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चीनी नागरिकों को सांस्कृतिक विरासत सुरक्षा में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए
2010-07-19 10:09:41

हाल ही में पेइचिंग में आयोजित दस्तकारी कला रचनाओं की प्रदर्शनी देखने आने वाले हजारों लोगों को उनकी कलाओं की माहिरता ने आश्चर्य चकित में डाल दिया है , खुले मैदान की मिटटी से कलाकार अपने कलात्मक हाथों से एक से बढ़कर एक किस्म-किस्म के खिलौंने व बर्तन बना रहे थे, यहां तक कि एक सामान्य पत्थर, एक मामूली बांस व एक मामूली कपड़ा उनके हाथों की कला के जादू से एक एक शानदार प्रस्तुति बन गयी हैं। वास्तव में ये चीन की प्रचुर परम्परागत सांस्कृतिक विरासत का एक छोटा सा ही भाग है, पिछले पांच सालों में चीन सरकार सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के ज्ञान व विचारधारा को सभी नागरिकों के दिल में समाने का पूरा प्रयास करती आयी हैं, ताकि नागरिक खुद ही अपने पास की सांस्कृतिक विरासत की खोज कर उनकी झलक को दुनिया के आगे दर्शा सकें और अधिकाधिक लोग उसकी सुरक्षा में बढ़ चढ़ कर भाग ले सकें।

दक्षिण पूर्व चीन के चेच्यांग प्रांत की लुंगछुएन बस्ती अपने सौन्दर्य नजारों से लोगों को आकर्षित करती आयी हैं, वे चीन के मशहूर नीले पोर्सिलेन बर्तन बनाने की तकनीक का सबसे मशहूर स्थान माना जाता है। कई हजार साल पहले, भटटी की आग से निर्मित पोर्सिलन बर्तन की खूबसूरती व कला सुन्दरता दुनिया में मशहूर रही है। गत वर्ष लुंगछुएन बस्ती की पोर्सिलेन तकनीक को यूनेस्को के मानव सांस्कृतिक विरासत की नामसूची में शामिल कर लिया गया है।

माओ वए च्ये चेच्यांग प्रांत के जाने माने पोर्सिलेन सामग्री निर्मित करने वाले मशहूर कलाकार है, बचपन से ही वे अपने पिता व दादा पीढ़ी वाले लोगों के प्रभाव में नीले पोर्सिलेन बर्तन निर्मित करने की तकनीक सीखने में लगन रहे हैं। उन्होने हमें बताया मैं छुटपन से ही नीले पोर्सिलेन कला से संपर्क करता आया हूं, बचपन में खेलने की जगह नहीं थी, तो मैं अक्सर मिल में खेलने जाया करता था, वहां मैं मिटटी से खेलता था और खेल खेल में अनेक किस्म के खिलौने व अन्य सामग्रियां बनाने लगा। बाद में मैंने कला तकनीक की शिक्षा ली, तब से मैंने इस व्यवसाय के साथ अपना जीवन जोड़ लिया।

श्री माओ वए च्ये नीले पोर्सिलेन बर्तन बनाने वाले परिवार में पले बड़े हुए हैं, उनके पिता लुंगछुएन बस्ती में पोर्सिलेन के अध्ययन में पूरे पचास साल से जुड़े रहे थे , वे निसंदेह इस सांस्कृतिक विरासत के सबसे लायक वारिस हैं। माओ वए च्ये की नजर में उनकी युवा पीढ़ी के नीले पोर्सिलेन के प्रति जानकारी व पोर्सिलेन निर्मित तकनीक उनके पिता व बुजर्गों की बराबरी में वाकई एक लम्बा अन्तर है। उन्होने इस पर चर्चा करते हुए कहा हमारे बुजर्गों के पोर्सिलेन की समझदारी हमसे कहीं ज्यादा गहरी ही नहीं बल्कि स्वंय उन्हे इस व्यवसाय में काम करते दसेक सालों का अनुभव प्राप्त हैं, वे इस तकनीक से बहुत ही माहिर और अनुभवी भी हैं। हालांकि हमे भी इस तकनीक में भाग लिए दसेक साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक उनकी माहरिता को पूरी तरह सीखने में सफल नहीं रहे हैं, उनकी की बराबरी में हम सचमुच बहुत ही मुश्किल से तुलना कर सकते हैं। नीले पोर्सिलेन केवल एक तकनीक ही नहीं उसमें बहुत से ज्ञान भी सम्मलित हैं।

लुंगछुएन बस्ती में माओ वए च्ये के परिवार की तरह पोर्सिलेन तकनीक हासिल परिवारों की संख्या बेशुमार हैं, इन परिवारों के युवा पीढ़ीयों को इस तकनीक से बहुत ही लगाव तो है, पर बहुत से युवा पीढ़ी इसे अपने जीविका का एक मात्र रास्ता नहीं बनाना चाहते हैं, केवल परिवार की परम्परा व बुजुर्गों की मूल्यवान कला तकनीक के वारिस के रूप में वे इस कला में जुटे हुए हैं।

चीन के सांस्कृतिक विरासत संरक्षण केन्द्र के उपाध्यक्ष चांग छिंग सान ने कहा कि इन सालों में सांस्कृतिक विरासत की विचारधारा की समझदारी में बहुत बड़ी प्रगति देखने को मिली है। श्री चांग छिंग सान ने कहा पांच छह साल पहले लोग सांस्कृतिक विरासत जैसे शब्द तक समझ नहीं पाते थे, लेकिन आज ये शब्द लोगों की जुबान पर है । इस से साबित होता है कि लोगों को सांस्कृतिक विरासत संरक्षण की समझदारी में अभूतपूर्व तरक्की हुई है। इस पर हमने बहुत से प्रचार-प्रसार के काम किए हैं, और तो और हमने चीन की सबसे बड़े पैमाने वाली सांस्कृतिक विरासत जांच कार्यवाही भी जारी की, जांच से हमने अनेक मूल्यवान विरासत को ढूंढ निकाला है और साथ ही जनता को शिक्षित भी किया है। विस्तृत जांच से लोगों को अपने पास की सांस्कृतिक विरासत की पहचान में बहुत समझदारी बढ़ी है। आम दिनों में देखी जाने वाली वस्तु, वास्तव में वे हमारे बुजुर्ग पुरूषों द्वारा छोड़ी विरासत ही है, और हमारे देश की मूल्यवान आत्मिक संपत्ति भी है।

शांगहाए के निवासी छन हाए लुंग एक मशहूर शिक्षक हैं, उनकी दूसरी पहचान हाथी के दांतों से निकली बारीक तत्वों से बुनी कला रचना निर्मित करने वाले एक विलक्षण कलाकार हैं। उन्हे इस तकनीक में लगे दसेक साल हो चुके हैं, लेकिन दुनिया में हाथी के दांतो पर पाबन्दी लगाने के बाद उनकी कला सामग्री में एक समय अभाव संकट पैदा हो गया। श्री छंग हाए लुंग को अपनी इस कला से निर्मित एक रचना तैयार करने के लिए दो साल लग जाते हैं, उन्होने कहा कि यह चीनी संस्कृति की अनमोलता है और युग की एक शानदार कला है, वे अधिकतर अकेलेपन को सहते आए हैं, तो भी वे इस कला को पैसे कमाने के लिए नहीं करते हैं, वे चाहते हैं उनकी प्रस्तुतियों को संग्राहलय में रखी जाए, ताकि अधिक से अधिक लोग इस कला का आन्नद उठा सकें। उन्होने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा चाहे कुछ भी हो, हमारी पीढ़ी को दुनिया के लिए कुछ शानदार अनमोल कला छोड़नी चाहिए, यह मेरी जिन्दगी में सबसे लाभदायक काम होगा। मैं रोजाना कालेज के स्टेज पर लेक्चर देता हूं, मेरे विद्यार्थियों को ये कला बहुत ही पसंद है, उनके लिए ये एक बिल्कुल नयी कला है। मैं हर संभव कोशिशों से अपने पाठयक्रमों में युवा पीढ़ी को इस तकनीक से परिचय कराता हूं, ताकि मेरी कोशिशों से हमारी ये परम्परागत सांस्कृतिक विरासत पर अधिकाधिक युवा पीढ़ी दिलचस्पी ले सकेंगे।

चीन के कानसू प्रांत का च्यो छुएन क्षेत्र रात्रि चमक प्याले की तकनीक से पूरी दुनिया में मशहूर है।वास्तव में प्याले की चमक वहां उत्पन्न होने वाले एक किस्म के जेड पत्थर से निकलती चमक है, इन पत्थरों से निर्मित मदिरा के प्याले व बर्तनों की खूबसूरती का तो कोई जवाब नहीं है, और तो और उस से निकलती जगमगाती रोशनी व चमक लोगों को आश्चर्य चकित में डाल देती है। अपनी इस अदभुत कला का निर्माण करने वाले कम्पनी के एक कर्मचारी ने गर्व के साथ कहा हमारी इस कला वस्तु की खरीददारी बहुत ही अच्छी रही है, उसकी कला में गहराई है, इस तरह की कला से बनी वस्तुओ का इतिहास कोई दो हजार साल पुराना है। च्योछुएन में वे एक बहुत ही स्थानीय विशेषता रखने वाली तथा पर्यटनों को पसंद आने वाली एक कला वस्तु है, आज हमारे यहां कई कारखाने व उद्योग इस कला तकनीक में लगे हुए हैं।

चीनी संस्कृति मंत्रालय के सांस्कृतिक विरासत विभाग के निदेशक मा वन हुए का मानना है कि स्थानीय विशेषता सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण अंग है और वे जनता के जीवन से घनिष्ठ ताल मेल रखती है, हमारे आगे फिलहाल सबसे जरूरी विषय यह है कि अनेक तरीकों से लोगों को उनकी सुरक्षा के लिए जागरूक किया जाए और अधिकाधिक युवा पीढ़ी को इन विरासत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उठाने के लिए उनकी भावना को जगाया जाए। वे हमारी इस अनमोल विरासत के भविष्य हैं।

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