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सिनच्यांग में द्विभाषी शिक्षा से अल्पसंख्यक जातियों के बच्चों का भविष्य और सुन्दर
2010-04-13 08:42:01

महमूद एकपर वेवुर जाति का एक लड़का है, जिस की उम्र केवल 10 की है। इस छोटे वेवुर जाति के बच्चे की चीनी भाषा का स्तर हान जाति के बच्चे के बराबर है।इस का क्या कारण है। वास्तव में महमूद एकपर की मा ने हेसेर गुल महमूद एकपर को वेवुर भाषा व चीनी भाषा के द्विभाषी किंडरगार्डन में भेजा था। सुश्री हेसेर गुल ने हमें बताया,वेवुर भाषा हमारी मात्र भाषा है। जबकि हान भाषा हमारे देश की भाषा है। चीनी भाषा सीखने से हम और सुविधा से और ज्यादा सांस्कृतिक ज्ञान हासिल कर सकेंगे।चूंकि चीन में चीनी भाषा की तुलना में वेवुर भाषा की सामग्री अपेक्षाकृत कम है। खासकर कंप्यूटर का इस्तेमाल करते समय चीनी भाषा बहुत जरूरी है। लेकिन, वेवुर भाषा सीखने से बच्चा वेवुर जाति के इतिहास व संस्कृति को और अच्छी तरह जान सकेगा।

सुश्री हेसेर गुल ठीक कहती हैं। अब द्विभाषी शिक्षा सिनच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश के शिक्षा कार्य की एक विशेषता बन चुकी है। चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थायी कमेटी के प्रतिनिधि, सिनच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश की छापूचार शीबो जातीय प्रिफेक्चर के प्रथम मीडिल स्कूल की अध्यापिका फू छ्वनली ने हमें बताया,हमारे सिनच्यांग में हज्जाक जाति, वेवुर जाति एवं उज्बेकिस्तान आदि अनेक जातियों के बच्चे बचपन से ही चीनी भाषा सीखते हैं और द्विभाषी कक्षाओं में पढ़ते हैं। मैं शीबो जाति की प्रतिनिधि हूं। प्राइमरी स्कूल में ही मैं ने चीनी भाषा सीखनी शुरू कर दी थी।

श्रोताओं, सिनच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश एक बहु जातीय क्षेत्र है, जहां वेवुर, हज्जाक एवं मंगोलिया आदि अल्पसंख्यक जातियों के लोग रहते हैं। उन की अपनी जातीय भाषा है। पहले सिनच्यांग के अनेक स्थलों में हान जाति व अल्पसंख्यक जातियों के बच्चे अलग अलग तौर पर विभिन्न स्कूलों में पढ़ते थे। अनेक अल्पसंख्यक जातियों के छात्र केवल अपनी जाति की भाषा ही बोल सकते थे और हान जाति की भाषा चीनी नहीं बोल पाते थे,जोकि इन अल्पसंख्यक जातियों के छात्रों के उच्च शिक्षा पाने में बाधा के रुप में सामने आई। अल्पसंख्यक जाति के लोग कठिनता से आधुनिक समाज , यहां तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय में शामिल हो पाते थे।

सिनच्यांग में द्विभाषी की पढ़ाई पिछली शताब्दी के 50 के दशक में शुरु हुई। लेकिन, इधर के वर्षों में देश व स्वायत प्रदेश के भारी समर्थन में इस का तेज़ विकास हुआ है। परिचय के अनुसार, केवल 2008 से अब तक, देश ने सिनच्यांग के द्विभाषी शिक्षा में 1 अरब 20 करोड़ चीनी य्वान से ज्यादा की पूंजी डाली है। स्थानीय सरकार ने सिनच्यांग के गरीब कृषि व चरवाहा क्षेत्रों में कंप्यूटर, टीवी एवं डीवीडी आदि समुन्नत उपकरण वाले किंडरगार्डनों की स्थापना की है। सुश्री फू छ्वनली ने संवाददाता को बताया, शीबो जाति के लिए चीनी भाषा सीखने का लक्ष्य है बच्चे शीबो भाषा व चीनी भाषा बोल सकें और शीबो भाषा के आधार पर अनुवाद करने से चीनी भाषा सीख सकें।

अब फू छ्वनली की जन्मभूमि में न केवल किंडरगार्डनों व प्राइमरी स्कूलों में, बल्कि मीडिल स्कूल में भी द्विभाषी पढ़ाई शुरू हुई है। फू छ्वनली छापूचार शीबो जातीय प्रिफेक्चर के एक मीडिल स्कूल में पढ़ाती हैं। सुश्री फू के अनुसार, स्थानीय सरकार, सिनच्यांग वेवुर स्वायत प्रदेश की सरकार एवं देश द्विभाषी शिक्षा के अध्यापकों के प्रशिक्षण को बड़ा महत्व देते हैं। लगभग हर वर्ष हर एक स्कूल कम से कम एक या दो अध्यापकों को प्रशिक्षण के लिए भेजता है। इस के अलावा, स्थानीय स्कूल हान जाति व अल्पसंख्यक जातियों के स्कूलों में विभाजित नहीं किये गए हैं। हान जाति व अल्पसंख्यक जातियों के अध्यापक व छात्र-छात्राएं एक ही स्कूल में काम करते हैं और सीखते हैं। अल्पसंख्यक जाति के अध्यापक चीनी व जातीय भाषा दोनों भाषाएं पढ़ते हैं। अल्पसंख्यक जातियों के विद्यार्थी अपनी जाति की भाषा सीखने के साथ-साथ, चीनी भाषा बोलना व लिखना भी सीखते हैं। सुश्री फू छ्वनली का कहना है,अब हमारे यहां के सभी स्कूलों में एसा माहौल है, जहां द्विभाषी पढ़ाई चलती है। स्कूलों में विद्यार्थी चीनी व जातीय भाषा सीखने के साथ-साथ, विभिन्न जातियों की परम्पराएं भी सीखते हैं। विद्यार्थी व अध्यापक दोनों भाषाओं से पढ़ाई में समस्याओं पर विचार-विमर्श करते हैं और आवाजाही में भाषा के स्तर को उन्नत करते हैं।

फू छ्वनली ने हमें बताया कि गत वर्ष के एनपीसी व सीपीपीसीसी के सम्मेलनों के दौरान, उन्होंने पेइचिंग कृषि विश्वविद्यालय के अधीन मीडिल स्कूल जाकर सिनच्यांग के विद्यार्थियों का हाल पूछा। उन्हें महसूस हुआ कि विभिन्न क्षेत्रों में विद्यार्थियों की बड़ी प्रगति हुई है। इस वर्ष वे फिर एक बार वहां गयीं और विद्यार्थियों में और बड़ा परिवर्तन देखा। द्विभाषी शिक्षा का सब से बड़ा लाभ पाने वाले विद्यार्थियों ने फू छ्वनली पर गहरी छाप छोड़ी है। उन के अनुसार,अति श्रेष्ठ शिक्षा संसाधनों की मदद से शिक्षा पाने से विद्यार्थियों की भारी प्रगति हुई है। मुझे लगा कि वे लोग बहुत सुखी हैं और उन्हें ज्यादा ज्ञान हासिल हुआ है। द्विभाषी शिक्षा ने अल्पसंख्यक जातियों के बच्चों को बड़ा लाभ दिया है। चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थायी कमेटी के प्रतिनिधि, सिनच्यांग मेडिकल विश्वविद्यालय के दवा अकादमी के प्रधान रना कास्मू ने हमें बताया,द्विभाषी पढ़ाई से बच्चे विभिन्न जातियों की श्रेष्ठ संस्कृति सीखते हैं। हमारे देश का 5 हजार से ज्यादा वर्षों का लम्बा इतिहास है, जिस की संस्कृति बहुत रंग-बिरंगी है। भाषा सीखने से हम अनेक काम कर सकते हैं। भाषा लोगों के बीच आवाजाही का माध्यम है।

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, चीनी वित्त मंत्रालय ने हाल में औपचारिक रूप से स्वायत प्रदेश की अल्पसंख्यक जातियों की द्विभाषी शिक्षा का विकास गारंटी कार्यक्रम बनाया, जिस के अनुसार, 2012 तक, चीन की केंद्र सरकार व सिनच्यांग की सरकार लगभग 5 अरब 10 करोड़ चीनी य्वान की पूंजी डालेंगी और सिनच्यांग के काशी एवं हथ्यैन आदि सात प्रिफेक्चरों एवं नोछ्यांग व हचींग आदि नौ काऊंटियों में द्विभाषी किंडरगार्डन बनाएंगी।

इस के अलावा, सिनच्यांग ने बड़े पैमाने वाले द्विभाषी शिक्षा के अध्यापकों के प्रशिक्षण की योजना भी बनायी है। योजनानुसार, आगामी चार वर्षों में पेइचिंग, थ्यनचिन, शांगहाई एवं च्यांगसू चार प्रांत व शहर सिनच्यांग के मीडिल स्कूलों के लिए 2000 अध्यापकों का प्रशिक्षण करेंगे। उपरोक्त चार प्रांतों व शहरों के श्रेष्ठ अध्यापक भी हथ्यैन व काशी आदि स्थल जाकर पढा़एंगे।

हमें पक्का विश्वास है कि चीन सरकार व सिनच्यांग स्वायत प्रदेश की सरकार के सिलसिलेवार नीतियों व कदमों के समर्थन से सिनच्यांग में द्विभाषी शिक्षा का बड़ा विकास होगा और अल्पसंख्यक जातियों के बच्चों का भविष्य और उज्ज्वल होगा।

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