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कला संस्कृति ने विश्व मेले में चार चांद लगाए हैं
2010-06-21 10:12:22

शांगहाए विश्व मेले में अनेक देशों के अनोखी शैलियों के हाल देखने के मौके पर, आप रंग बिरंगी कला प्रदर्शनी भी देखना न भूले। यहां रोजाना कई सौ से अधिक अनोखे व विशेष शैलियों से भरपूर विविध कला प्रदर्शनियां दिखाई जाती हैं। चाहे दिन में हों या शाम को , जब आप चलते चलते थक जाए तो आप बैठकर कलाकारों द्वारा हाल के बाहर स्टेज पर प्रस्तुत कला संस्कृति का आन्नद उठा सकते हैं, आप अपने बच्चों को लेकर हाल में प्रस्तुत संगीत मनोरंजन कार्यक्रम भी देख सकते हैं। आप ने जो धुन सुनी वह विश्व मेले के खुले मैदान में आयोजित घोड़े के नाम से तैयार एक मार्डन नृत्य ओपेरा का संगीत था। इस संगीत मंडली के कलाकारों में चीन के अलावा कनेडियन और मंगोलियाई के कलाकार भी शामिल हैं। मंगोलियाई संगीत की धुन की ताल में कलाकारों ने मार्डन नृत्यों की अदाओं से घास मैदान में चरवाहों के धूमधाम जीवन को दर्शाया हैं। हालांकि यह एक मामूली स्टेज है, बत्तियों व रोशनी की चमक व उमंग भरे संगीत की धुन पेशावर बड़े स्टेज से मुकाबला तो कर नहीं सकती है, फिर भी दर्शकों ने बड़े शौक से उनकी कला प्रदर्शनी को देखा । चीन के च्यांग सी प्रांत से आये 70 साल की उम्र के एक दंपती ने एक घन्टे का यह कार्यक्रम देखने के बाद हमें बताया इस तरह की कला प्रदर्शनी आम समय में बहुत कम देखने को मिलती है, उनकी कला तकनीक बहुत ही ऊंची है, प्रदर्शनी भी अच्छी है, नृत्य में घास मैदान की जीवन कहानी शुरू से अन्त तक लोगों के मन छूती रही है, घोड़ों के घास मैदान में दौड़ने, चरवाहों का जीवन व विशाल घास मैदान का सौन्दर्य दृश्य, इन सभी ने हमें बड़ी जोर से आकर्षित किया है।

रेड स्काए कला मडली की नेता व निर्देशक सुश्री सेन्ड्रा ने 2007 में चीन की भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश से अनेक होनहार कलाकारों को चुना, फिर राजधानी हूहेहात की जातीय नृत्य संगीत मंडली में से तीन पेशावर कलाकारों को भी चुना, इस के अलावा, मंगोलिया राष्ट्र के अपने तीन गायकों को लेकर उन्होने इस आधुनिक नृत्य ओपेरा का निर्देशन किया । गौरतलब है कि इस कला मंडली ने 2008 पेइचिंग ओलम्पिक में भी अपनी कला से लोगों का मन मोह लिया था। इस बार के विश्व मेले में उन्हे अपनी कला को फिर एक बार करोड़ों दर्शकों को प्रदर्शन करने का मौका मिला है। सुश्री सेन्ड्रा का मानना है कि ओपेरा की कहानी शांगहाए विश्व मेले की प्रकृति व समंजस्य के मुख्य शीर्षक से बिल्कल ताल मेल रखती है। उन्होने कहा मैं बहुत ही खुशी से तीन देशों के भविष्य जीवन की उम्मीदों को प्रदर्शित करना चाहती हूं, कला संस्कृति में विविधता ही नहीं बल्कि उसकी सौन्दर्यता व खूबसूरत दृश्य भी बड़े मनमोहक हैं। घोड़े की सुन्दरता को दर्शाने के साथ उसकी शक्ति को भी दर्शाया है। घोड़ा प्रकृति दुनिया में जीने वाला एक जानवर है, कनाडा, भीतरी मंगोलिया व मंगोलिया राष्ट्र में विशाल घास मैदान हैं, कुछ घास मैदान लु्प्त हो रहे हैं और घोड़ों की संख्या भी कम होती जा रही है, इन सभी तथ्यों को हमने अपने ओपेरा में संगीत के सहारे लोगों के आगे प्रदर्शित किया है। घोड़ा एक महत्वपूर्ण जानवर है, हमारी कहानी में घोड़ा मानव के जीवन का एक सदस्य बन गया है, मानव को बताया गया है कि घोड़ों का भी सम्मान किया जाना चाहिए। घोड़ा सुन्दरता व शक्ति का प्रतीक है, हम अपनी कला से इसे निखारना चाहते हैं।

रेड स्काए कला मंडली का रिहार्सल का पूरा दौर भी दिलचस्प रहा है। अनेक देशों से आए कलाकार इस से पहले एक दूसरे को नहीं जानते थे, कलाकार अपनी अपनी भाषा का प्रयोग करते थे, एक दूसरे के साथ बातचीत में उंगलियों का ही सहारा लेना पड़ता था। चीनी कलाकार छाए हुंग ने कहा कि इस से हमें अपने मन की कला प्रदर्शनी को एक सुन्दर कहानी व छवि के रूप में उतारने में बड़ी मदद मिली है। उन्होने हमें बताया सचमुच इस ओपेरा की रिहासर्ल में हम अधिकतर उंगलियों के इशारे से अपनी इच्छा जताते आए हैं। निर्देशक दिल की गहराई से हमें जो निर्देशन देते हैं, वे हम अपने दिल की महसूसता से उसका असली मतलब समझ लेते हैं, भाषाओं में अन्तर होने के बावजूद भी हम एक दूसरे के साथ बड़ा अच्छा मेल रखते आए हैं, यह अन्य लोगों के लिए एक अजीब सी बात हो सकती है, लेकिन यह सच है। निर्देशक सेन्ड्रा ने अन्य निर्देशकों व शिक्षकों की भी मदद लेकर हमारे बीच सहयोग को बरकरार रखा है, रोजाना के रिहासर्ल में हम अपने तन से मन की बातों को उतार लेते हैं।

विश्व मेले में कोरिया गणराज्य के कलाकारों का अनुभव कहीं अधिक प्रचुर रहा। क्योंकि उन्हे अनेक विश्व मेले में अपनी प्रदर्शनियां दिखाने के अनुभव हैं। कोरिया गणराज्य की कला सुपरवाइजर व कला मंडली की नेता सन च्या सी ने कहा कि 1986 के वैनक्वूर विश्व मेले में, उनकी कला ने पश्चिम दर्शकों का मन जीत लिया था। बहुत से दर्शक कई बार हमारी कला को दोबारा देखने आए थे। उन्होने बड़ी खुशी से हमें बताया हमारी मंडली ने चीन और जापान से अलग नयी कला पर बल दिया, हमने कलाकारों के वस्त्रों व कला रचनाओं की नवीनतम में बड़ी मेहनत की । कुछ समानता होने के साथ हमने अपनी कोरियाई कला की सुन्दरता व मोहिकता को पूरी तरह दर्शाया था। इस बार के शांगहाए विश्व मेले में हमने लोक नृत्य के अतिरिक्त , परम्परा ढोल संगीत, स्ट्रीट डान्स, जेस बेले, इलैक्ट्रोनिक संगीत व शाही महल की पोषाकों में सजधज कर अपनी कला प्रदर्शनी को एक अदभुत व अनोखी शैलियों से सजाया है, इस तरह ,इस बार के विश्व मेले में भी हमने लोगों को अपनी कला से मंत्रमुग्ध किया है।

हरेक देश अपनी अनोखी कला व ह्रदय को छू लेने वाली कलाओं से दर्शकों का मन जीतने की कोशिश कर रहे हैं। चाहे वह परम्परागत कला हो या आधुनिक कला, चाहे हाल के बाहर के स्टेज में हो या हाल के सुन्दर हाल में , केवल एक उद्देश्य बना रहा है कि हर कोशिशों से दर्शकों का मन जीत लिया जाए और दर्शकों को उनकी पसंद की कला दिखायी जाए। ब्रुनई के काष्ठ मूर्ति कलाकार साबली अपने हाथ में एक परम्परागत गिटार सा वाद्ययंत्र लिए उसकी धुन में दर्शकों को अपनी कला को प्रदर्शित किया । उन्होने इस पर चर्चा करते हुए कहा यह ब्रुनई की एक प्राचीन संगीत वाद्ययंत्र है, बिल्कुल पश्चिम के गिटार की तरह है। इस गिटार में निर्मित नमूने हमारे सबसे पुरानी जाति की कल्पना के आधार पर चित्रित किया गये हैं। इस का प्रतीकात्मक अर्थ है, इस चित्र में एक चिड़िया का रूप है। हमारे पुरानी जाति वन के जन्तुओं की पूजा करती आयी है, इस लिए उन्होने अपने संगीत वाद्ययंत्रों में उड़ने वाले या धरती पर दौड़ने वाले जन्तुओं को चित्रित किया है। मैं ब्रुनई के प्रतिनिधि के रूप में शांगहाए मेले में शामिल हो सका, यह मेरा गौरव है। मैं चाहता हूं कि विश्व मेले के जरिए दुनिया को अधिक से अधिक ब्रुनई की पहचान मिलेगी और उसकी सुन्दरता और अधिक बढ़ेगी।

मेले में रूस, मैक्सीको व अन्य देशों से आए विदेशी मित्र अफ्रीकी ढोल की ताल में हर्षोल्लास से नाच रहे हैं। जोर्डन ने हमारे संवाददाता को खुशी खुशी बताया आज का मनोरंजन कार्यक्रम बहुत बढ़िया रहा। संगीत व नृत्य लाजवाब, यह मैं और मेरी पत्नी के लिए बहुत आन्नदमय शाम रही है। मैं और मेरी पत्नी इस तरह के बेहतरीन कार्यक्रम देखने के लिए फिर से जरूर आएगें, हम इसकी आंस लगाए बैठे हैं।

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