सौ से ज्यादा में रुसी युवा चीन - रुस के युवा के मिलन समारोह में भाग लेने के लिए चीनी राजधानी पेइचिंग पहुंचे। जहां उन्होंने विभिन्न गोष्ठियों या समारोहों में भाग लेकर चीन की युवा प्रतिभाओं के साथ मैत्री का आदान-प्रदान किया, इस के बाद उन्होंने चीन के मशहूर ऐतिहासिक शहर शी आन, पूर्वी चीन के सब से बड़े शहर शांगहाए औऱ आधुनिक शहर शन जन का संक्षिप्त दौरा किया।
श्री मास्लोव रुस में चीनी इतिहास के युवा विशेषज्ञ हैं।अब तक, वे चीनी इतिहास पर सात पुंस्तकें लिख चुके हैं।कोई एक दशक पहले प्रकाशित उन की प्रथम पुस्तक लगभग 1000 पूर्व हुए कुछ मशहूर चीनी चित्रकारों की कथाओं पर केंद्रित थी। अपनी इस पुस्तक के प्रकाशन से प्राप्त पैसों से उन्होंने चीन की यात्रा की। तब वे लंबे समय तक मध्य चीन के ह नान प्रांत के तंग फंग गांव के मशहूर मठ शाओ लिन में ठेहरे। और वहां, चीन के बौद्ध धर्म और परम्परागत वू शू सीखने के दौरान, औऱ शाओ लिन मठ के प्रमुख भिक्षु के अच्छे मित्र भी बन गये। इस के बाद से वे हर वर्ष एक बार चीन की यात्रा करने लगे।
श्री मासलोव ने अपनी अच्छी चीनी में हमें बताया कि उन पर चीनी अर्थतंत्र औऱ लोगों की विचार-धारा में आये बड़ा परिवर्तन ने भारी असर डाला।उन्होंने कहा, वर्ष 1989 में जब मैंने पहली बार चीन की यात्रा की , तब ह नान प्रांत की तंग फंग एक छोटा व गरीब गांव था। तब वे वहां चाहकर भी अपना प्रिये पेय कोकाकोला औऱ फैंटा खोज नहीं पाते थे और राह चलते , लोगों को ही एक अजीब व्यक्ति नजर आने पर इधर स्थिति में बड़ा परिवर्तन हुआ है। तंग फंग भी एक छोटा गांव नहीं रहा, एक मशहूर शहर बन गया है।
श्री मास्लोव इस युवा रुसी प्रतिनिधि मंडल के सांस्कृतिक दल के अध्यक्ष भी थे। उन्होंने अपने दल के साथ प्राचीन चीनी शहर शीआन की भी यात्रा की। शी आन में वे शानशी इतिहास संग्रहालय के अलावा, चीन के प्रथम सम्राट छिंग श ह्वांग को मकबरा जैसे आदि ऐतिहासिक अवशेष स्थल देखने गए। श्री मास्लोव ने कहा , चीन विश्व के सब से पुराने देशों में से एक है।और शीआन चीन के पुराने प्रसिद्ध शहर के रुप में विशेष रुप से दर्शनीय है। उन्होंने कहा, यह चीन यात्रा चीन के इतिहास एवं संस्कृति के प्रति रुसी युवाओं की समझ को गहराने में सिद्ध होगी।
मस्को की एक सजावट कंपनी की सुश्री इरिना ने इस रुसी युवाओं के साथ पहली बार चीन की यात्रा की । वे राजधानी पेइचिंग से पूर्वी चीन के सब से बड़े शहर शांगहाए भी गई। हालांकि उन के शांगहाए दौरे का समय बहुत कम था, फिर भी उस ने उन पर गहरी छाप छोड़ी ।उन्होंने कहा, पेइचिंग में हम ने समर पेलेस ग्रीष्म प्रासाद आदि दर्शनीय स्थलों का दौरा किया, शांगहाए में हम पूर्वी टी वी स्टेशन टौवर पर चढे। मैं जर्मनी, फ्रांस , कनाडा आदि अनेक देशों की यात्रा कर चुकी हूं ,पर पेइचिंग और शांगहाए उन की तुलना में वे कहीं से भी कोई बुराने नहीं लगे।
सुश्री ईराना ने कहा , मैं ने चीन में रहते हुए कई लोगों के साथ संपर्क करने का प्रयास किया, मुझे चीनी जनता अत्यन्त मैत्रीपूर्ण लगी । आशा है बाद में मैं अपने परिवार के साथ चीन आ सकूंगी।
सुश्री इराना के दादा वर्ष 1956 में पूर्व सोवियत संघ के सरकारी प्रतिनिधि मंडल के साथ पेइचिंग में सोवियत संघ की आर्थिक उपलब्धियों की प्रदर्शनी के आयोजकों में शआमिल रहे थे, तत्कालीन चीनी प्रधान मंत्री ज्ओ अन लेए ने स्वयं उन्हें चीन रुस मैत्री का पदकप्रदान किया गया था। सुश्री इराना के चीन की यात्रा पर आने के वक्त उन के पिता जी ने उन्हें यह मूल्यवान स्मृति चिन्ह साथ ले जाने को कहा।
शनजन रुसी युवाओं के भअरमण कार्यक्रम में हासिल चीन का सब से नया
शहर रहा । 20 वर्षों पहले, तक वह एक गरीब मछुआ गांव था, लेकिन, अब 70
लाख की जन संख्या वाला आधुनिक शहर बन गया है। रुसी युवाओं ने शन जन में चीन के प्रसिद्ध औद्दोगिक समूह कोनका ग्रुप का दौरा किया औऱ चीन की संस्कृति एवं दर्शन के प्रतीक चिंगश्यो जोंगह्वा उद्दान की सैर की। शन जन यात्रा ने भी उन पर गहरी छाप छोड़ी । मस्को की एक फैशन कंपनी की युवा डिजाइनर सुश्री एन एन नाफटालयेवा ने कहा, इतने छोटे समय में शनजन द्वारा इतनी बड़ी उपलब्धियां प्राप्त करने पर मुझे बड़ा आश्चर्य है। यह एक परीकथा जैसा पूर्व की बुद्धि से पूर्ण यह आधुनिक शहर वाकई 21वीं शताब्दी में मानव सभ्यता के विकास की एक दिशा का प्रतिनिधित्व कर रहा है।