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भीतरी मंगोलिया का प्राचीन संगीत वाद्ययंत्र माथओ वाइलेन
2010-07-26 09:36:42

2010 शांगहाए विश्व मेले में स्थापित चीनी क्षेत्र का भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश हाल अपनी मनमोहक रंगीन सजावट व प्रचुर जातीय विशेषता वाली संस्कृति से देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है, खासकर उसका संगीत वाद्ययंत्र माथओ वाइलेन की अदभुत निर्मित कला-तकनीक तथा जातीय हस्तशिल्पी कला तो लोगों को मंत्रमुग्ध किए बिना नहीं छोड़ती हैं। मा थओ वाइलेन संगीत वाद्ययंत्र भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश का एक परम्परागत प्राचीन संगीत यंत्र है, जिसे चीन के पहले जत्थे की सांस्कृतिक विरासत की नामसूची में दाखिल किया जा चुका है।

इस साल 52 वर्षीय पाइनताए मंगोलियाई जाति के माथओ वाइलेन वाद्ययंत्र के निर्मिता व वारिस कलाकार है, वे एक हटटे कटटे मंगोलियाई पुरूष हैं, जिन्हे बचपन से ही माथओ वाइलेन वाद्ययंत्र से विशेष लगाव रहा है। श्री पाइनताए ने कहा कि माथओ वाद्ययंत्र मंगोलियाई जाति की सबसे मनपसंद संगीत यंत्र है, मंगोलियाई जाति इस वाद्ययंत्र को एक अति मूल्यवान वस्तु मानती हैं। उन्होने हमें बताया पूरी दुनिया की मंगोलियाई जाति माथओ वाइलेन वाद्ययंत्र का भारी सम्मान करती है, ये वाद्ययंत्र मंगोलियाई जाति के दिल में एक उदार व पवित्र संगीत यंत्र है, परिवार में इसे सबसे ऊंची जगह में रखा जाता है, मंगोलियाई जाति बौद्ध धर्म मानती है, इस लिए इसे बौद्ध की मूर्ति के पास रखा जाता है।

माथओ वाद्ययंत्र वास्तव में पश्चिम वाइलेन से मिलता जुलता एक वाद्ययंत्र है, उसके दो तार या चार तार होते हैं, इस वाद्ययंत्र से छोड़ी संगीत धुन उच्च स्वर व मनमोहक होती है और उससे निकली संगीत धुन दूर दूर तक गूंजती है और लोगों को मानों एक विशाल व कलप्निक दुनिया में ले जाती हो , उसका संगीत लोगों के मन को छूकर निकलती है और लोगों को मदहोश कर देती है। इस संगीत वाद्ययंत्र की अनेक रौचकभरी कहानियां हैं। एक कहानी इस तरह हैं, बहुत समय पहले सूहो नाम का एक पशु चराने वाला लड़का था, एक दिन तूफानी वर्षा की रात को सूहा ने एक नन्हे घायल सफेद घोड़े को देखा और उसे अपने साथ लाकर बड़ी होशयारी से उसकी देखरेख करने लगा, कुछ साल बाद नन्हा सफेद घोड़ा एक ताकतवर सुन्दर घोड़ा बन गया। लोभी जमींदार वांग उसे जबरदस्ती छीन कर अपने पास ले गया, वे सफेद घोड़े की पीठ पर बैठा ही था कि सफेद घोड़े ने उसे बेरहमी से जमीन के नीचे पटक दिया, निर्दय जमींदार के सैनिकों ने सफेद घोड़े पर करोड़ों तीरों से वार कर उसे मार दिया और वे सदा के लिए सूहा से विदा हो गया। एक रात को सफेद घोड़ा सूहा के सपने में आया और उसने अपने सफेद बालों व हडडी से एक वाइलेन बनाने की विनती की, ताकि वे हर घड़ी सूहा के साथ रह सके। सूहा ने दिल में पत्थर रखकर असीम दुखी भावना से उसकी हडडियों व बालों से एक सुन्दर वाइलेन बना लिया और वाइलेन के उपरी भाग को एक घोड़े के सिर का रूप दे दिया। तब से घोड़े के सिर वाला माथओ वाद्ययंत्र यानी माथओ वाइलेन भीतरी मंगोलियाई जाति का सबसे मनपसंद वाद्ययंत्र बन गया और तबसे उसका संगीत मंगोलियाई जाति के घास मैदान में सदा के लिए गूंजता रहा है।

सबसे पहले माथओ वाइलेन भजन के गीत संगीत में प्रयोग किया जाता था, आहिस्ता आहिस्ता वे एकल , युगल व सामूहिक संगीत के रूप में , यहां तक कि ओक्सेटरा के वाद्ययंत्रों में भी इस्तेमाल होने लगा है, उसकी कला खूबसूरती कहीं ज्यादा मनमोहक हो गयी है। मंगोलियाई जाति के माथओ वाइलेन के निर्माता व कलाकार श्री पाएइनताए ने जानकारी देते हुए कहा अभी आप ने जो माथओ वाइलेन देखा है वे अनेक सुधारों के बाद निर्मित बिल्कुल एक नया वाद्ययंत्र है। उसके निचले भाग के तारों तले गाय व बकरी के चमड़े का इस्तेमाल किया जाता है। बारीश से भीगने या सूर्य की तेज किरणों से उससे निकली धुन में भारी असर पड़ता था, कभी कभी तो उसकी धुन इतनी ऊंची होती कि उसकी धुन स्वर टूट जाती थी। गुरू छी पाओ ली ने माथओ वाइलेन के सुधार में अपना विलक्षण योगदान दिया है।

भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश में गुरू छी पाओ ली का नाम माथओ वाइलेन से जुड़ा हुआ है। गुरू छी पाओ ली मंगोलियाई स्वायत्त प्रदेश के जाने माने माथओ वाइलेन वादक हैं, 13 साल की उम्र में छी पाओ ली को भीतरी मंगोलियाई नृत्य संगीत मंडली ने चुन लिया था, उन्होने तब से बुजुर्ग गुरू सानतूरूंग से माथओ वाइलेन सीखना शुरू किया, तब से वाइलेन उनकी जिन्दगी का जीवनसाथी बन गया। संगीत कला की माहिरता के बढ़ते , उन्होने बड़ी सावधानी से अपनी जिन्दगी का अधिकतर समय माथओ वाइलेन की पुरानी कमियों को सुधारने में लगा दिया, सुधार के बाद माथओ वाद्ययंत्र में पश्चिम वाइलेन व चीन के दो व चार तार वाले वाइलेन की खूबियों को माथओ वाइलेन में एकत्र किया, फिर उन्होने इटली वाइलेन की धुन व राग को माथओ वाइलेन में मिश्रत किया, इस तरह परम्परागत जातीय वाद्ययंत्र को बरकरार रखने के साथ उन्होने प्राचीन व अधुनिकतम धुनों को माथओ वाद्ययंत्र में फूंक डाला। तब से माथओ वाद्ययंत्र में वाइलेन की खूबियां व मंगोलियाई जातीय की खामियातों को एक साथ बनाकर रख दिया, उससे निकली धुन की मनमोहकता व सुन्दरता तथा सुरीली व मधुर राग दुनिया में लोगों का पसंदीदा संगीत बन गया है, माथओ वाद्ययंत्र की प्राचीनता व जातीय विशेषता सांस्कृतिक विरासत के रूप में सुरक्षित रखी जा रही है। माथओ वाइलेन की धुन रोजाना मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के विशाल घास मैदान में गूंजती है और लोगों को नए जीवन की आशा दिलाती है। आज अधिकाधिक लोग इस प्राचीन व अनोखे वाइलेन को पसंद करने लगे हैं। वर्तमान केवल मंगोलियाई जाति के लोग ही नहीं बल्कि हान जाति समेत अमरीका, फ्रांस,जापान आदि देशों व थाएवान व हांगकांग क्षेत्रों के नौजवान भी इस संगीत में भारी रूचि दिखा रहे हैं। हमें विश्वास है कि माथओ वाइलेन से दुनिया चीन के भीतरी मंगोलिया जाति से वाकिफ होगी और मंगोलियाई जाति के प्रति अधिक जानकारी प्राप्त करेगी।

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