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तिब्बतियों की मुद्रा निगाह को समझियेः तिब्बती लेखक आलाए
2010-05-04 09:01:39

लोगों के दिमागों में बर्फीला पर्वत, पठार व तिब्बत बौद्ध धर्म आदि रहस्मय भरे रंगीन शब्द , फिलहाल तिब्बत की संस्कृति की अदभुत पहचान व चिन्ह बन गयी हैं। तिब्बत के लेखक आलाए ने तिब्बत में 30 साल बिताए अपनी जीवनी का जिक्र करके हमें वहां की रहस्मय, सादगी और काल्पनिक कहानी पेश की हैं।

आलाए का जन्म सीछ्वान प्रांत के उत्तर पूर्व तिब्बत इलाके के माअर खांग काउंटी के माथांग नाम के गांव में हुआ था। उनकी मां तिब्बती जबकि उनके पिता मुस्लमान हैं। माअर खांग काउंटी तिब्बत पठार का एक अंग है, यहां तिब्बत जाति पीढ़ी दर पीढ़ी अर्ध पशु पालन और अर्ध कृषि का जीवन बिताते आए हैं। बचपन से ही आलाए गांव के अन्य बच्चों की तरह नंगे पैर पहाड़ो में बिखरे घास मैदान में गाय व बकरी चराते रहे थे। विशाल पर सुनसान बर्फीले पठार ने आलाए को हमेशा एक अनोखा अन्दाज दिया , उन्हे छुटपन से ही प्राकृति के प्रति बड़ा लगाव रहा है।

आलाए ने कहा कि उस समय पर्वत घास मैदान में कोई भी आदमी न होने की वजह से वह अक्सर हर एक पेड़ और हरेक घास से बातचीत करते थे। उन्होने कहा(आवाज1) बचपन से मैं अकेला पहाड़ पर रहता आया हूं, घरवालों के अलावा करीब पांच छह दिनों में एक अन्य आदमी देखने को मिल पाता था, इस का अर्थ यह है कि यदि मैं बकरी से , पत्थर से , घास से और पेड़ के पक्षियों से बातचीत न करूं तो मैं उम्र भर गूंगा हो जाता। लेकिन आहिस्ते आहिस्ते मुझे अहसास होने लगा कि प्राकृति में भी जीवनी है, उसकी अपनी आत्मा भी है, वे मेरे दिल की बात सुन सकते हैं यहां तक कि उनके अन्दर प्यार भरी भावना भी मौजूद हैं।

आलाए इसी ही तरह प्राकृति की गोद में , एक सुनसान गांव में अपनी जाति व प्राकृति पहाड़ों व जल के साथ पले बढ़े हुए । यहां की रहस्मय संस्कृतियों व बेशुमार मंत्रमुग्ध कर देने वाली कहानियों ने उनके आलेख के लिए प्रचुर भावनाएं तैयार कीं हैं।

एक दिन मैं खिड़की के पास बैठा था, सामने ज्यादा दूर नहीं, एक हरे भरे वृक्षों की झुरमुट थी, गांव से आ रही महकती कोयल की कलानंद आवाजें सुनकर , मैंने अपना कम्पयूटर खोला, कई सालों से स्थानीय इतिहास पर भारी ध्यान देने से मिली एक एक यादें, एकाएक मेरे सामने जीती जागती भावनाएं, प्राकृतियों की आती-जाती-झूमती बीती जिन्दगी , मुझे यादों की बहारों में ले जाती हैं। उसी दिन से ही मेरे उपन्यास - सपने बने सितारे – की पहली पंक्ति स्वाभाविक यादों के आधार पर उभरने लगी। आलाए का मानना है कि उनका उपन्यास सपने बने सितारे सचमुच लोगों के पढ़ने लायक उपन्यास है। उन्होने हमें बताया(आवाज2) मेरे ख्याल से लोगों को मेरे सभी उपन्यासों में – सपने बने सितारे – सबसे पढ़ने लायक उपन्यास है, इस उपन्यास ने पिछले कुछ बीते सालों के तिब्बती इतिहास का बड़ी अच्छी तरह निचोड़ किया है।

सपने बने सितारे उपन्यास में तिब्बत के कुलीन परिवार के मंद बुद्धि बेटे की नजर से कुलीन परिवार व्यवस्था से निर्मित तिब्बती कबिलायी गांव का वर्णन किया है, जिस में तिब्बत के आधुनिक इतिहास के परिवर्तन को सर्वोतोमुखी रूप से प्रदर्शित किया गया है। इस उपन्यास को वर्ष 2000 में चीन के लम्बे उपन्यास का सर्वोच्च पुरूस्कार, माओ तुन साहित्य पुरूस्कार हासिल हुआ था। आलाए तब से इस सर्वोच्च पुरूस्कार से सम्मानित एक मात्र तिब्बती लेखक रहे हैं। वर्तमान सपने बने सितारे उपन्यास को छह विदेशी भाषाओं में अनुवाद कर विश्व में प्रकाशित कर दिया गया है।

तिब्बती लेखक आलाए ने सपने बने सितारे उपन्यास में तिब्बतियों के इतिहास, दन्तकथा व बूंद बूंद जीवन में उभरे बिछड़ने व मिलन के दुख-सुख को बड़े शानदार शब्दों में प्रस्तुत किया है, शब्दों व पंक्तियों में तिब्बती इलाके के पिछले सौ साल के रहस्मय परिवर्तन को दर्शाया है। उनकी कलम में चाहे कुलीन तिब्बती हो या गाने गाने वाला या वाद्ययंत्र बजाने वाला कलाकार, चाहे तिब्बती चरवाह, सभी कलाकारों के शरीरों की एक जीती जागती जिन्दगी का अंग अंग दिखाई देती है, इस उपन्यास में न केवल तिब्बतियों के उदार मन की भावना को प्रदर्शित किया है, बल्कि सादी जिन्दगी की करुणा व उनके मिठास भरी बातों को भी जगाया है।

इस पर भी लेखक आलाए नहीं मानते है कि उन्होने इस उपन्यास में तिब्बत के पूरे इतिहास का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होने कहा कि हरेक आदमी की भावना और भौतिक मांग भिन्न भिन्न होती हैं, मैं किसी एक इन्सान का प्रतिनिधि नहीं बन सकता । लेकिन मैं सभी लोगों को अपने उपन्यास के जरिए उन्हे धीरे धीरे तिब्बत में ले जाने की पूरी कोशिश तो जरूर करूंगा, ताकि लोग तिब्बतियों की मुद्रा निगाह को नजदीकी से पहचान सकें। उन्होने कहा(आवाज3) मेरी आशा है कि मेरी सभी रचनाओं को पढ़कर पाठक तिब्बती मुद्रा निगाहों को पहचान सकें, यह एक अदभूत संस्कृति है, जिसे एक जाति समूह बहुत अच्छी तरह जानती है, पर मेरी आशा है कि मेरी सभी रचनाओं को लोग आंखे बन्द किए, सभी वर्णनों को एक साथ जोड़कर उनकी असलीयत पहचान सकें और इन्हें अच्छी तरह दर्शाने के मेरे प्रयासों को महसूस कर सकें।

तिब्बती लेखक आलाए का जीवन सफर बहुत ही भरपूर है, वे किसान रहने के साथ जल सिंचाई के मजदूर भी रह चुके हैं , उन्होने ट्रेक्टर भी चलाया था और जटिल मशीनों की मरम्मत में भी हाथ बटाया था। 1977 में अखिल चीन कालेज परीक्षा में वे नार्मल कालेज में भर्ती हुए और स्नातक होने के बाद गांव के शिक्षक बने। वर्ष 1997 में आलाए ने अपने बचपन के पिछले 30 सालों में गुजारे आपए घास मैदान से विदाई लेकर छंगतू शहर में विज्ञान कल्पित दुनिया पत्रिका के एक संपादक बन गए। दस साल के कठिन परिश्रम के बाद, वे महा संपादक बने, फिर इस पत्रिका विभाग के महा प्रबन्धक का पद संभालना शुरू किया । फिलहाल विज्ञान कल्पित दुनिया पत्रिका हाथों हाथ बिकने वाली सबसे लोकप्रिय पत्रिका बन गयी है।

2009 में तिब्बत की महाकाव्य सागर राजा की दन्तकथा नाम का उपन्यास प्रकाशित हुआ। लेखक आलाए ने इस उपन्यास में सभी सागर राजा से संबंधित कलाकारों व उनकी सच्ची भावनाओं को अपने शब्दों में एक एक जीता जागता रूप दिया। उन्होने इस का जिक्र करते हुए कहा(आवाज4) मेरी लिखी सागर राजा की दन्तकथा , अन्य उपन्यासों से कुछ अलग ही है, ये उपन्यास घास मैदान में लम्बे समय से लोगों की मनपसंद व लोकप्रिय दन्तकथा रही है, मैंने इस उपन्यास को लिखने के लिए करीब तीन साल की तैयारी की थी, जबकि उसे लिखने के लिए केवल छह महीने ही लगे थे, अधिकतर समय मैंने घास मैदान में चलते फिरते, लोगों के मुंह से सुनी कथाओं व जातीय कलाकारों के गानों के बोल से एकत्र किया और उनके विचारों और भावनाओं को महसूस किया ।

लेखक आलाए के शब्द में वे एक काफी संवेदनशील और आत्मविश्वासी आदमी हैं, इस लिए अपनी रचनाओं में वे बड़ी स्वाभिवकता से सभी भावनाओं को अपने उपन्यास में उतार देतें हैं । सपने बने सितारे और सागर राजा की दन्तकथा इन दो उपन्यासों में , उन्होने मुख्य पात्रों के जीवन को बड़ी शान्ति व तसल्ली से सोच विचार कर दर्शाया है, उन्होने कहा कि इस में मैंने अपनी जिम्मेदारी व इस जमाने के इतिहास की अपनी आत्म भावना को उपन्यास के पन्ने पन्ने में निचोड़ा है। उन्होने इस की चर्चा करते हुए कहा(आवाज5) कभी कभी बिना सोचे बड़ी स्वाभाविकता से मेरी भावना इन में शामिल हो जाती है, मिसाल के लिए, सपने बने सितारे उपन्यास में थोड़ा सा बुद्धु छोटा मालिक व सचिव अधिकारी की अपनी अपनी भावना उस समय की दुनिया के रूख व भावना को दर्शाती है, विशेषकर सचिव अधिकारी के रूख में उस समय से अलग कोई बनावटी वर्णन नहीं किया गया, जबकि उसके व्यक्तित्व और जिम्मेदारी को जैसा का तैसा दर्शाया है। जबकि छोटे मालिक का रूख भी उस समय के जमाने से मेल रखता है।

वर्तमान लेखक आलाए सीछ्वान प्रांत के लेखक संघ के अध्यक्ष के पद पर हैं, तो भी अधिकतर समय वे अपने बचपन में पले बढ़े तिब्बती इलाकों में बिताते हैं, वे समय समय पर तिब्बतियों के नए जीवन और खुशहाली, तथा दिनोंदिन परिवर्तित तिब्बती इलाकों की सच्चाई को अपने लेख व उपन्यास में दर्शाकर लोगों की निगाह को खींचते रहते हैं।

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