दक्षिणी चीन के तीन प्रांत क्वांगशी, युनान और क्वीज़ाओ की सीमा पर संजियाओपो नामक एक छोटा-सा पहाड़ी गाँव स्थित है।
इस सीमांत क्षेत्र में विभिन्न जातियों के लोग साथ-साथ सामंजस्यपूर्ण एवं आनंदपूर्ण जीवनयापन कर रहे हैं।
आज हम यहां के एक ग्रामीण यांग क्वांगदाओ की कहानी देखेंगे, जिनके परिवार के सदस्य चार जातीय समूहों से हैं।
भीषण सर्दियों की सुबह है। यांग क्वांगदाओ की चारों पुत्रवधुएँ सुबह जल्दी उठकर एक साथ उनके तीसरे बेटे जो कि बाहरी क्षेत्र में काम कर रहा था, के खेत जोतने के लिए निकल पड़ीं।
यांग क्वांगदाओ की चारों बहुएँ ज्वांद, म्याओ और बोई जातियों की हैं।
हालांकि परिवार के सदस्य विभिन्न जातीय समूहों से हैं, फिर भी पिछले 10 वर्षों से सामंजस्यपूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए वे एक दूसरे का सम्मान करते रहे हैं, एक दूसरे के रीति-रिवाज़ और आदतें मानते रहे हैं।
अपने बहुसंस्कृति वाले परिवार के बारे में बात करते हुए यांग क्वांगदाओ ने हमें बताया कि 10 साल पहले जब उनके सबसे बड़े बेटे ने बोई जाति की कन्या से विवाह करने की इच्छा जताई तब वे इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
"मेरे सभी ग्रामीण साथियों ने मुझ से कहा कि हम एक दूसरे के साथ अच्छी तरह से नहीं रह सकेंगे क्योंकि हमारी भाषाएँ तथा रहन-सहन बिल्कुल भिन्न हैं।"
कठिन परिवहन और भाषा की बाधा के कारण 1980 के दशक में विभिन्न जातीय समूहों के साथ ऐसा दोस्ताना संबंध रखना संभव नहीं था।
गाँव के एक अधिकारी ज़ाओ चिहे ने कहा जहाँ तक मुझे आज भी याद हैं- " हान जाति के लोग अन्य जातीय समूहों के लोगों से शायद ही कभी संवाद करते थे क्योंकि हम अलग-अलग भाषाओं में बात करते थे और एक दूसरे के बारे में अधिक जानकारी नहीं रखते थे।"
कुछ समय पश्चात जब अर्थव्यवस्था और परिवहन के सरंजामों में विकास हुआ तब विभिन्न जातीय समूहों के लोगों ने एक दूसरे के साथ अपने संचार में सुधार किया, लेकिन स्थानीय लोगों और परिवारों की ओर से विभिन्न जातियों के बीच विवाह-संबंधों को स्वीकृति नहीं दी गई।
यांग क्वांगदाओ की पत्नी फ़ांग श्वएमिंग की चिंता का कारण अलग था।
"मैं हान परिवार में आनेवाली नववधू के लिए चिंतित थी क्योंकि मुझे डर था कि वह हमारे साथ आराम से नहीं रह सकेगी और हमारे भोजन की भी आदी नहीं होगी।"
लेकिन उनके बड़े बेटे ने बहुत ज़ोर दिया और अंत में परिवार ने अपने गाँव में अलग जाति की कन्या को अपनी बड़ी बहू के रूप में स्वीकार कर उसका स्वागत किया।
नव वरवधू के साथ रहते हुए यांग क्वांगदाओ और उनकी पत्नी बोई जाति की परंपराएँ समझने लगे तथा अब उनके आदी भी हो गए हैं।
"उनकी रीति के अनुसार वर्ष के पहले चंद्र महीने के 15 वें दिन पर, दुल्हन अपनी माँ के घर उपहार लिए हुए वापस जाती है और तीसरे चंद्र महीने के तीसरे दिन हम भी उनकी परंपरा का पालन करते हुए रंगीन चिपचिपे चावल पकाते हैं। इस प्रकार हम लगभग हर त्यौहार उनकी परंपरा के अनुसार साथ-साथ मनाते हैं।"
एक दूसरे का सम्मान करते हुए व एक दूसरे को समझते हुए यांग क्वांगदाओ की बहू धीरे-धीरे हान परिवार के रीति-रिवाज़ और परंपराएँ भली-भाँति समझकर उनकी आदी हो गई है।
"मेरे पति गाँव के बाहर काम करते हैं और मैं परिवार के अन्य सदस्यों के साथ रहती हूँ।वे सब मेरे साथ बहुत अच्छा बर्ताव करते हैं और मेरी बहुत मदद भी करते हैं। कभी-कभी लोग मुझसे पूछते हैं कि तुम्हें अलग जाति के परिवार के साथ रहना कैसा लगता है? तो मैं कहती हूँ—मुझे यह बहुत अच्छा लगता है कि हम सब मिलजुल कर रहते हैं।"
यांग क्वांगदाओ की पहली पुत्रवधू के सफल उदाहरण ने उनके बाकी तीन बेटों को भी अन्य जातियों की कन्याओं से विवाह करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इनके इस बडे़ परिवार में विभिन्न संस्कृतियों का समेकन है और वे सब आपस में शांति से रहते हैं।
यांग क्वांगदाओ की चारों बहुएँ अपने बुज़ुर्गों का सम्मान करती हैं तथा उनकी हरसंभव सेवा करती हैं। उनकी एक बहू मा श्याओ-लान म्याओ जाति की है।
"आम तौर पर हम अपने सास-ससुर को उनकी पसंद का भोजन ही खिलाते हैं। यदि हम उस भोजन के आदी न भी हो फिर भी उन्हें प्रसन्नता से खाते देख हमें बहुत खुशी होती है।"
चीन की एक पुरानी कहावत है- सद्भावना से प्रसन्नता और समृद्धि आती है।
यह कहावत यांग क्वांगदाओ के परिवार के लिए सच साबित हुई।
यांग क्वांगदाओ के चारों पुत्र अलग-अलग व्यवसाय कर रहे हैं। कोई खेतीबारी का काम कर रहा है तो कोई पशु-पालक है या कोई परिवहन के कारोबार में, लेकिन चारों समृद्ध जीवन का आनंद ले रहे हैं।
चाहे उनका व्यवसाय कोई भी हो परंतु वे सब यह भली-भांति जानते और समझते हैं कि जब तक वे एक-दूसरे के रीति-रीवाज़ों और रुचियों को समझेंगे तथा उनका सम्मान करेंगे तब तक उनका परिवार खुशहाल व समृद्ध रहेगा।
यांग क्वांगदाओ का परिवार संजियाओपो गाँव में जातीय एकता का एक आदर्श उदाहरण है।
गांव के अधिकारी ज़ाओ चिहे कहते हैं कि विभिन्न जातीय समूहों के लोग स्थानीय लोगों के और करीब होते जा रहे हैं और मेलमिलाप से साथ-साथ रहते हैं। इसका श्रेय वे इस क्षेत्र में हो रहे आर्थिक और सांस्कृतिक विकास को देते हैं।
"इस क्षेत्र में सड़कें परस्पर जुड़ गई हैं। अब गाँव में बिजली आ गई है और नलों में पानी।विभिन्न जातियों की पृष्ठभूमि के बावजूद हम एक दूसरे की मदद करते हैं और एक दूसरे के साथ व्यापार भी। हम सच में अब एक दूसरे के साथ हैं। "
हेमा कृपलानी