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चीन के प्राचीन ब्रश सुलेखन के माहिर सुलेखक थ्येन पाए फिंग
2010-05-17 13:53:30

एक ब्रश सुलेखक होने के नाते उनकी दो सुलेख रचनाएं अंतरिक्षयान में बैठकर अंतरिक्ष की यात्रा कर सके, सचमुच यह परम्परागत कला का आधुनिकतम कला के साथ का एक अभूतपूर्व संपूर्ण मिलन है, पेइचिंग ब्रश लेखन संघ के उपाध्यक्ष थ्येन पाए फिंग वाकई एक बहुत ही सौभाग्यशाली सुलेखक हैं, इस से बढ़कर कहीं ज्यादा मूल्यवान यह है कि उनकी ब्रश सुलेखन रचनाएं दो बार अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके हैं।

श्री थ्येन पाए फिंग का जन्म 1958 में चीन के हेपए प्रांत में हुआ था। वे न केवल ब्रश लेखन के सर्वश्रेष्ठ सुलेखक हैं, बल्कि संगीत वाद्ययंत्र, स्थानीय कथा सुनाने और नृत्य कला में भी माहिर हैं। उनकी निगाह में इन कलाओं को अपनी ब्रश सुलेखन में बड़ी अच्छी तरह जोड़ा जा सकता है, तभी तो आज उनकी अपनी एक अदभुत कला शैली तैयार हुई है। उन्होने हमें बताया(आवाज1) ब्रश लेखन एक खामोश संगीत है, इस में नृत्य की अंगड़ाईयां हैं और साथ ही भवन-निर्माण की भव्य व सुन्दरता भी हैं। ब्रश सुलेखन एक ऐसी कला है जिसे आप सुन्दरता की समझ को अपनी सीखी चीनी प्राचीन ब्रश सुलेखन में डाल सकते हैं, इस तरह वे आपकी एक अनोखी शैली का रूप धारण कर लेती है। मेरी शैली की अदभुत्ता यह है कि मैंने बुजुर्गों की परम्परागत ब्रश सुलेखन की शैली को संगीत की समझ व नृत्य की समझ के साथ जोड़ दिया है। तभी तो मेरी ब्रश सुलेखन में सौन्दर्यता और सौम्यता की खुश्बू महकती है।

श्री थ्येन पाए फिंग ने प्राचीन ब्रश सुलेखन बुजुर्गों की परम्परा शैली को आगे बढ़ाया है, तभी तो वे आज ब्रश सुलेखक गुरू के नाम से जाने जाते हैं, उनकी ब्रश सुलेखन की एक एक लकीरें व शब्दो के रूप में प्राचीन बुजुर्गों के महान गुरू की झलक दिखती है, जिन में शब्दों की सुन्दरता के अलावा, शब्दों की मचलती-झूमती खूबसूरती उनमें चार चांद लगाती है।

मजे की बात यह है कि कुछ लोग ब्रश को हाथ थामे अपनी शैली की ब्रश सुलेख लिख तो लेते हैं और शायद असली ब्रश सुलेखन के सामने उनकी यह शैली कुछ लोगों की नजर में एक व्यक्तिगत शैली भी कहलायी जा सकती है। लेकिन श्री थ्येन पाए फिंग की नजर में यह ब्रश सुलेखन की गलत धारा है, यहां तक कि वह लोगों को गुमराह करती है। एक पुराने ब्रश सुलेखन के गुरू होने की हैसियत से वे ब्रश सुलेखन के मापदंड पर भारी बल देते आए हैं, उन्होने इस पर चर्चा करते हुए कहा(आवाज2) अपनी मर्जी या मनमानील अदा से लिखित ब्रश सुलेखन शायद ही एक शैली कहलायी जा सकती है ,परन्तु वह एक गलत धारा है और लोगों को गुमराह कर सकती है। हमें इस गलत धारा को चलने से रोकना चाहिए, ब्रश सुलेखन की नींव प्राचीन परम्परा ब्रश सुलेखन कला से कतई नहीं हटनी चाहिए। अधिकतर लोग, जिन में विद्वान जगत के लोग भी हैं, सभी का समान विचार है कि प्राचीन परम्परा के आधार को नहीं तोड़ा जाए, पर प्राचीन परम्परा पर ही टिके रहना अकलमंदी नहीं है। इसी मापदंड पर रहकर हमें उसके प्रगति पर पूरा ध्यान देना चाहिए।

1993 में श्री थ्येन पाए फिंग जापान में लगातार पांच बार अपनी व्यक्तिगत ब्रश सुलेखन की प्रदर्शनी लगा चुके हैं, जिन्हे जापान के विभिन्न जगतों की भूरि भूरि प्रशंसा मिली है। इधर के सालों में उनकी अनेक ब्रश सुलेखनों को सिंगापुर के विश्व प्लाजा और जापान के चीन-जापान कला गैलरी में सुरक्षित रखा गया है। चीन के ब्रश सुलेखन ने किस तरह विदेशी दोस्तों को प्रभावित किया है इस रहस्य का जिक्र करते हुए श्री थ्येन पाए फिंग ने कहा(आवाज3) उनको प्रभावित करने की चीज यह है कि हमारा सुलेखन एक चित्रकारी शब्दों से बनी भाषा हैं। मिसाल के लिए, मैंने पहाड़ और पानी जो दो शब्द लिखे हैं, उनमें पहाड़ शब्द को मैंने ब्रश सुलेखन से एक पहाड़ चित्र का रूप दिया, यह शब्द एक चित्र के रूप में इतना मनमोहक है कि देखने वाले समझ गए कि यह पहाड़ चित्र से बना एक शब्द है, पहाड़ के नीचे बहता पानी, मैंने अपनी ब्रश सुलेखन से उसे इतनी बारीकता से लिखा है कि लोगों को बहते पानी का अहसास होता है।

शब्दों में चित्र का जागता रूप सजाने के अलावा, ब्रश सुलेखन में मोटे व बारीक ब्रश से शब्दों में परिवर्तन लाना व शब्दों में उभरते रंगीला परिवर्तन की अनोखी कला को देखते विदेशी दोस्त इन अनोखी कला पर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं । और तो और , मोटे व भारी ब्रश से लिखे बारीक शब्द व इन बारीक शब्दों की रंगीन भरी खामियात व सौन्दर्यता पर लोग आश्चर्य चकित हुए बिना नहीं रह सकते हैं । रंगीन का रंग से कोई ताल्लुक नहीं, जबकि वे ब्रश से लिखे शब्दों में झूमती महक से संबंध रखती हैं, जो एक विभिन्न सतह की खूबसूरती को दर्शाती है।

श्री थ्येन पाए फिंग के अनेक सालों के ब्रश सुलेखन के आदान प्रदान जीवनी में, उन्हें अधिकाधिक यह एहसास होता रहा है कि चीन की ब्रश सुलेखन कला को फिलहाल अन्तर्राष्ट्रीय मंच में भारी ध्यान दिया जा रहा है, वर्ष 2000 में ब्रश सुलेखन लोगों की एक ध्यानाकर्षित कला बन गयी है। उन्होने हमें बताया(आवाज4) मैंने पहली बार सन 1993 में चीनी ब्रश सुलेखन कला का विदेशों में परिचय कराया, मुझे भारी एहसास हुआ कि सन 2000 में चीनी ब्रश सुलेखन कला दुनिया में माने जाने लगी है। वर्ष 2000 के बाद इस कला का विस्तार और बेहतर होने लगा। 2008 में पेइचिंग ओलम्पिक के उद्घाटन समारोह में चीन की ब्रश स्याही चित्र व चीनी ब्रश सुलेखन कला ने करोड़ो लोगों का मन जीत लिया था, यह एक जीता जागता मिसाल है।

2005 में चीन के अंतरिक्षयान सनचओ नम्बर छह की समानव उडान के दौरान , श्री थ्येन पाए फिंग की लिखी - मातृभूमि की सफल उड़ान की शुभकामनाएं - ब्रश सुलेखन को अंतरिक्ष में ले जाया गया, इस ब्रश सुलेखन ने अंतरिक्ष में 115 घन्टे तक का सफर किया। 2008 में अंतरिक्षयान सनचओ नम्बर सात ने अपनी दूसरी समानव उड़ान में एक बार फिर थ्येन पाए फिंग के लिखे ब्रश सुलेखन को लेकर अंतरिक्ष की यात्रा की। दो बार अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुने जाने का गौरव का कारण यह है कि यह प्राचीन चीन की परम्परागत कला का सबसे मनोरम प्रतीक है। श्री थ्येन पाए फिंग ने भावात्मक स्वर में कहा(आवाज5) मेरे दो ब्रश सुलेखनों में मंगलमय और खुशहाली की शुभकामनाएं भरी हुई हैं। क्योंकि अंतरिक्षयान सनचओ का अर्थ महात्मा है , जो पूरे देश की महान आत्मा-भावना को दर्शाता है, इसी आत्मा व भावना के भरोसे , हमारा देश प्रगति की राह में तेज कदम बढ़ाता चल रहा है और मेरा सौभाग्य है कि मेरा ब्रश सुलेखन इस महान उड़ान में शामिल हुआ है।

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