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चीनी और विदेशी ने पेइचिंग में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा की
2010-05-20 09:47:55

यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, साप्ताहिक कार्यक्रम चीन में सुधार और विकास अब आरंभ होता है। मैं हू आप की दोस्त रूपा। कार्यक्रम में आप का हार्दिक स्वागत। दोस्तो, सुपर टैंक कहा जाने वाले चीनी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक आवाजाही केंद्र ने पिछले हफ्ते में हरी अर्थव्यवस्था के विकास व जलवायु परिवर्तन के मुकाबले संबंधी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सम्मेलन की अध्यक्षता की। दुनिया के विभिन्न देशों से आये सरकारी अधिकारियों व अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने जलवायु परिवर्तन सवाल पर वार्ता की और विचार विमर्श भी किया। सम्मेलन में उपस्थितों के विचार में जलवायु परिवर्तन सवाल पर विकसित देशों व विकासमान देशों को सकारात्मक भूमिका अदा करनी चाहिये और साझी किंतु विभेदीकृत दायित्व की सिद्धांत के अनुसार ऊर्जा किफायत व कम निकासी व हरी अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ाना चाहिये।

वर्तमान में दुनिया के विभिन्न देशों द्वारा आम तौर पर पता किया गया कि ऊर्जा किफायत व कम निकासी के जरिये पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन से पैदा कुप्रभाव कम करना एक आपात मिशन है।

मौजूदा हरी अर्थव्यवस्था के विकास व जलवायु परिवर्तन के मुकाबले संबंधी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सम्मेलन में ग्रेनेडा के पर्यावरण मंत्री मैकेल चुर्च ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से ग्रेनेडा जैसे द्वीप देशों को अभूतपूर्व नुक्सान पहुंच रहा है। उन्होंने कहा

मेरी मातृभूमि ग्रेनेडा जलवायु परिवर्तन से पैदा अभूतपूर्व नुक्सान का सामना कर रहा है। अतीत में चक्रवात हर 50 साल एक बार घटित होता है। लेकिन इधर वर्षों से चक्रवात अधिक से अधिक तीव्र है। ग्रेनेडा अन्य द्वीप देशों के साथ जलवायु परिवर्तन से पैदा सब से गंभीर कुप्रभाव पड़ने वाला देश है। हमारी संसाधनों का आभाव है, इसलिये विकास के सामने बहुत गंभीर बाधा खड़े हुए हैं। इस पृष्ठभूमि पर हम केवल वैश्विक कार्रवाई कर सकते हैं, कोई भी विकल्प नहीं है।

जलवायु परिवर्तन से पैदा कुप्रभाव अधिक तीव्र होने की पृष्ठभूमि में ऊर्जा किफायत व कम निकासी दुनिया के विभनन्न देशों की फौरी मिशन बना है। लेकिन कम निकासी की कर्तव्य पर जिम्मेदार लेने के बारे में विकसित देशों व विकासमान देशों के बीच बड़ा मतभेद पैदा है। विकसित देशों ने विकासमान देशों से कम निकासी पर जिम्मेदार लेने की मांग की, जब कि व्यापक विकासमान देशों ने बलपूर्वक कहा कि साझी किंतु विभेदीकृत दायित्व की सिद्धांत के अनुसार विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन पर अधिक कर्त्तव्य व जिम्मेदारी लेनी चाहिये। मौजूदा सम्मेलन में चीनी राष्ट्रीय विकास और रूपांतरण कमेटी के प्रभारी श्ये चेन ह्वा ने फिर एक बार उक्त बात पर जोर दिया। उन का कहना है

200 सालों की औद्योगीकरण प्रक्रिया में विकसित देशों ने ग्रीन हाउस गैस की निकासी की, जो वर्तमान जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण है, इसलिये विकसित देशों को अधिक जिम्मेदार लेनी चाहिये। जब कि व्यापक विकासमान देश औद्योगिकीकरण की प्रारंभिक अवस्था में गुजर रहे हैं, उन के विकास को सीमित करना न तो न्यायपूर्ण है और न ही उचित। विकसित देशों ने मजबूत आर्थिक ताकत के साथ उन्नत कम कार्बन प्रौद्योगिकियां मास्टर की है, जब कि विकासमान देश वित्त व तकनीक का आभाव हीं नहीं, बल्कि उन के सामने आर्थिक के विकास, गरीब उम्मूलन आदि सवाल खड़े हुए हैं।

एलजीरियाई भूमि सुधार, पर्यावरण व पर्यटन मंत्री राहमानी श्ये चेन ह्वा के विचार पर बहुत सहमत हुए। उन्होंने बलपूर्वक कहा कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हरी अर्थव्यवस्था के विकास व जलवायु परिवर्तन के मुकाबले में अफ्रीकी देशों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग व प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को और बढ़ाया जाना चाहिये। क्योंकि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण अफ्रीकी देशों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। विभिन्न देशों के बीच आवाजाही प्रोत्साहित किया जाना चाहिये ताकि सभी विकासमान देशों को हरी अर्थव्यवस्था के विकास में मदद दी जा सके।

जलवायु परिवर्तन कार्वाई योजना के सक्रिय प्रमोटर के रूप में ब्रिटिश पूर्व उपप्रधान मंत्री प्रेस्कोट ने मौजूदा सम्मेलन में कहा कि जलवायु परिवर्तन के मुकाबले की कार्यवाही में विभिन्न देशों को अपने देश की वास्तिव स्थिति के अनुसार अलग जिम्मेदार लेना चाहिये। उन का कहना है

हमें साझी किंतु विभेदीकृत दायित्व पर जोर देना चाहिये। जलवायु परिवर्तन के मुकाबले में विकसित देशों को सब से अधिक दायित्व निभाने की जरूरत है, क्योंकि उन की कार्यवाही जलवायु परिवर्तन पैदा होने का प्रमुख कारण है। किसी भी नये समझौते में विभिन्न देशों की गरीबी स्थिति को प्रतिबिंबित किया जाना चाहिये। वह अवश्य ही सामाजिक न्याय का समर्थन दे सकेगा।

जलवायु परिवर्तन से पैदा कुप्रभाव दूर करने के लिये हरी अर्थव्यवस्था का विकास करना पारिस्थितिकी पर्यावरण सुंरक्षण व आर्थिक दक्षता में सुधार के साथ साथ मानव समाज के लिए एक ही रास्ता बना है। नाइजीरियाई पूर्व राष्ट्रपति ओबासांजो ने हरी अर्थव्यवस्था के विकास का मुल्याकंन करते हुए कहा

क्या हम हमारी पर्यावरण को बचा सकते हैं, क्या हम अनवरत आर्थिक विकास कर सकते हैं?हमें जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया रोकने के लिये कदम उठाना चाहिये। यह हरी अर्थव्यवस्था का प्रयोजन है।

हरी अर्थव्यवस्था की भूमिका पर चर्चा करते हुए संयुक्त राष्ट्र उपमहासचिव जुखांग शा के ख्याल में वर्तमान में केवल सरकार की कोशिश हरी अर्थव्यवस्था नहीं बढ़ सकेगी। विभिन्न देशों की सरकारों को उद्यमों के साथ सहयोग करना चाहिये ताकि उद्यमों को हरे सुधार के महत्वपूर्ण प्रमोटर बनाया जा सके। उन का कहना है

सरकारों को उद्यमों को हरे तकनीकी अनुसंधान के लिये पूंजी लगाना और उद्यमों के साथ हरी अर्थव्यवस्था के विकास के दौरान उद्यमों के लिये अधिक जोखिम बांटना चाहिये।

अच्छा दोस्तो, आज का कार्यक्रम यहीं तक समाप्त। अब रूपा को आज्ञा दें, नमस्ते।(रूपा)

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