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मौसम परिवर्तन से निपटने के लिए चीन आर्थिक ढांचे में समन्वय करता रहेगा
2010-04-29 14:43:41

चीन की सरकार ने हाल ही में यह घोषणा की है कि वर्ष 2005 की तुलना में वर्ष 2020 तक, चीन में प्रति ईकाइ के सकल घरेलू उत्पादन मूल्य पर कार्बन डॉइआऑक्साइड की निकासी में 40 से 45 प्रतिशत की कटौती होगी। यह मापदंड चीनी राष्ट्रीय आर्थिक व सामाजिक विकास के मध्य व दीर्घकालीन योजना में शामिल किया जाएगा। कोपेनहेगेन के विश्व मौसम परिवर्तन सम्मेलन के उद्घाटन समारोह से पहले ही चीन ने इस स्पष्ट और परिणामवाचक लक्ष्य पेश किया था। यह लक्ष्य औद्यौगिकरण के मध्य काल में उपस्थित होने वाले चीन के लिए एक चुनौति के साथ-साथ एक अवसर भी है। चीनी सरकार के संबंधित अधिकारियों ने अनेक मौकों पर बार-बार यह दोहराया है कि अपने इस वादा को पूरा करने के लिए चीन अपने आर्थिक और उद्योग व्यवस्था ढांचे में अनुकूल परिवर्तन करेगा। सुनिए इस के बारे में एक रिपोर्ट।

पिछले कुछ सालों में, उद्योग व्यवस्था चीन के कुल आर्थिक उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत तक बनी रही है। 2009 के तीसरी तिमाही तक, चीन के ओद्योगिक क्षेत्र मे कुल निवेश की रकम 55 खरब य्वान थी, जिसकी वृद्धि दर 2008 से 27 प्रतिशत रही। चीन की अर्थव्यवस्था को बढाने के साथ-साथ, औद्यौगिक उत्पादन भी चीन के कार्बन उत्सर्जन का मुख्य श्रोत रहा है।

उद्योग क्षेत्र के निरंतर विकास और ऊर्जा की किफायत करने व प्रदूषण की निकासी को कम करने के लिए, चीन अभी एक योजना बना रहा है जिसके तहत पिछड़ी पड़ी उत्पादन क्षमता वाले उद्योगों को हटाया जाएगा। इस योजना में इस्पात, सीमेंट और शीशा उत्पादन करने वाले उद्योग जैसे ज्यादा उर्जा अवशोषित करने और ज्यादा प्रदूषण निकासी वाले उद्योग शामिल है। चीनी स्टेट विकास और सुधार आयाग के अधिकारी शिङ पी लीन ने कहा कि अब हमें बहुत कड़े नियम-कानून के साथ कारोबारों की जांच, प्रबंधन और पुष्टि करना है और इस तरह के उद्योग-धंधों के अंधाधुंध विस्तार को रोका जाएगा। इस की चर्चा में उन्हों ने कहाः

बाजार में प्रवेश की अनुमति के प्रबंधन, पर्यावरण पर निगरानी व प्रबंधन, भूमि सप्लाई के प्रबंधन आदि क्षेत्रों में बहुत कड़े नियम-कानून बनाए गए है और नियंत्रण लायक मौद्रिक नीति और परियोजना के जांच, पुष्टि के कड़े प्रबंधन को लागू किया गया है। इसके अलावा कारोबारों का विलय और बड़े उद्योगों का पुनर्गठन किया जाएगा और सूचना प्रकाशन व्यवस्था के द्वारा जबाबदेही पद्धति लागू की जाएगी और व्यवस्था सुधार को गहरा किया जाएगा।

उर्जा के खपत को कम करने, ज्यादा कार्बन निकासी वाले उद्योगों के विस्तार को कम करने के अलावा, चीनी सरकार ने वर्तमान उद्योगों और कल-करखानों में उर्जा के दुबारा उपयोग को बढावा दे रही है। कुछ समय पहले, चीन के चियांग सू प्रांत के चांग चिया कांग शहर के द्वि-सिंह नामक रसायन लिमिटेड कंपनी में बिजली जेनरेटर ने काम करना शुरू कर दिया है। कंपनी के उप जनरल मेनेजर श्री युन या फेइ का कहना है कि यह परियोजना दूसरे परियोजना से अलग है, इसमें जेनरेटर के द्वारा किसी भी अधिक खपत वाले उर्जा का उपयोग नहीं किया जाता है और इसे बाहर से अलग बिजली सप्लाई करने की जरूरत भी नहीं है । इसमें पूरी तरह से हमारी कंपनी में उत्पादित फालतू उर्जा का फिर से उपयोग किया जाता है। उन्हों ने कहाः

हमारी कंपनी में सल्फेट के उत्पादन के दौरान, जो उच्च ताप, मध्य ताप और निम्न ताप से निकासित ताप को इकट्ठे कर फिर से इस्तेमाल किया जाता है जिस से प्रति घंटे पचास हजार किलोवाट बिजली पैदा किया जा सकता है। इस योजना से हमें एक साल में 2 करोङ 50 लाख युवान की आमदनी हो सकती है। इस तरह फालतू गैस की निकासी को कम करने के साथ साथ कंपनी को हर साल 25 करोड़ य्वान की आय भी प्राप्त होती है।

वर्तमान में, चीन कोयले से निकली उर्जा उपयोग की निर्भरता को कम करने का प्रयास पहले ही शुरू कर चुका है और ऊर्जा ढांचे को धीरे-धीरे कम कार्बन निकासी और हरित उर्जा उपयोग में बदल रही है। वर्तमान में चीन के उर्जा उपयोग में पवन उर्जा, सौर उर्जा और गैर रासायनिक उर्जा के उपयोग का अनुपात कुल उर्जा उपयोग का 10 प्रतिशत भाग रहा है। और नवीन उर्जा विकास योजना के आधार पर, चीन सरकार ने नवीन उर्जा की विकास योजना पर तीस खरब य्वान का निवेश करने का फैसला किया है, जिससे वर्ष 2020 तक गैर-रासायनिक उर्जा के उपयोग का अनुपात लगभग 15 प्रतिशत तक पहुँचेगा।

भूमंडलीकरण के इस बढते दौर में, कम उर्जा खपत और ज्यादा उत्पादन मूल्य वाले सेवा उद्योग जैसे क्षेत्र आर्थिक वृद्धि का प्रेरक श्रोत बन गया है। वर्तमान में, सेवा उद्योग चीन के कुल आर्थिक उत्पादन मूल्य का 40 प्रतिशत बन गया है, जो विकसित देशों की 70 प्रतिशत दर से काफी कम है। चीनी वाणिज्य मंत्री श्री छन द मिंग ने हाल ही में कहा कि, चीन आशा करता है कि वह समुन्नत अंर्तराष्ट्रीय अनुभवों और नयी तकनीकों का उपयोग कर चीन के सेवा उद्योग को बढावा देगा। इस पर उन्हों ने कहाः

चीन परिवहन, वित्त, बीमा, चिकित्सा व स्वास्थ्य, डिजाइन व अनुसंधान तथा व्यापार व विपणन आदि क्षेत्रों मे रणनीतिक निवेशकों को आकर्षित करेगा और चीन के सेवा उद्योग के पुनर्गठन पर जोर देगा, विदेशी निवेशकों को साफ्टवेयर विकास, आउट सोर्सिंग और लोजिस्ट्रेक्स परिवहन के क्षेत्रों में भाग लेने के लिए प्रेरित करेगा और नयी उन्नतीशील तकनिकों के प्रयोग, सुदृढ प्रबंधन व्यवस्था और उचित संचालन माध्यम के द्वारा सेवा उद्योग की आधुनिकता को बढावा देने और भूमंडलीकरण के दौर में चीन के सेवा उद्योग का सर्वांगिण विकास के मूल्य को बढाने में हरसंभव प्रयास करेगा।

लेकिन इस वादे को निभाना बहुत मुश्किल कार्य है। एक विकासशील देश के रूप में चीन के सामने विशाल जनसंख्या, निम्न आर्थिक विकास स्तर जैसी कई समस्याएँ खड़ी हैं। अगर चीन संतुलित व सुस्थिर आर्थिक वृद्धि बनाए रखने, देश में रोजगार की गारंटी देने तथा उच्च जीवन स्तर प्राप्त करने आदि के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है, तो इस से अवश्य ही संसाधनों की खपत होगी और प्रदूशित उर्जा का उत्सर्जन भी निश्चित ही बढ़ जाएगा। कुछ समय पहले आयोजित, चीनी और युरोपीय नेताओं की बैठक में चीन के प्रधानमंत्री वन चिया पाओ ने साफ साफ कहा था कि वादा को निभाना बहुत कठिन है। लेकिन चीनी सरकार के जलवायु परिवर्तन हमारी यह योजना पूर्ण रूप से वास्तविक और वैज्ञानिक है और हमारी वस्तुगत स्थिति से मेल खाती है। हमारे द्वारा किया गया यह वादा काफी गंभीर है और इसको निभाने के लिए बहुत मेहनत की आवश्यकता है। यह योजना चीन का जलवायु परिवर्तन की समस्या को हल करने और विश्व को दिया गया एक महत्वपूर्ण योगदान है। चीन इस वादे के साथ-साथ अपने निरंतर विकास के पथ पर चलता रहेगा।

चीन सरकार ने यह फैसला किया है कि, कम कार्बन निकासी वाले आर्थिक प्रारूप के लिए कम उर्जा खपत और कम गैस निकासी के सिद्धांत का पालन करेगा, इस की जांच और आकलन की व्यवस्था लागू करेगा। साथ ही चीन स्वच्छ उर्जा तकनिक के अनुसंधान व विकास को बढावा देगा, साथ ही साथ ऐसी तकनिकों के औद्योगिकीकरण के विकास और उत्पादन, कम कार्बन डाइआकत्साइड गैस निकासी वाले उद्योगों, भवन निर्माण उद्योग तथा यातायात व परिवहन व्यवस्था के विकास पर जोर देगा। उर्जा संरक्षण, अनुकूल वातावरण जैसी उत्पादन प्रक्रिया व्यवस्था का पालन करना एवं उपभोक्ता तौर तरीके अपनाना चीन के अनवरत विकास का मुख्य रास्ता है।

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