आज हम आप लोगों को उत्तरी चीन के भीतरी मंगोलिया के शिलीनक्वोल घास मैदान ले जाएंगे और एक वेशभूषा महिला दुकानदार सेरेहलेन से मिलवाएंगे और उन के सुखमय जीवन को देखेंगे।
जब हम ने शिलीक्वोल प्रिफेक्चर की पूर्वी शिऊजूमुछिंछी काऊंटी की वेशभूषा प्रोसेसिंग सड़क के एक कारखाने में प्रवेश किया, तो हमें सिलाई मशीनों की आवाज में गाना गाने की आवाज सुनाई पड़ी। यह है सेरेहलन का वेशभूषा कारखाना।
कारखाने के द्वार पर इस कारखाने की बॉस छोटे कद की सेरेहलन हमारे सामने खड़ी है। उस ने खुद सिले हुए जातीय विशेषता वाले कपड़े पहने हुए हैं। उस के मुख पर मुस्कराहट है और आंखें आत्मविश्वास से भरी हुई हैं। लेकिन, शायद किसी ने कल्पना नहीं की होगी कि कई वर्ष पहले वे भी चारागाहों में पशु चराती थीं। लेकिन, अब वे शहर में कपड़े के कारखाने की मालिक है। सुश्री सेरेहलन के मन में पहले के चरवाहा जीवन के प्रति गहरी भावना है। उन्होंने संवाददाता से कहा,पहले चरागाह में मौसम बहुत अच्छा था। वहां वर्षा ज्यादा होती थी। उस समय हम भेड़ या गाय-बैल पालते थे। हमारा जीवन बहुत अच्छा था ।
उस समय सुश्री सेरेहलन के परिवार में कुल मिलाकर सात आदमी थे, जिन के पास 26 लाख हैक्टर घास मैदान और 300 से ज्यादा बैल और भेड़ें थीं। हालांकि उस समय वह बहुत समृद्ध नहीं थीं, फिर भी जीवन में चिंता की बात नहीं थी। लेकिन, बाद में पारिस्थितिकी स्थिति में परिवर्तन आया। मौसम के गर्म होने और चारागाहों में पशुओं की संख्या के निरंतर बढ़ने की वजह से शिलीनक्वोल घास मैदान रेत के मैदान में बदलने लगे और रेत के मैदान का क्षेत्रफल दिन ब दिन विस्तृत होता गया। सुश्री सेरेहलन के घर में पहले का सुखी जीवन भी दिन ब दिन कठिन होने लगा।
वर्ष 1997 से हमारे यहां साल दर साल सूखा पड़ने लगा। बहुत कम बारिश हो रही थी। इसलिए, बैलों या भेड़ों को खिलाने के लिए घास बहुत कठिनता से मिल रही थी। मेरे पति बीमारी के कारण बाहर काम नहीं कर पाते थे, इसलिए हमारे घर में कोई श्रमिक नहीं था। हमारे घर की स्थिति अत्यन्त खराब थी।
गंभीर पारिस्थितिकी के मद्देनजर, शिलीनक्वोल प्रिफेक्चर ने घास मैदान की पारिस्थितिकी स्थिति के निपटारे की रणनीति बनायी, जिस में एक महत्वपू्र्ण कदम यह था कि किसानों व चरवाहों को वहां से कस्बों व शहरों में स्थानांतरित किया जाए, और उन्हें शहरों व कस्बों के अन्य उद्योगों में काम करने को प्रोत्साहित किया जाए। सुश्री सेरेहलन
के परिवार ने भी वर्ष 2000 में अपनी जन्मभूमि छोड़ कर शिऊजुमूछींग प्रिफेक्चर में स्थानांतरण किया और नया जीवन शुरू किया। भविष्य में जीवन कैसा होगा, इस के प्रति सुश्री सेरेहलन के मन में कोई विचार नहीं था। उन्होंने संवाददाता से कहा,शुरू में मैं बहुत चिंतित थी। मैं अनपढ़ हूं। तो जन्मभूमि छोड़ कर शहर में आने के बाद मैं क्या करुंगी। लेकिन, मेरे पिता जी ने मुझे प्रोत्साहित किया और कहा कि आजकल जन्मभूमि में चरवाहे का काम करना बहुत कठिन है, शहर में कुछ न कुछ नौकरी जरूर मिल जाएगी,किसी रेस्तरां में भी काम मिल सकता है।
पिता के प्रोत्साहन से मैं ने खुद सिलाई करना सीखा। सुश्री सेरेहलन
ने अपनी बहन नारन के साथ वेशभूषा प्रोसेसिंग सड़क पर एक दुकान किराये पर ली और कपड़े का प्रोसेसिंग कार्य करना शुरू किया। लेकिन, शुरुआत बहुत कठिन थी। शहर में पहले के कठोर जीवन के बारे में सुश्री सेरेहलन की याद ताज़ा है।शुरू में हमारे बुनियादी जीवन की गारंटी भी नहीं थी। जब हम जन्मभूमि में रहती थीं, तो लकड़ियां जला कर गर्मी कर लेती थीं और नदियों से पानी ले आती थीं। इस सब में कोई पैसा नहीं लगता था । लेकिन, शहर में सभी चीजें खरीदने के लिए पैसे चाहिंए। पानी लेने के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं और यातायात के लिए भी पैसे चाहिंए।
लेकिन, मुसीबतों के सामने इन बहनों ने अपना सिर नहीं झुकाया। उन्होंने मुसीबतों से छुटकारा पाने के अच्छे उपायों की खोज की, यानी सभी उपभोक्ताओं के साथ सदिच्छापूर्ण व्यवहार किया । इस तरह उन की दुकान ने उपभोक्ताओं का विश्वास जीता। छोटी बहन नारन के अनुसार,शुरू में जब हमारे द्वारा बनाये गए कपड़े उचित नहीं थे, तो उपभोक्ता बहुत गुस्सा होते थे । हम ने उन्हें समझाया कि हम उन की राय के अनुसार ही फिर एक बार कपड़े सिलेंगे। बार-बार संशोधन करने के बाद कपड़े अंततः ठीक हो गए। इसी तरह, धीरे-धीरे हम ने उपभोक्ताओं का विश्वास जीता। यदि उन के लिए सिले कपड़ों में कुछ कमी रह जाती है, तो वे खुशी से उन्हें हमारे पास ले आते हैं और हम भी उन्हें तुरंत बिना कोई पैसा लिए ठीक कर देती हैं।
बहनों के कठोर श्रम और सदिच्छापूर्ण रूख ने न केवल उपभोक्ताओं का विश्वास जीता, बल्कि कपड़ा व्यापारियों का विश्वास भी जीता। यदि बहनों के पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं, तो वे कर्ज ले सकती हैं। उपरोक्त अच्छे आदमियों की चर्चा में छोटी बहन नारन ने भारी आभार प्रकट किया।
कुछ समय हमारे पास पैसे का बड़ा अभाव रहा, यहां तक कि कपड़ा खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। लेकिन, कपड़ा व्यापारियों का मेरी बड़ी बहन पर पक्का विश्वास है, और उन्होंने सब से पहले हमें कपड़ा दिया। जब हमारे पास पैसे हुए, तो हम ने उन्हें वापस चुका दिए। इस तरह हमारा व्यापार चल निकला।
कई वर्ष बाद बहनों की कपड़े की दुकान की गति धीरे-धीरे सामान्य हो गई और दुकान का व्यवसाय धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। अब सुश्री सेरेहलन की कपड़ों की दो दुकानें हैं, एक में कपड़े बनाए जाते हैं, जबकि दूसरी में बिक्री की जाती है।व्यापार का पैमाना विस्तृत होने के साथ-साथ कारखानों में कर्मचारियों का अभाव भी हो रहा है। इसलिए, दोनों बहनों ने जन्मभूमि से स्थानांतरित हुए चरवाहों के लड़कों व लड़कियों को अपने कारखाने में भरती किया। अब सुश्री सेरेहलन के कारखाने में कुल मिलाकर 15 कर्मचारी हैं, जो सब जन्मभूमि क्षेत्रों से आए हैं। दालेनबाजार उन में से एक है। उन के अनुसार, यहां आने के बाद मेरे जीवन में भारी परिवर्तन आया है। एक ओर, मैंने सच्ची कला सीखी है। दूसरी ओर, मैंने पैसे कमाए हैं और खुद पर निर्भर रहना शुरू किया है। मैं अपनी बॉस का बहुत आभारी हूं। उन्होंने खुद मुझे सिखाया है। मैं बहुत खुश हूं।
चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश के शिलीनक्वोल घास मैदान में इस तरह की अनेक कहानियां हैं। यदि आप इस के बारे में और ज्यादा जानना चाहते हैं, तो हमारे घास मैदान की यात्रा कीजिए और खुद रहस्यमय घास मैदान के सुन्दर दृश्यों और आम नागरिकों के जीवन के बारे में जानिए।