कोई तीन महीने पहले, पश्चिम चीन के छिंगाही प्रांत के युशू काउंटी में रिक्टर स्केल पर आए 7.1 तीव्रता वाले भूकंप में बच्चों के एक समूह ने अपने माता-पिता को खो दिया। वे "भूकंप" अनाथों के नाम से पहचाने जाने लगे।
चीन में बच्चों के दान-चिकित्सा फाउंडेशन(चाइना चिल्डरन चैरीटी एड फाउंडेशन) के समर्थन से 23 "भूकंप अनाथ" कुछ खेल खेलने, चिकित्सा और शिक्षा के लिए बीजिंग आए हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर, यह दिन विश्व भर के बच्चों को समर्पित है, कोई इन बच्चों की मदद नहीं कर सकता केवल आश्चर्यचकित होता है कि ये बच्चे कैसे हैं?फाउंडेशन ने इन अनाथ बच्चों के भविष्य के बारे में क्या योजना बनाई है?
युशू काउंटी छिंगाही-तिब्बत पठार पर समुद्र की सतह से 4000 मीटर से भी अधिक ऊपर स्थित है। इस पठार से तीन प्रमुख नदियों की उत्पति होती हैं- पीली नदी, यांग्त्ज़ी नदी और लानछांग नदी।
अपनी चमकदार प्राकृतिक सुंदरता और संस्कृति के लिए युशू स्वर्ग की तरह भगवान का उपहार माना जाता था इसके 100,000 निवासियों के लिए।
लेकिन 14 अप्रैल की रात को युशू भूकंप से लगभग पूरी तरह से नष्ट हो गया था। कई बच्चों ने पलक झपकते ही अपने माता-पिता को खो दिया। माता-पिता की देखभाल के बिना इन बच्चों को अपने भाइयों और बहनों के साथ रहकर कठिन समय से उबरना था।
योंगजी प्राथमिक स्कूल विशेष रूप से अनाथों के लिए एक स्कूल है, जिसमें 200 से अधिक छात्र एक साथ पढ़ाई कर रहे हैं। आपदा के एक दिन बाद 70 से अधिक बच्चों को स्कूल भेजा गया था, जिसमें सबसे कम उम्र का बच्चा सिर्फ 2 महीने का था।
उनमें से कई बच्चों को नहीं पता था कि कब और कहाँ उनके माता- पिता का निधन हुआ था। हनरोंग गाओ, चीन में बच्चों के दान- चिकित्सा फाउंडेशन(चाइना चिल्डरन चैरीटी एड फाउंडेशन) के चिकित्सा विभाग की निदेशिका कहती हैं कि यह बहुत ही भावनात्मक था उनके लिए जब उन्होंने पहली बार स्कूल में इन बच्चों से मुलाकात की।
"जो मैंने देखा उसे देख मैं दंग रह गई थी और मेरा दिल पूरी तरह से टूट गया था। मैं अपने आँसू नहीं रोक पाई। हर बच्चे ने गंदे कपड़े पहन रखे थे और पूरी तरह से जर्जर हुए उनके चेहरे पर दुख की अभिव्यक्ति थी। 300 से अधिक अनाथ बच्चों को हमारी मदद की जरूरत है। मुझे आशा है कि मैं उनकी काफी मदद कर सकती हूँ।"
गाओ हनरोंग ने जो कहा वही किया। वे हज़ारों किलोमीटर का लंबा सफर तय कर युशू गई और कुछ अनाथ बच्चों को खेल और चिकित्सा के लिए अपने साथ बिजिंग ले कर आईं।
उन्होंने बताया कि जब इन बच्चों को अपने माता-पिता के निधन का पता चला तो उन्हें सदमा पहुँचा और वे यकिन ही नहीं करना चाहते थे कि उनके माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे।
गाओ का मानना है कि इन बच्चों की मानसिक स्थिति को स्थिर करने में कई महीनों से एक साल तक का समय लग सकता है।
उनमें से कुछ को इस त्रासदी से निपटने के लिए पेशेवर सहायता की जरूरत है। रात को जब अन्य बच्चे सो रहे होते हैं, तब इन में कुछ बच्चे अपनी रजाई के नीचे छुपकर सिसक-सिसक कर रोते हैं।
योंग जी, योंगज़ी प्राथमिक स्कूल की अध्यापिका हैं जो इन बच्चों के साथ बीजिंग आईं हैं।
"हर रात जब मैं लड़कियों को उनके छात्रावास में सुलाने जाती हूँ, तब अक्सर नींद में उन्हें अपनी माँ को बुलाते हुए सुनती हूँ। कभी-कभी वे अपने आँसू रोक नहीं पाते और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगते हैं। अपने माता-पिता को खोने का गम इन बच्चों से सहा नहीं जाता।"
योंग जी कहती हैं कि सौभाग्य से इन बच्चों की उम्र अभी छोटी है। इनके दुख को भूलाने के लिए, इनके मन को बहलाने के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है।
योंग जी और कुछ अन्य स्वयंसेवक बीजिंग से 23 अनाथ बच्चों के साथ आए थे। वे राजधानी में कम से कम 3 महीने के लिए रहेंगी। इन सभी बच्चों के लिए बीजिंग में उनका पहला बाल दिवस है।
योंग जी ने कहा न तो बच्चे और न स्वयंसेवक पहले कभी बीजिंग नहीं आए थे। स्वाभाविक रूप से वे सब यह खबर सुनकर बहुत उत्साहित थे।
"हम 23 बच्चों के साथ 18 मई को युशू से यहाँ आए थे। इस समूह में सबसे छोटा बच्चा 2 साल का है, और सबसे बड़ा बच्चा 12 साल का है। वहाँ युशू में, इन बच्चों को हमने हमेशा उदास और मलिन देखा। लेकिन जब हम बीजिंग में पहुंचे, वे हंसमुख और बातूनी हो गए। उदाहरण के लिए, यह बच्ची शायद ही कभी किसी से बात करती थी या दूसरों के साथ खेलती थी। लेकिन अब, आप देखें, वो मुस्कुरा रही है और आप के पास आना चाहती है।"
अपने साक्षात्कार के दौरान मैंने कोशिश की कि इन बच्चों से उनके परिवार के बारे में कुछ भी नहीं पूछा क्योंकि मुझे डर था कि कहीं मेरे शब्दों से उन्हें चोट पहुँचे या उनकी बुरी यादें फिर से ताज़ा हो जाएँ। लेकिन इस लड़की ने अपनी चमकीली आँखों से और प्यारी मुस्कान के साथ मुझे देखा और मैं उसे हैलो कहने से खुद को रोक नहीं पाई।
उसका नाम चिओंग सुओ है और वह छः साल की है। उसके माता-पिता दोनों युशू भूकंप में मारे गए थे और अपने पीछे चार बच्चे छोड़े गए थे। उसने एक चरवाहा परिवार में जन्म लिया था और स्कूल क्या होता है कभी देखा भी नहीं था। उसे मेंडरिन भाषा का बहुत ज्ञान नहीं था, लेकिन किसी तरह वह मुझे समझ सकती थी।
अध्यापिका योंग जी ने मुझे बताया कि स्वाभाविक रूप से इसकी आवाज बहुत अच्छी है। उसके अध्यापक और सहपाठी सब उसके गायन के प्रशंसक हैं और उसका पसंदीदा गाना है "स्वर्ग में माँ"।
उन्हें युयुआनथान पार्क में घूमना अच्छा लगा। चिओंग सुओ ने जब "स्वर्ग में माँ" गीत गाना शुरू किया उसके बाद, सभी बच्चे खुशी से गायन में शामिल हो गए और सब मिलकर गाने लगे।
उनकी टूटी-फूटी मेंडरिन भाषा में, मैं उनके शब्द समझने में सक्षम थी: माँ की बाँहों में झूलते हुए, हम नीले आसमान को देखें और स्वर्ग में रहने वाली माँ की कहानी सुनें हम।
मुझे लगा कि यह गाना बहुत दुखभरा होगा, लेकिन मेरे आश्चर्य का तब ठिकाना न रहा जब शुरू से अंत तक इस गीत तो गाते हुए इन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान थी। मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या वे इतने बहादुर हैं कि अस्थायी रूप से अपने दुख को भूल गए थे या सच में वे अभी भी इस गीत को समझने के लिए बहुत छोटी उम्र के थे।
जिओ युसुई एक स्वयंसेवक हैं, जो कई दिनों से इन बच्चों की देखभाल कर रही हैं। उनका मनोभाव भी साझा था।
"मैं उन्हें गाते हुए नहीं सुन सकती। अगर मैं यह गीत "स्वर्ग में माँ" सुनऊँगी तो रो दूँगी। उनमें से कुछ को ठंड लग गई थी और वे अस्वस्थ महसूस कर रहे थे। लेकिन जब भी मैं उनसे पूछती कि क्या वे ठीक महसूस कर रहे हैं, वे हमेशा कहते हम 'ठीक' हैं। वे बहुत बहादुर हैं।"
युशू में बच्चों को मई और जून के महीनों में छुट्टियाँ रहती हैं। इस समय वे पहाड़ियों पर खुदाई करके कोरडीसेपस, जो कि एक प्रकार की कीमती जड़ी बूटी की तरह होती है की खोज करते हैं। 1 जून को, वे दूसरे बच्चों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, यह देखने के लिए कि कौन सबसे अधिक कोरडीसेपस की खुदाई कर सकता है। यह उनके बाल दिवस के जश्न मनाने का अनोखा तरीका है।
लेकिन इस बार उन्होंने बीजिंग में एक अलग तरह का बाल दिवस मनाया, जो उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल सकता है।
चीन में बच्चों के दान-चिकित्सा फाउंडेशन(चाइना चिल्डरन चैरीटी एड फाउंडेशन) से गाओ हनरोंग कहती हैं कि उन्होंने फैसला किया है कि वे 23 अनाथ बच्चों के बुनियादी खर्च तब तक उठाएँगी जब तक वे 18 साल के नहीं हो जाते।
"उनके लिए उच्च संभावना है कि वे बीजिंग या अन्य बड़े शहरों में रहे जब तक वे 18 साल या अधिक के नहीं होते। अब अगले तीन महीनों में हमारा फाउंडेशन इन युशू अनाथों की मदद करने के लिए दत्तक परिवार और उनके भविष्य के अध्ययन के लिए स्कूलों को खोजने की कोशिश करेगा।"
यह इन बच्चों के लिए बाल दिवस का एक महान उपहार होगा। हमारी शुभकामनाएं!
हेमा कृपलानी