पुस्तक का अर्थ क्या है , यह आज के चीन समाज में एक रहस्मय और मुश्किल से तय किए जाने वाला अनोखा विषय है। हाल ही के एक नवीनतम देश के नागरिकों के पुस्तक पढ़ने की जांच पड़ताल से पता चला है कि चीनी जन समूह में इलैक्ट्रोनिक पुस्तक पढ़ने की रूचि दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, साहित्य आलोचकों और विद्वानों ने इस पर गहरी चिन्ता जतायी है, उन्होंने लोगों को फास्ट फूड जैसे पढ़ाई से बचने के लिए सावधान होने का सुझाव रखा है, चाहे इलैक्ट्रोनिक पुस्तक हो या आम पन्नों वाली पुस्तकें, उसके पढ़ने की गहराई और उसकी विशालता को उन्नत किया जाए, यह एक जरूरी महत्वपूर्ण विषय है।
पेइचिंग की एक परामर्श कम्पनी की कार्यकर्ता सुश्री च्यांग सान ने हमारे संवाददाता को बताया कि नौकरी में व्यस्त होने की वजह से वह आम तौर पर वेबसाइट पर सूचनाएं पढ़ती हैं, आराम से बैंठकर पढ़ना उनके लिए कुछ मुश्किल होता जा रहा है। उन्होने कहा नौकरी में सचमुच बहुत व्यस्त रहने की वजह से मैंने बहुत लम्बे अर्से से कोई पुस्तक नहीं पढ़ी हैं। वेबसाइट देखना रोजाना का काम बन गया है, नौकरी के कारण पुस्तक को पाने का रास्ता भी वेबसाइट ही रह गया है। आजकल वेबासाइट इतनी विकसित हो गयी है कि इन्टरनेट में किसी तरह की वेबसाइट सूचनाएं मिल सकती हैं, जिसे एक नजर देखने के बाद जल्दी भूला भी जाया जाता है। मेरे ख्याल में यदि आराम से बैठकर पुस्तकें पढ़ी जाए, तो अपने ज्ञान को बटोरने तथा आने वाले विकास में वे बड़ी मददगार सिद्ध हो सकती हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि समय के कारण , मैं बड़ी मुश्किल से आराम से बैठकर पुस्तक पढ़ने का समय जोड़ सकती हूं।
सुश्री च्यांग सान के पुस्तक पढ़ने का तरीका आजकल चीन में बहुत ही लोकप्रिय मुददा है। चीनी प्रकाशन विज्ञान अनुसंधान विभाग समेत 57 शहरों के नागरिकों के पुस्तक पढ़ने की पूछताछ जांच से पता चला है कि 2009 में चीन के 18 से 70 साल की उम्र के नागरिकों में वेबसाइट में पुस्तकें पढ़ने वालों का अनुपात 24 प्रतिशत से अधिक है, जो पिछले साल से थोड़ा ज्यादा है, फिलहाल वेबसाइट, सेलफोन व इलैक्ट्रोनिक माध्यमों से पुस्तकें पढ़ने का तरीका अत्यन्त लोकप्रिय होता जा रहा है।
कुछ गंभीर लेखकों व विद्वानों की नजर में पुस्तक पढ़ने का इस तरह का डिजीटलकरण तरीके में अनेक चिन्ताएं बनी हुई हैं। साहित्यकार आलोचक पाए हवा ने कहा पूर्ण रूप से देखा जाए, पुस्तक पढ़ने के तरीके पहले की बराबरी में विविध हैं, आजकल वेबसाइट व इलैकट्रोनिक युग ने हमारे आगे कई समस्याएं खड़ी की हैं, इन में लेखन व पुस्तक पढ़ने की समस्या भी हैं। लोग आम तौर पर पुस्तक पर तेजी से नजर डालकर पढ़ते हैं, जो उन्हें उत्तेजन व आन्नदमय का अहसास दिलाता है। किसी भी तरीके से पुस्तक पढ़ना अपना एक कारण व जरूरत होती है, लेकिन हमारी नजर में पुस्तक पढ़ना मानव के जीवन और उसकी मानसिकता में नयी जीवन शक्ति को प्रचुर करना है, मनोंरजन तरीके भी अनेक हैं, पर पुस्तक का अपना एक विशेष योगदान यह है वे मानव की बुद्धि को उन्नत करने और उससे अपने को पवित्र और उच्च कोटि का व्यक्ति बनाने में एक आसाधारण भूमिका अदा करता है। इस लिए हम पुस्तक को गहराई व विशालता की ओर ले जाने पर बल देते हैं और इसे बहुत ही आवश्यक समझते हैं, क्योंकि आजकल अनेक आवाजें है, इन आवाजों को तेज किया जाने के साथ इस का कारण भी पेश किया जाएं, जहां तक हो सके युवा किशोर पाठकों पर यह असर छोड़ना चाहिए।
केन्द्रीय जातीय विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा कालेज के प्रिंसिपल प्रोफसेर क्वो इन च्येन का मानना है कि अगर पुस्तक को सरलता से पढ़ने व हद से ज्यादा उसको व्यवहारिक रूप से पढ़ने की आदतों को समाज में फैलने दिया जाए, तो राष्ट्र का पूर्ण संस्कृति स्तर नीचे जा गिर सकता है, हमें सिर्फ मजे के लिए पढ़ने के रूझान को थोड़ा बहुत नियंत्रण में रखना चाहिए। प्रोफेसर क्वो का मानना है कि क्लासिकल और ख्याति प्राप्त पुस्तकों को पढ़ने के तरीके को जीवन को प्रेरित करने का एक माध्यम मानना चाहिए, उनके ख्याल में चीन को कुछ विदेशों के अनुभवों से सबक लेना चाहिए, पाठयक्रमों में अनेक प्रतिष्ठित सिफारिश पुस्तकों को शामिल करने के पहलु में हमें अपना काम जारी रखना चाहिए, ताकि लोगों को विश्वासनीय व प्रतिष्ठित पुस्तकें मिलने की सुविधा मिल सके। उन्होने कहा मिसाल के लिए, अमरीका में एक अच्छी परम्परा है, प्राइमरी स्कूल से मीडिल स्कूल , यहां तक कि यूनिवर्सिटी तक उनकी पुस्तकों में कुछ प्रतिष्ठित व क्लासिकल रचनाएं से जोड़ा जाता हैं, प्राइमरी स्कूल में उसे सरलता में पढ़ाया जाता है, यूनिवर्सिटी के दर्जे में छात्रों को निरंतर प्रतिष्ठित पुस्तकें पढ़ने के लिए निर्दिष्ट किया जाता है। अमरीका के अनेक प्रसिद्ध समाचार पत्र हर महीने और हर साल लोगों को कुछ अच्छी किताबों की सिफारिश करती है, यह चीन में लोकप्रिय किताबों के विचारों से एकदम अलग है, अनेक अच्छी किताबों की सिफारिश से प्रतिष्ठित पुस्तकों का जन्म होता हैं। इस का चीन के साथ बराबरी की जाए , तो चीन में कोई भी एक ऐसी संस्था नहीं है जो एक प्रतिष्ठित और लोगों को स्वीकृत व विश्वासनीय पुस्तकों को एक पंक्ति में डालकर पाठकों को भेंट कर सके और लोगों पर अच्छा असर छोड़ सके। यह चीन के लिए सीखने लायक अनुभव है।
प्रोफेसर क्वों हमेशा से छात्रों में प्रतिष्ठित पुस्तके पढ़ने की रूचि बढ़ाने में लगे हुए हैं। उन्होने कहा है कि मानव का जीवनकाल बहुत छोटा है और अच्छी पुस्तकें भी बहुत हैं, केवल प्रतिष्ठित पुस्तकें पढ़ने से हम जीवन के समय की किफायत कर सकते हैं। उनके विचार में प्रतिष्ठित पुस्तकों में जीवन मूल्य छिपे हुए हैं, उसमें कभी न मुरझाने वाली भावात्मक शक्ति छिपी हुई हैं, जिस का व्यवहारिक जीवन में आसाधारण निर्देशन अर्थ है और वे लोगों को विचार करना सिखाता है, सही अवधारणा से दुनिया और खुद अपने को देखने का तौर तरीका समझाता है।
चीनी राष्ट्रीय पुस्तकालय के उप प्रबंधक चांग ची छिंग ने अपनी एक जांच में पता लगाया कि कुछ पुस्तकालयों के बुकशेल्फ पर मार्शल आर्ट के उपन्यास की भारी मांग बनी रही है, जबकि गंभीर ग्रंथो व पढ़नेलायक पुस्तकों की मांग नीचे रही हैं। उन्होने कहा कि बहुत ही ऐसे कम लोग हैं जो एक मोटी पुस्तक लिए एक पन्ने पन्ने उलटकर पढ़ते या देखता हों, यह हमारे कार्य के खिलाफ रखी एक चुनौति है। उन्होने कहा किस तरह पुस्तकें लोगों के पढ़ने के लिए उचित हो, यानी आधुनिक लोगों के लिए पुस्तक पढ़ने के तरीके व पढ़ने के समय के बीच किस तरह ताल मेल बिठया जाए, ताकि पुस्तकें लोगों की मनपसंद की एक अनिवार्य वस्तु बन सके। यह हमारे प्रकाशन जगत व लेखकों की एक भारी जिम्मेदारी है।
इलैक्ट्रोनिक पुस्तकों को भी हमारे कुछ प्राइमरी स्कूलों में परीक्षणात्मक तौर से जारी किया जाना चाहिए, और इन पुस्तकों को गहराई व विशालता की ओर ले जाने में स्कूलों को सकारत्मक व प्रेरित भूमिका निभानी चाहिए।