क्वान चुंग का जन्म 1919 में पूर्वी चीन के च्यांगसू प्रांत के ई शिंग काउंटी के एक किसान परिवार में हुआ था। 18 साल की उम्र में उन्होने कला सीखना शुरू किया, 23 साल की उम्र में वे चेच्यांग के हांगचओ राष्ट्रीय कला पेशावर स्कूल से स्नातक हुए। 1946 में उस समय के शिक्षा मंत्रालय ने एक सौ लोगों को फ्रांस में अध्ययन के लिए भेजा, इन में कला पेशावर के लिए केवल दो जगह थी, श्री वू क्वान चुंग राष्ट्रीय परीक्षा में अव्वल नम्बर से इस यात्रा के लिए चुने गए। 1947 में श्री वू क्वान चुंग फ्रांस के पेरिस राष्ट्रीय उच्च कला शिक्षालय में भर्ती हुए, उन्होने फ्रांसीसी मशहूर कलाकार प्रोफेसर जीन सोवरबिया से तेल पेन्टिंग की शिक्षा ली। प्रोफेसर जीन सोवरबिया ने श्री वू क्वान चुंग के आने वाले कला जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ा। स्वर्गीय वू क्वान चुंग ने इस से पहले चीन की केन्द्रीय सी सी टीवी के साथ साक्षात्कार में कहा था प्रोफेसर जीन सोवरबिया ने मुझे बताया कि कला के दो रास्ते होते हैं। एक होता है, छोटा रास्ता, जो लोगों को कला का आन्नद व खुशी ही देती हैं। दूसरा होता है एक बड़ा रास्ता , जो कला से लोगों के दिल को छू लेती है और लोगों के मन में हमेशा के लिए समा हो जाती है तथा लम्बे समय तक लोगों के मन को प्रभावित करती है, तब से मैंने इस दूसरे बड़े रास्ते पर चलने की ठान ली।
श्री वू क्वान चुंग फ्रांस में कला अध्ययन के बाद 1950 में स्वेदश लौटे, उन्होने अलग अलग तौर से चीन के सर्वोच्च कला विश्वविद्यालय व केन्द्रीय कला यूनिवर्सिटी समेत चीन के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय छिंगहवा के वास्तुनिर्माण विभाग, पेइचिंग कला कालेज व केन्द्रीय हस्तशिल्प कला कालेज आदि उच्च शिक्षालयों में लेक्चर दिए। फ्रांस में अध्ययन के दिनों में श्री वू क्वान चुंग ने पश्चिम की आधुनिक कला की गहराई को मन में डाल दिया और चीन की परम्परागत संस्कृति के अन्तर्गत की खोज के दौरान उन्होने चीन की परम्परा पेन्टिंग की भावना को नया रूप दिया। उन्होने चीन और पश्चिम कला की खुराकों का उपभोग करने के साथ अपने पूरे जीवन को चीन और पश्चिम कला की खूबियों के ताल मेल की खोज में बिताया है।
पिछली शताब्दी के 70 वाले दशक में श्री वू क्वान चुंग की कला रचना उनके सबसे रौनकभरे युग में जा पहुंची। उन्होने बड़ी सावधानी से तेल चित्र व स्याही चित्र कला की खूबसूरती का बेहतरीन रूप से मिलन किया और चीन की परम्परा स्याही चित्र कला से थोड़ा फर्क व पश्चिम की आधुनिक कला से भी थोड़ा फर्क कलात्मक तकनीकों को चीन की पेन्टिंग कला में मिलाकर अपनी एक नवीन पेन्टिंग कला का अविष्कार किया।
श्री वू क्वान चुंग की पेन्टिंग में परम्परागत छवि और चित्रकार की भरपूर भावना भी देखने को मिलती है। पश्चिम लोगों की नजर में श्री वू क्वान चुंग की पेन्टिंग में चीन की परम्परागत मनमोहक की झलक लुभाती है , और चीनी लोगों की नजर में श्री वू क्वान चुंग की पेन्टिंग में पश्चिम की आधुनिक कला की चमकती झलक का आन्नद मिलता है। इस ने श्री वू क्वान चुंग की नवीनता व अदभुत्ता पेन्टिंग की तकनीक को एक अनोखा व निराला रूप दिया है, उनकी पेन्टिंग में कल्पना की झलक के साथ साथ खुशहाली व आन्नदमय का एहसास भी होता है, उनकी रचनाएं चीन के गगन में चमकते व जगमगाते तारें हैं।
1991 में फ्रांस संस्कृति मंत्रालय ने श्री वू क्वान चुंग को फ्रांससी कला संस्कृति के सर्वोच्च मेडल से सम्मानित किया। 1992 में ग्रेट ब्रिटेन संग्राहलय ने 20वीं शताब्दी में चीन के महान चित्रकार के नाम से श्री वू क्वान चुंग का एक व्यक्तिगत पेन्टिंग प्रदर्शनी का आयोजन किया, यह ग्रेट ब्रिटेन संग्राहलय द्वारा पहली बार एक चीनी चित्रकार के लिए आयोजित प्रदर्शनी है। 2000 में श्री वू क्वान चुंग फ्रांससी यूनिवर्सिटी के कला कालेज के अकादमिशन चुने गए, वे इस सम्मान से सम्मानित पहले चीनी कलाकार हैं। और यह फ्रांससी कालेज द्वारा अपने पिछले दो सौ सालों में किसी एक एशियाई कलाकार को दिया गया इस तरह का सम्मान है।
गत वर्ष महान चित्रकार वू क्वान चुंग ने हमारे संवाददाता के साथ के एक इन्टरव्यू में अपने चित्र कला पर टिप्पणी करते हुए कहा था पेन्टिंग कला की कोई निश्चित सीमा नहीं है, न ही पेन्टिंग व कला में कोई तय तरीका है, उसमें जो है , वे है भावना। भावना को पूर्ण रूप से निखारने पर ही कोई भी तरीका सफल हो सकता है। ब्रश व स्याही चित्र कला भी इसी तरह हैं, आपकी भावना कैसी है आपकी ब्रश व स्याही से आपके चित्र में फर्क निकलता है और पेन्टिंग चित्रकार की भावना के साथ नाचती है। इस लिए भावना के आधार पर ही सफलता पायी जा सकती है, इस के विपरित नकल करना किसी दूसरे के चित्रों की चोरी करना यहां तक कि चित्रकार की भावना की नकल करना तथा झूठ व नकली बातों से अपने चित्र को सुसज्जित करने का नतीजा आपकी कल्पना के बाहर ही निकलेगा ।