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विश्व मेले के आयोजन में ब्रिटेन के अनुभव
2010-04-27 09:52:09

वर्ष 2010 शांगहाई विश्व मेला उद्घाटित होने वाला है। यह पिछली आधी शताब्दी में आयोजित 41वां विश्व मेला होगा। पिछले 100 से ज्यादा वर्षों में विश्व मेले में क्या परिवर्तन हुए हैं? हम प्रथम विश्व मेले से क्या सबक ले सकते हैं?हाल ही में हमारे संवाददाता ने ब्रिटेन के विक्टोरिया एवं अलबर्ट संग्रहालय का दौरा किया। यह संग्रहालय ब्रिटेन द्वारा प्रथम विश्व मेले का आयोजन करने के बाद उद्योग व कला डिजाईन का प्रसार करने के लिए निर्मित संग्रहालय है, जिस में प्रथम विश्व मेले का अनेक सामान प्रदर्शित है।

वर्ष 1851 की पहली मई को, ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया के पति अलबर्ट ने लंदन में सभी देशों के औद्योगिक उत्पादों के मेले का आयोजन किया। यह मेला अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन ब्यूरो द्वारा दुनिया का प्रथम विश्व मेला माना जाता है। अनेक लोगों की नजरों में यह विश्व मेला औद्योगिक क्रांति के बाद ब्रिटेन द्वारा बाहरी दुनिया को अपनी शक्ति दिखाने की कार्यवाई थी। लंदन विक्टोरिया एवं अलबर्ट संग्रहालय के प्रधान मार्क जोन्स ने हमारे संवाददाता के साथ साक्षात्कार में कहा कि ब्रिटेन द्वारा इस संग्रहालय का आयोजन करने का मकसद दूसरे देशों से सीखना है।

ब्रिटेन का मानना है कि यदि ब्रिटेन औद्योगिक उत्पादों के निर्यात में अव्वल स्थान पर रहना चाहता है, तो उसे अन्य युरोपीय देशों , खासकर फ्रांस से सीखना चाहिए। फ्रांस की श्रेष्ठ डिजाईन एवं दुनिया के अन्य देशों के श्रेष्ठ डिजाईन सीखने चाहिए। मिसाल के लिए, भारत, चीन, जापान व इस्लामी देश।

प्रथम विश्व मेले में दुनिया के विभिन्न स्थलों से आईं लगभग 13000 वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया, जिन में ट्रैक स्टीम ट्रैक्शन मशीन, उच्च गति भाप जहाज, क्रेन एवं अमेरिका से आई फ़सल काटने की मशीन आदि शामिल थी। मेले में चीनी सामान का प्रदर्शन हॉ़ल भी था। लेकिन, चूंकि उस समय चीन व ब्रिटेन का संबंध सामान्य नहीं था, इसलिए, मेले में चीनी सामान बहुत कम था।

विक्टोरिया एवं अलबर्ट संग्रहालय के एशियाई विभाग की उप प्रधान जैक्सन ने परिचय देते समय बताया,विश्व मेले की कार्यकारिणी कमेटी ने तत्कालीन छींग राजवंश की सरकार को पत्र भेज कर चीनी प्रतिनिधि मंडल को मेले में भाग लेने का निमंत्रण दिया। लेकिन, उस समय चीन व ब्रिटेन का संबंध कठिन समय से गुज़र रहा था। चूंकि प्रथम विश्व मेला चीन व ब्रिटेन के प्रथम अफ़ीम युद्ध के कुछ समय बाद आयोजित किया गया था, इसलिए, चीन ने औपचारिक रूप से प्रतिनिधि मंडल मेले में नहीं भेजा। लेकिन, कार्यकारिणी कमेटी आशा करती थी कि मेले में चीन का माल भी प्रदर्षित किया जा सकेगा। इसलिए, उन्होंने लंदन के एक व्यापारी विलियम हेवित को कुछ चीनी सामान इकट्ठा करने के लिए कहा । इस के अलावा, ब्रिटिश अधिकारी रेडफोर्ड औकोक ने कुछ चीनी व्यापारियों के चीनी माल को लंदन भेजने में मदद की। इसलिए, प्रथम विश्व मेले में चीनी माल का प्रदर्शन हॉल भी था। वर्ष 1851 की पहली मई से 15 अक्तूबर तक, प्रथम विश्व मेला 5 महीनों तक चला, जिस ने 60 लाख से ज्यादा दर्शकों को आकर्षित किया। यह संख्या उस समय ब्रिटेन की कुल आबादी की एक तिहाई थी। श्री जोन्स ने कहा कि इस ने ब्रिटेन के सामाजिक विकास में अहम भूमिका अदा की है। उन के अनुसार,प्रथम विश्व मेले ने साबित किया कि एक विश्व स्तरीय मेला बहुत वास्तविक शिक्षा की भूमिका अदा कर सकता है, साथ ही राष्ट्रीय गौरव को प्रेरित करने में योगदान भी दे सकता है। वर्ष 1851 में अनेक ब्रिटिश लोगों ने विश्व मेले का दौरा किया।

इस के अलावा, विश्व मेले से लगभग 1 लाख 86 हजार पौन्ड का मुनाफा भी हुआ। ये पैसे विश्व मेले के आयोजन स्थल---लंदन के मशहूर हाईड पार्क के दक्षिणी भाग की एक भूमि की खरीद में इस्तेमाल किये गये और विज्ञान व कला केंद्र की स्थापना की गयी। विक्टोरिया एवं अलबर्ट संग्रहालय, विज्ञान संग्रहालय तथा प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय इस आधार पर स्थापित किये गये थे। इस के अलावा, ये पैसे इनाम कोष की स्थापना में भी इस्तेमाल किये गये थे, ताकि विज्ञान व कला के विकास को आगे बढ़ाया जा सके। श्री जोन्स ने कहा कि अन्य देशों ने ब्रिटेन के अनुभव से सीख ले कर क्रमशः इसी तरह के मेलों का आयोजन किया। अभी तक, ब्रिटेन, फ्रांस एवं अमरीका आदि विकसित देशों ने कुल मिलाकर 40 समग्र संग्रहालयों का आयोजन किया है।

श्री जोन्स ने कहा कि युग के परिवर्तन के साथ-साथ, विश्व मेले के विषय व तरीकों में भी परिवर्तन हुआ है, लेकिन, इस में एक बात कभी नहीं बदली है, यानि वह यह कि लोगों को इस से शिक्षा मिलती है।श्री जोन्स के अनुसार,प्रथम विश्व मेला मुख्यतः नये उत्पादन व प्रोसेसिंग के तरीकों व डिजाईन पर केंद्रित था, जो बहुत यथार्थ है। जबकि 20वीं एवं 21वीं शताब्दी में आयोजित विश्व मेले दृशकों को अनुभव देने पर ज्यादा ध्यान देते हैं। मेले में मनोरंजन की भूमिका को प्रोत्साहित किया जाता है। 1851 विश्व मेले का केवल एक प्रदर्शन हॉल था। अब के विश्व मेले में अनेक देशों के अपने-अपने राष्ट्रीय प्रदर्शनी हॉल हैं। विश्व मेले का पैमाना और बड़ा हो चुका है। लेकिन, मेले का मुख्य लक्ष्य कभी नहीं बदला यानि लोगों को एक दूसरे से सीखने को प्रोत्साहित करना ।

श्री जोन्स शांगहाई विश्व मेले के ब्रिटेन हॉल के प्रमुख डिजाइनर भी हैं। उन्होंने अनेक बार चीन की यात्रा की है। उन्हें विश्वास है कि चीनी जनता के प्रयास से शांगहाई विश्व मेले को अवश्य ही सफलता मिलेगी। श्री जोन्स का कहना है,मेरा विचार है कि शांगहाई विश्व मेला इतिहास में सब से बड़े पैमाने वाला विश्व मेला होगा। मेले में भागीदारों एवं दृशकों की संख्या अभूतपूर्व होगी। मुझे लगता है कि शांगहाई विश्व मेला दृशकों के लिए बहुत अच्छा अनुभव है और उन्हें सुन्दर यादें देगा। मेरी नजर में शांगहाई विश्व मेला अवश्य ही बहुत सफल होगा।

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