दक्षिण अफ्ररीका में चल रहे फुटबाल विश्व कप के दो सेमीफाइनल मैच समाप्त हुए ।हॉलैंड और स्पेन फाइनल में पहुंचे ।इस का मतलब है कि विश्व कप किसी यूरोपीय टीम के हाथ में पडेगा ।विश्व कप के इतिहास में यह पहली बार होगा कि कोई यूरोपीय टीम यूरोप के बाहर विश्व कप प्राप्त करेगी ।कहा जा सकता है कि नॉक आउट दौर की स्पर्द्धाओं में दक्षिण अमरीकी टीमों का प्रदर्शन निराशजनक रहा है।
इस विश्व कप के ग्रुप दौर में विभिन्न दक्षिण अमरीकी टीमों का प्रदर्शन शानदार रहा ,खासकर ब्राजीली टीम और अर्जेंटीना की टीम । लेकिन नॉक आउट दौर शुरू होने के बाद कई दक्षिण अमरीकी टीमें एक के एक बाद हार गयीं ।उरुग्वे की टीम पहले चार में पहुंचने वाली एकमात्र दक्षिण अमरीकी टीम थी । सेमिफाइनल में उरुग्वे 2--3 से हॉलैंड से पराजित हो गया ।
दक्षिण अमरीकी टीमों की हार के कारण के बारे में आम विचार है कि उन्होंने नॉक आउट दौर में संभावित कठिनाइयों के प्रति पर्याप्त तैयारी नहीं की ।ब्राजील व अर्जेंटीना के कुछ खिलाडियों ने ग्रुप मैच की समाप्ति के बाद कहा था कि उन के फाइनल में खेलने की बडी संभावना है । अपने ग्रुप में पहला स्थान प्राप्त करने के बाद ब्राजीली टीम के गोल कीपर जुलिओ सेसार ने अर्जेंटीना के मीडिया के साथ हुई एक बातचीत में कहा कि ब्राजील व अर्जेंटीना दोनों फाइनल में पहुंचेंगे।विश्व कप की अमरीकी कप बनने की संभावना होगी ।उन्होंने कहा ,अगर ब्राजील व अर्जेंटीना फाइनल मैच में भिडेंगे ,तो बडी अच्छी बात होगी ।मुझे लगता है कि दक्षिण अमरीका की दो शक्तियों में फाइनल में पहुंचने की क्षमता है ।अगर ऐसा होगा ,तो कितना सुंदर होगा ।
जुलिओ सेसाल की बात से जाहिर है कि ग्रुप मैचों के बाद कुछ दक्षिण अमरीकी खिलाडियों में अंधाधुध आशावाद मौजूद था।
नॉक आउट दौर की कठोरता व निर्दयता पर उन की मनोवैज्ञानिक तैयारी पर्याप्त नहीं थी ।
ब्राजीली ग्लोबल टी वी के स्पोर्ट्स चैनल के टिप्पणीकार सेसार ट्राली ने कहा था कि यूरोपीय खिलाडियों का दिमाग अधिक ठंडा है और उन का तकनीकी गुण बेहतर है ,जबकि दक्षिण अमरीकी खिलाडियों के लिए इमोशन मैच में एक महत्वपूर्ण तत्व है ।अगर मैदान पर स्थिति अच्छी है ,तो वे शानदार प्रदर्शन करेंगे।अगर स्थिति अपनी टीम के प्रतिकूल है ,तो नाजुक वक्त में कायापलट करने वाले खिलाडी बहुत कम हैं ।उन्होंने बताया ,दक्षिण अमरीकी टीमों का प्रदर्शन
उन की अपनी भावना पर निर्भर करता है ।जब मैच की स्थिति अत्यंत नाजुक होती है ,तो उन के प्रदर्शन पर गंभीर प्रभाव पड सकता है ।यूरोपीय खिलाडी अधिक ठंडे दिमाग से खेलते हैं ।इसलिए दक्षिण अमरीकी खिलाडियों की तकनीक बढिया है ,पर नॉक आउट मैच में यूरोपीय टीम के मैच जीतने की संभावना अधिक ज्यादा है ।
इस के अलावा अर्जेंटीना की टीम में तालमेल का माहौल इतना अच्छा नहीं है ।उदाहरण के लिए मैक्सिको के साथ हुए मैच में टेवेज ने दो गोल किये ।पर मैच के बीच उसे बदला गया ।टेवेज इस पर नाखुश थे ।उन्होंने खुले तौर पर मुख्य कोच के प्रति अपना असंतोष प्रकट किया ।उन्होंने कहा ,हां ,आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है ।बाल नियंत्रण व शाट पर मेरी पकड़ अच्छी थी ।पर मुझे समझ नहीं आया कि क्यों मुझे बाहर बुलाया गया ।मैं थोडा नाराज हूं ।यह सामान्य प्रतिक्रिया है ।
विश्लेषकों के विचार में कोचों का प्रचुर अनुभव नॉक आउट दौर में एक महत्वपूर्ण तत्व है ।हॉलैंड के मुख्य कोच बर्ट वान मर्विजक ,स्पेन के बोस्क और जर्मनी के जोचिम लो रणनीति बनाने व मैच की कमान संभालने में अधिक कुशल रहे।उदाहरण के लिए मार्विजक ने ब्राजीली टीम के साथ हुए मैच में उस के बाएं बाजू की कमजोरी पकडी और पीछे रहने की स्थिति बदलने में सफलता पायी ।स्पेन के पुराने कोच बोस्क ने दो नॉक आउट मैंचों में खिलाडी बदलने का जो फैसला किया है ,वह सराहनीय है ।स्थिति के मुताबिक खिलाडियों के बदलाव ने विजय पाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभायी ।अर्जेंटीना के साथ हुए मैच में जर्मनी टीम के मुख्य कोच जोचिम लो ने शुरू से ही संकल्प किया कि अर्जेंटीना की दाई ओर जबरदस्त हमला किया जाए ,जिस से अर्जेंटीना की टीम ने अंत में करारी हार खायी ।
हॉलैंड से हारने के बाद ब्राजील के मुख्य कोच डूंगा ने बताया ,विश्व कप का नॉक आउट मैच नब्बे मिनट की लडाई है ।हर छोटा ब्योरा आप की किस्मत तय करेगा।दुर्भाग्य है कि हम बेहतर नहीं कर पाए ।
चार साल के बाद विश्व कप ब्राजील में आयोजित होगा ।आशा है कि दक्षिण अमरीकी टीमें इस विश्व कप से सबक लेकर फिर चोटी पर वापस आएंगी ।