वे चीन के राष्ट्रीय ओपेरा हॉउस की मुख्य कंडक्टर(निदेशक) थीं और पेइचिंग में संगीत के केन्द्रीय संरक्षक विभाग की डीन थीं। अब वे शियामन फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा की कला निर्देशक और कंडक्टर(निदेशक) हैं। हालांकि, वे 81 साल की है परंतु अब भी पूर्वभ्यास तथा नियमित रूप से प्रर्दशनों में व्यस्त रहती हैं। उन्होंने बुनियादी संगीत ज्ञान के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी ओपेरा को समझाने के लिए भी हज़ारों व्याख्यान दिए हैं। ये हैं, झंग श्याओइंग चीन की पहली महिला कंडक्टर(निदेशक)।
"जब से मैं कंडक्टर(निदेशक) बनी हूँ, मुझे लगता है कि आज मैं संसार की सबसे प्रसन्न व्यक्ति हूँ। यद्यपि यह कठिन काम है, तथापि कंडक्टर एक साथ कई संगीतकारों के साथ मिलकर महान संगीत बना सकता है और दर्शकों के साथ बैठकर संगीत का आनंद भी उठा सकता है।"चीन की पहली महिला कंडक्टर(निदेशक) होने के नाते मैं इसे खुशी के रूप में देखती हूँ। कई महिला साथियों द्वारा मेरी प्रशंसा की गई थी क्योंकि हमारे समय में कोई लिंग भेदभाव नहीं किया जाता था। मैं अपने देश तथा देशवासियों का आभार प्रकट करना चाहूँगी।"
झंग श्याओइंग ने पिछले वर्ष अपने 80वें जन्मदिन तथा अपने शिक्षण अनुभव की 60वीं जयंती के उपलक्ष्य पर आयोजित एक विशेष संगीत कार्यक्रम के दौरान यह बात कही।
झंग ने अपने 11 छात्र, यू फंग और छन ज़ुओहुआंग जो कि अब प्रसिद्ध कंडक्टर(निदेशक) के रूप में जाने जाते हैं के साथ मिलकर मंच पर अपने आकर्षण का प्रसार जारी रखा है।
वे इस दुनिया में केवल कुछ ही महिला कंडक्टरों में से एक हैं जो अपनी 80 साल की उम्र में भी मंच पर सक्रिय है। लेकिन यह विश्वास करना मुश्किल है कि मंच पर सुंदर और भावपूर्ण महिला बृहदान्त्र कैंसर(कोलोन कैंसर) की एक उत्तरजीवी है। सेवानिर्मित होने के 6 साल बाद, वर्ष 1997 में जब झंग को शियामन फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा का गठन करने के लिए आमंत्रित किया गया तभी पता चला कि उन्हें बृहदान्त्र कैंसर(कोलोन कैंसर) है।
"उस दिन सुबह डॉक्टर ने मुझे अस्पताल में रहने का आदेश दिया क्योंकि उनका मानना था कि मुझे कैंसर था। उसके बाद मैं अपने घर लौट आई और अगले दो दिन का व्याख्यान तैयार किया। संक्षेप में, कहूँ तो मैंने अपना सारा काम समाप्त किया और बाद में उपचार के लिए अस्पताल गई थी।"
झंग ने अपनी बीमारी का सामना बहुत शांति से किया। चार महीने की कई दौरों की सर्जरी, रसायन चिकित्सा और विकिरण उपचार के बाद, वह ठीक हो गई और 68 वर्ष की उम्र में फिर से मंच पर खड़ी थीं।
जैसा कि उन्होंने वादा किया था, वह शियामन गई और वहाँ फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा की स्थापना की। प्रतिदिन संगीतकार पाँच घंटे तक अभ्यास करते थे और फिर प्रत्येक शुक्रवार शाम को कॉन्सर्ट देते थे।
अब ऑर्केस्ट्रा शियामन सांस्कृतिक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है।
"मैं अपने काम में दृढ़ बनी रहूँगी क्योंकि मुझे पूरा विश्वास है कि मैं अपने व्याख्यान और अपने प्रयासों के माध्यम से शहर और लोगों में संगीत के प्रति रूझान को बढ़ाती रहूँगी। इसलिए, जब शियामन नागरिकों ने वर्ष 2006 में हमारे ऑर्केस्ट्रा को शहर के 10 बेहतरीन नाम के कार्ड के रूप में मतदान दिया तो इस से मैं अभूतपूर्व ढंग से प्रभावित हुई। दरअसल, जब हम ने पहली बार ऑर्केस्ट्रा की स्थापना की, तब कुछ स्थानीय लोगों ने कहा कि यह पैसे की बर्बादी थी और बहुत कम ही लोगों को शास्त्रीय संगीत समझ में आता था। लेकिन सात साल बाद लोगों ने स्वीकार किया कि शियामन, फिलहारमोनिक आर्केस्ट्रा के बिना नहीं रह सकता। यह टिप्पणी सरकार की ओर से नहीं है, बल्कि लोगों की हैं।"
झंग श्याओइंग एक बौद्धिक परिवार में पैदा हुई थीं। जब वे 6 साल की थीं तब उनकी माँ ने उन्हें पियानो बजाना सिखाया था। वे हमेशा से ही स्कूल में एक अच्छी विद्यार्थी रहीं और उन्हें पेचिंग केंद्रीय मेडिकल कॉलेज द्वारा भर्ती किया गया जो उस समय में सबसे अच्छा विश्वविद्यालय माना जाता था।
लेकिन यह समय था जब पूरा देश गृह युद्ध की वजह से अव्यवस्था में था। झंग विश्वविद्यालय में पढ़ाए जाने वाले उन्नत विचारों से प्रभावित हुईं और उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा निर्णय लिया।
"मैं कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्या नहीं थी, लेकिन मैं उन के करीब होना चाहती थी और उनकी गतिविधियों में शामिल होना चाहती थी। उदाहरण के लिए मैंने कम्युनिस्ट क्षेत्र तथा सोवियत संघ के लोक -गीत लेकर सामूहिक संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया। जब देश कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा मुक्त कराए जाने के करीब था, मैंने घर छोड़ दिया और कम्युनिस्ट सेना के नियंत्रित क्षेत्र में चली गई।"
सन् 1948 की सर्दियाँ थीं। उन्नीस वर्षीय झंग ने स्कूल छोड़ दिया और अपने माता पिता को छोड़ कर मुक्त क्षेत्र में एक सांस्कृतिक मंडली में शामिल होने का फैसला किया। यहाँ से वे "कंडक्टर(निदेशक)," की स्थिति से परिचित हुई जो आगे चलकर उनका आजीवन कैरियर बन गया। वर्ष 1955 में, सोवियत संघ के एक प्रसिद्ध कंडक्टर द्वारा झंग को चुना गया था और वे उनकी एकमात्र महिला छात्रा बन गईं।मंच पर संगीतकारों को किस प्रकार संचालित किया जाए, यह सिखने वे मास्को गईं थीं। स्नातक होने के बाद उन्होंने क्रेमलिन थिएटर में अपने प्रथम ओपेरा का आयोजन किया। नए चीन के इतिहास में झंग पहली महिला ऑर्केस्ट्रा कंडक्टर बन गईं। उनका एक बार पश्चिमी मिडिया द्वारा दुनिया की सर्वश्रेष्ठ महिला कंडक्टर के रूप में स्वागत किया गया। उनकी व्यावसायिक सफलता के अलावा, झंग ने पश्चिमी संगीत और ओपेरा को समझने के लिए जनता की मदद करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
संगीत कार्यक्रम शुरू करने से पहले झंग हमेशा उसके बारे में एक संक्षिप्त भाषण देती हैं और संगीत के बारे में कुछ बुनियादी ज्ञान का परिचय भी देती हैं।
झंग 1978 में बीजिंग के राष्ट्रीय ओपेरा हाउस में कंडक्टर(निदेशक) थीं।उस समय के अपने अनुभवों को याद करते हुए झंग बताती हैं।
"जब मैं राष्ट्रीय ओपेरा हाउस में थीं और हमने शिजिंगशान जिले में ओपेरा प्रदर्शन किया था। कई श्रमिक और उनके परिवार हमारे संगीत कार्यक्रम में आए थे। उस समय लोग पश्चिमी ओपेरा समझ नहीं सकते थे। यद्यपि हम ने चीनी भाषा में गाया था तथापि उन के लिए समझना कठिन था। लोग इतनी उलझन में थे कि मैं प्रदर्शन भी शुरू नहीं कर सकी। मुझे बहुत दुख हुआ लेकिन मैं दर्शकों को इसका दोषी नहीं मान सकती थी क्योंकि सदियों से लोगों को सामान्य संगीत समारोहों का आनंद लेने के अधिकार से वंचित कर दिया गया था। तब मैंने सोचा कि एक कलाकार होने के नाते हम किस प्रकार स्थिति में परिवर्तन कर सकते हैं।"
तब से झंग ने फैसला किया कि हर संगीत कार्यक्रम का आयोजन करने से पहले वे 20 मिनट का व्याख्यान देंगीं। शुरुआत में, वे संगीत के हॉल में समय से काफी पहले आ जाती थीं और दरवाज़े के बाहर खड़ी हो जाती थीं ताकि वह लोगों को अपना व्याख्यान सुनने के लिए आमंत्रित कर सकें।
"व्याख्यान के माध्यम से, मैं लोगों को पश्चिमी ओपेरा के बारे में बुनियादी ज्ञान आसान तरीके से सिखाती थी। और मेरे व्याख्यान का प्रसार होने लगा और लोगों की संख्या एक से दस, दस से सौ हो गई। जल्द ही, लोग स्वयं आने लगे। कुछ लोग शंघाई से मेरा व्याख्यान सुनने के लिए आने लगे और कुछ लोग अगले दिन का टिकट सिर्फ इसलिए खरीदने लगे क्योंकि उन्होंने संगीत कार्यक्रम से पहले मेरे व्याख्यान को नहीं सुना था। लोगों की प्रतिक्रियाओं को देखकर, मैंने फैसला किया कि शास्त्रीय संगीत के ज्ञान को लोकप्रिय बनाना ही मेरा लक्ष्य होगा।"
झंग ने अभी भी संगीत कार्यक्रम से पहले व्याख्यान देने का सिलसिला जारी रखा है। वे कहती हैं कि अपनी पेशेवर उपलब्धियों पर प्रतिबिंबित करने के बजाय वे बहुत खुश हैं यह देखकर कि अधिक लोग पश्चिमी ओपेरा और आर्केस्ट्रा संगीत के अभ्यस्त हो रहे हैं।
हेमा कृपलानी