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क्वांगशी होचओ का तितली गीत
2010-06-17 15:47:15
जब आप दक्षिण चीन के क्वांगशी च्वांग स्वायत्त प्रदेश के होचओ शहर के याओ जाति के गांव में अतिथि के रूप में आते हैं, तो वहां याओ जाति के युवा युवती - खुशी से झूमता नदिया जल दूर से आए मेहमान का सत्कार करता है- नाम का गाया तितली गीत गांव में गूंज उठता है।

मेहमान के आते ही याओ जाति -स्वागत गीत – की मधुर स्वर से अतिथि का सत्कार करती है , मेहमान के पांव गांव में कदम रखते ही - न जाने देंगे हम आप को बिना मदिरा पिए – का गीत गूंज उठता है। उधर मदिरा पीते समय - मदिरा में भरी शुभकामनाएं - गीत खुशी के माहौल को एक नयी मंजिल तक पहुंचा देती है, मेहमान को विदा करते समय – कभी अलविदा न कहना प्रिय मेहमान – का गीत , पूरे गांव के हर्षोल्लास और ऊंची उमंग को एक नयी ऊंचाई तक उछाल देता है। इन रंग बिरंगे बोल से सुस्ज्जित तितली गीत नाम का याओ जाति का यह गीत, एक विशाल गीतमाला व पुरानी परम्परा के रूप में क्वांगशी च्वांग स्वायत्त प्रदेश के सारे पर्वतों पर व नदियों के किनारों पर इसी तरह हजारों सालों से गूंजती आयी हैं।

होचओ शहर के नृत्य संगीत मंडली के उप प्रबंधक थांग यू फन और उनके पति ल्याओ छुन सन करीब तीस सालों से बुनियादी ईकाइयों में काम करते आए हैं। मई 2009 से उन्होने एक साथ मिलकर फू छुआन की असली पारिस्थितिकी से ताल मेल रखने वाले तितली गीत की खोज करने व उसको संगीत देने व उसे नृत्य में उतारने की कला का रास्ता शुरू किया। पिछली शताब्दी के पचास व साठ वाले दशक में याओ जाति बन्धुओं के मेले में लोग एकत्र होकर तितली गीत गाने की हर्षोल्लास भरे दिनों को याद करते हुए ल्याओ छुन सन ने मुस्कराते हुए कहा इस गाने को गाकर हम अपने दिल की बात कह कर मन वृत्ति भावना को जगाते हैं,जब जब इस तितली गीत को याद करते हैं, तो हम एक साथ खुशी खुशी इसे बड़ी मौज से गाते हैं। उस समय आप किसी गांव के मेले में जाएं तो यह गीत जरूर सुनने को मिलेगा।

तितली गीत क्वांगसी फू छुआन याओ जाति एक प्रतीकात्मक लोक गीत है. तितली गीत जब याओ जाति की भाषा में गाया जाता है तो वे दो स्वरों में गाए जाते हैं, एक स्वर हान भाषा में होता है, क्यों कि गीत के बोल में बराबर तितली गीत के यह शब्द हान भाषा में सुनने को मिलते हैं। तितली गीत को गाते समय तितली व मधुमक्खी से निकली स्वर धुन को भी गीत में प्रदर्शित किया जाता है, जिस से ऐसा महसूस होता है कि तितली अपने पंख फैलाए झूमती हुई सुरीली धुन में नाच रही हो । तभी तो देश विदेश में इसे झूमती तितली पंख का पहाड़ी गीत भी कहते हैं। ल्याओ छुन सन ने कहा कि तितली गीत की अपनी विशेष कला आकर्षण है, उन्होने मुस्कराहट भरे स्वर में कहा उसकी मुख्य विशेषता यह है कि उसके गीत के बोल में बार बार तितली व मधुमक्खी का नाम आता है, संगीत में तितली के बोल सुनने में बहुत ही मधुर लगते हैं, ऐसे लगता है कि सचमुच तितली व मधुमक्खी के पंखों को फैलाने की आवाज सुनाई देती है, सुनकर बहुत ही अच्छा महसूस होता है।

इतिहास में वर्णन किया गया है कि तितली गीत याओ जाति का एक बहुत ही पुराना पहाड़ी गीत है, याओ जाति के लोग पूजा पाठ में या अपने घर बदलने के मौके पर, शादी व अंतयेष्टि के समय हो या मेहमानों के स्वागत व त्योहारों की खुशी के मौके पर, तितली गीत अनेक तरीकों व संगीत से गाया जाता है। याओ जाति के किशोर व किशोरियां अपने प्यार का इजहार करते समय भी तितली गीत का फायदा उठाते हैं। हालांकि तितली गीत में याओ जाति के जीवन रिवाजों की शैली, लोक संस्कृति जैसे के तैसे पहले की तरह बरकरार है, इस लिए तितली गीत देश विदेश में याओ जाति संस्कृति की महान एतिहासिक गान माना जाता है। इसमें मैत्री का प्रचार व श्रम का गुणगान तथा प्यार की तमन्ना गीत , याओ जाति के लोगों की आत्मिक दुनिया का एक महत्वपूर्ण अंग बना रहा है।

अलबत्ता, युग में आये बदलाव व आधुनिक सभ्यता की टक्कर के आगे, तितली गीत की प्राचीन परम्परा शैली खोने लगी है। सुश्री थांग वी फन ने तितली गीत के लुप्त होने की चिन्ता पर अफसोस जताते हुए कहा हमारे पुराने पीड़ी के बुजर्गों ने पीढ़ी दर पीढ़ी इस गीत को अब तक जैसा का तैसा बरकरार रखा है, लेकिन आजकल की पीढ़ी इसपर इतना गहरा ध्यान नहीं दे रही हैं। लोगों में तितली गीत गाने का शौक भी घटता जा रहा है, जो भी बचे हैं ,उनकी उम्र कम से कम 40 साल से अधिक है। युवा पीढ़ी में कुछ लोग तो इसे गा तक नहीं सकते हैं।

तितली गीत के प्राचीन रस व स्वाद को बनाया रखे जाने तथा उसे पेशावर मंच में प्रदर्शित करने के लिए, ल्याओ छुन सन और उनकी पत्नी थांग वी फन हमेशा अपनी फुरसत में छात्रों को गांव व बस्तियों में जाकर तितली गीत के पुराने लोक कलाकारों से इस कला की माहिरता सीखने ले जाते हैं। घर आने के बाद दोनों पति पत्नी तितली गीत के सभी कारकों को बटोर कर उसमें संगीत देकर इस गीत के गान को मधुर बनाने में जुट जाते हैं, जब यह गीत नयी शैली के रूप में तैयार हो जाता है तो वे इसी अपने छात्रों को गाने के लिए प्रस्तुत कर देते हैं। जब भी दोनों पति व पत्नी तितली गीत के लिए गांव गांव जाते हैं तो उन्हे याओ जाति के लोगों का अपने परिजनों समान हार्दिक स्वागत मिलता है, इस से ल्याओ छुन सन के मन में तितली गीत को नयी जान देने की दृढ़ता कही अधिक बढ़ जाती है। उन्होने हमें बताया असल में तितली गीत गाने वाले पुराने कलाकार बहुत ही मेहमानवाजी है।

वे बड़ी खुशी से हमें तितली गीत सुनाते हैं, चाय पान से हमारा सत्कार करते हैं, और हमें अपने घर में भोजन के लिए भी बुलाते हैं, विदा के समय हमें उनके कई तरह के उपहार भी मिलते हैं। इस से देखा जा सकता है कि तितली गीत का याओ जाति के दिल में कितना महत्वपूर्ण स्थान है। जब भी हम उन्हे मेहनत का वेतन देते हैं, तो वे बराबर लेने से मना करते हैं, और कहते हैं कि हम पैसे के लिए नहीं गाते, हम दिल को खुश रखने के लिए गाते हैं, हमारा फर्ज है कि याओ जाति के इस परम्परा गीत को पीढ़ी दर पीढ़ी ले जाया जाए, ताकि अधिकाधिक लोग तितली गीत को पंसद करें और हम उसे गुनगुनाते रहें, ताकि तितली गीत हमेशा याओ जाति का सदाबहार गीत बना रहे।

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