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तिब्बत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर थुतङखचू के साथ बातचीत
2010-06-18 09:03:01

तिब्बत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्री थुतङखचू चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी के सदस्य हैं। मार्च के पूर्वार्द्ध में पेइचिंग में आयोजित चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी के वार्षिक सम्मेलन के दौरान हमारे संवाददाता ने श्री थुतङखचू से इंटरव्यू लिया। साक्षाक्तार के दौरान उन्हों ने बड़े उत्साह के साथ हाल के सालों में तिब्बत के शिक्षा कार्य में आए भारी परिवर्तन की चर्चा की। उनके अनुसार वे तिब्बत विश्वविद्यालय में 20 साल से अधिक समय तक पढ़ाते आए हैं, तिब्बत के शिक्षा कार्य पर उन का हमेशा ध्यान रहा है। इधर के सालों में तिब्बत के शिक्षा कार्य में आए भारी परिवर्तन की चर्चा करते हुए उन्हों ने खुशी के साथ बताया कि वर्तमान तिब्बत में शिक्षा का यह लक्ष्य बुनियादी तौर पर साकार हो गया है कि तमाम स्कूली उम्र वाले बच्चों को निशुल्क शिक्षा मिले। बातचीत में श्री थुतङखचू ने कहाः

20वीं शताब्दी के पचास वाले दशक में तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति से पहले तिब्बत में आधुनिक नाम का कोई भी स्कूल नहीं था। राजनीतिक और धार्मिक मिश्रित शासन और सामंती भूदास व्यवस्था वाला तिब्बत लम्बे अरसे से बाहर दुनिया से बन्द पिछड़ी अवस्था में पड़ा रहा था। उस जमाने में तिब्बत में केवल लामा मठों और स्थानीय तिब्बती सरकार के वरिष्ठ भिक्षुओं तथा कुलीन वर्ग की संतानों की सेवा में स्कूल खोले गए थे। पूरे तिब्बत में स्कूली उम्र वाले बच्चों की दाखिला दर मात्र 2 प्रतिशत थी और अपढ़ युवा व व्यस्क लोगों की दर 95 प्रतिशत से अधिक थी।

50 वाले दशक में तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति हुई। केन्द्रीय सरकार ने तिब्बत के शिक्षा कार्य में पूंजी के निवेश में भारी वृद्धि की और वहां अनेकों उदार नीतियां लागू कीं। इस के परिणामस्वरूप अब तिब्बत में शिक्षा कार्य का काया पलट हो गया है। श्री थुतङखचू ने कहाः

हमारे तिब्बत का शिक्षा कार्य, खासकर बुनियादी शिक्षा का प्रबंधन और उस पर दिया गया ध्यान पूरे देश में अव्वल स्तर के हो गए हैं। उदाहरणार्थ, तिब्बत में अनिवार्य शिक्षा लेने वाले छात्रों में से यदि किसी की पढाई बीच में कट गयी, तो उस के मां बाप, स्कूल, कक्षा के अध्यापक से लेकर उस जगह के शिक्षा ब्यूरो के अधिकारियों को दंडित किया जाता है और उन्हें सरकार की भत्ता या सहायता पूंजी नहीं दी जाती है। वर्तमान की स्थिति के अनुसार तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में नौ साल की अनिवार्य शिक्षा का लक्ष्य बुनियादी तौर पर प्राप्त हो चुका है।

बातचीत में प्रोफेसर थुतङखचू ने कहा कि तिब्बत के कृषि व पशुपालन क्षेत्रों में ऐसा कोई अभिभावक नहीं देखने को मिलता है, जो अपने बच्चों को पढ़ाई छोड़कर घर में बकरी चराने पर मजबूर करता हो। घर में श्रम शक्ति की जितनी भी क्यों कमी हो, तो भी वे अपने बच्चों को पढ़ाई छोड़ने नहीं देते हैं। तिब्बत को शिक्षा के क्षेत्र में सहायता देने की नीति के चलते नौ साल की अनिवार्य शिक्षा के दौरान स्कूली उम्र वाले सभी बच्चों को निशुल्क शिक्षा मिलने का लक्ष्य साकार हो गया है।

आंकड़ों के अनुसार 2001 से 2006 तक केन्द्रीय सरकार ने तिब्बत में शिक्षा की बुनियादी सुविधाओं के निर्माण में 2 अरब 30 करोड़ य्वान की राशि डाली है। संबंधित विभागों ने तिब्बत के मिडिल व प्राइमरी स्कूलों के पुराने मकानों के जीर्णोद्धार, तिब्बत विश्वविद्यालय के नए परिसर के निर्माण तथा मिडिल व प्राइमरी स्कूल की दूर शिक्षा के लिए बुनियादी सुविधाओं के निर्माण की परियोजनाएं पूरी कीं। लम्बे अरसे से शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले प्रोफेसर थुतङखचू को ऐसे भारी सुधार पर असाधारण अनुभव हुआ है। उन्हों ने कहाः

केन्द्रीय सरकार ने तिब्बत के कृषि व पशुपालन क्षेत्रों में आवास परियोजनाओं तथा बुनियादी संस्थापनों के निर्माण में बड़ी तादाद की धनराशि लगायी है। सब से उल्लेखनीय काम स्कूलों के निर्माण में देखा जा सकता है। आप तिब्बत में कहीं भी गए, आप की नजर में सब से अच्छा वास्तु निर्माण स्कूल के रूप में मिलता है। स्कूल में पढ़ने के समय से लेकर शिक्षा कार्य में 20 साल गुजारने तक मैं ने खुद अपनी आंखों से यह भारी परिवर्तन देखा है।

तिब्बत के शिक्षा विभाग तिब्बती भाषा पर अध्यापन कार्य के विकास पर अत्यन्त बड़ा महत्व देते हैं। सूत्रों के अनुसार तिब्बत की विभिन्न स्तरीय सरकारों ने तिब्बती भाषा को लोकप्रिय करने के लिए क्रमशः पांच तिब्बती भाषी पाठ्यपुस्तकें बनायीं जो प्राइमरी स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक के सभी पाठ, पाठ्यक्रम और शिक्षकों के लिए संदर्भ पाठ्य सामग्री शामिल हैं। प्रोफेसर थुतङखचू ने कहाः

तिब्बत में द्विभाषी शिक्षा की व्यवस्था होती है, जो ग्रामीण और चरवाही इलाकों में व्यापक लागू हुई है। इन क्षेत्रों में तिब्बती भाषा प्रमुख है। इस के साथ साथ चीनी हान भाषा भी पढ़ायी जाती है। जिन स्थानों में सुविधा मिलती है, तो अंग्रेजी की भाषा भी सिखायी जाता है। उदाहरण के लिए विश्वविद्यालय को लीजिए, विश्वविद्यालयों में तिब्बती भाषा की शिक्षा होती है, हान जाति के छात्रों को भी तिब्बती भाषा सीखना चाहिए और उन्हें क्षेत्रीय भाषा परीक्षा में पास होने की जरूरत है। इसलिए तिब्बत में तिब्बती भाषा की प्रसार दर बहुत ऊंची है। प्राइमरी स्कूलों में तिब्बती भाषा मातृभाषा के रूप में पढा़यी जाती है।

प्रोफेसर थुतङखचू ने कहा कि तिब्बत में शिक्षा कार्य के विकसित होने के परिणामस्वरूप तिब्बती जाति की संस्कृति और अधिक मात्रा में विरासत में ग्रहण की गयी है और विकसित की गयी है। उन्हों ने संवाददाता को बताया कि तिब्बत की शिक्षा व्यवस्था के तहत बुनियादी शिक्षा पर अधिक जोर लगाया जाता है और लचीले तौर पर द्विभाषी शिक्षा का विकास किया जाता है। ताकि और अधिक माध्यमों से और ज्यादा संख्या में विभिन्न प्रकार के प्रतिभाशाली लोग प्रशिक्षित किए जाए और उन्हें आसानी से रोजगार प्राप्त हो जाए। इस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की वास्तविक स्थिति के अनुकूल है।

श्री थुतङखचू ने कहा कि तिब्बत में उच्च शिक्षा के स्नातकों में से अधिकांश लोग ग्रामीण और चरगाहों के स्कूलों में पढाते हैं और बुनियादी स्तरीय सरकारी विभागों में काम करते हैं , कुछ स्नातक छात्रों ने सरकारी सेवक परीक्षा में पास होकर सरकारी सेवक की नौकरी प्राप्त की है और कुछ स्नातकों ने कारोबारो में जोब पाये हैं। तिब्बत विश्वविद्यालय के स्नातक छात्रों की रोजगारी प्राप्त दर 80 फीसदी से भी अधिक है।

तिस पर भी चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय कमेटी के सदस्य के नाते श्री थुतङखचू ने माना है कि तिब्बत की शिक्षा व्यवस्था में अब भी बहुत सी कठिनाइयां मौजूद हैं। जैसा कि शिक्षा की क्वालिटी उन्नत करने का मामला जल्दी से हल किया जाना चाहिए।

इस पर उन्हों ने कहाः

सर्वप्रथम, तिब्बत में बुनियादी शिक्षा की गुणवत्ता की समस्या मौजूद है। हमारी पीढ़ी के शिक्षकों का शिक्षा दर्जा अपेक्षाकृत ऊंचा नहीं है और अध्यापन के लिए ज्यादा प्रशिक्षण भी नहीं मिला। शिक्षक पांत का विकास करना वर्तमान में एक कुंजीभूत काम है। इसके अलावा तिब्बत में पूरी तरह भीतरी इलाके या विदेश की शिक्षा पद्धति की नकल नहीं की जानी चाहिए और अपनी वास्तविक स्थिति के मुताबिक अपने शिक्षा कार्य को विकसित किया जाना चाहिए।

श्री थुतङखचू ने कहा कि पूरी तरह आत्म निर्भरता के तरीके से तिब्बत के शिक्षा कार्य की आवश्यकता को पूरा नहीं किया जा सकता। केन्द्रीय सरकार से पूंजीगत समर्थन मिलने के साथ साथ अधिक संख्या में उच्च क्वालिटी वाले प्रतिभाओं को तिब्बत के निर्माण कार्य में आकर्षित किया जाना चाहिए।

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