चीन के लेखकों में एक सेना के लेखक हैं, उनका नाम है हवांग क्वो रूंग। उनकी लिखी गांव की लौरी नाम के एक उपन्यास को चीन के सर्वोच्च साहित्य पुरूस्कार -- माओ तुन साहित्य पुरूस्कार से सम्मानित किया गया है।
इस वर्ष साठ वर्षीय लेखक हवांग क्वो रूंग एक हट्टे कटटे मर्द है। बचपन से उन्होने दक्षिण चीन के गांव में मनोरम दृश्यों का आन्नद उठाया पर कठिन जिन्दगी भी बितायी, अपनी जिन्दगी में मीठी यादों के साथ कड़वेपन को भी महसूस किया, एक समय उन्होने जीवन के कठोर समय बिताए और कुछ दुर्व्यवहारों को भी हंसते हुए सहा लिया। लेकिन अपने उद्यमी और पढ़ने के लगाव व्यक्तित्व तथा अपनी अभूतपूर्व स्मरण शक्ति तथा बचपन से प्राकृतिक जीवन पर अधिक ध्यान देने की रूचि ने उन्हे छोटी सी उम्र से ही अपने आने वाले उपन्यास के लिए भरपूर जीवन के अनुभव तैयार कर लिए थे। उनकी नजर में लेखक को अपने दिमाग में सबसे गहरी यादों को एकत्र करना बहुत जरूरी हैं न कि नजरों से गुजरने वाली दो घड़ी की याददाश्त। उन्होने हमें बताया लेखक अपने सामान्य जीवन की यादों को एकत्र करता है। हर एक आदमी एक पुस्तक का रूप होता है, आम जीवन में आसानी से न मिलने वाली व कभी कभी संयोग से संपर्क होने वाली घटनाओं पर अधिक ध्यान देने के साथ लेखक को जीवन के वातावरण, जीवन की पृष्ठभूमि व उसके बीते जीवन की कहानी पर नजर रखनी चाहिए। एक लेखक को अपने दिमाग की याददाश्त को हमेशा ताजा रखनी चाहिए, जो वे जीवनभर भूल नहीं सकते हैं। आसानी से भूल जाने वाली घटनाएं लोगों को प्रभावित नहीं कर सकती हैं।
गांव की लौरी नाम उपन्यास में मुख्य पात्र वांग अड़ यांग के पिछले 50 साल के लम्बे जीवन की सच्ची पृष्ठभूमि पर एक जीते जागते सच्चे इन्सान के रूप को दर्शाया है, उनके शरीर पर लोग उनके सीधे व होशयार दो खामियतों को नजदीक से महसूस कर सकते हैं, इस कहानी में एक एतिहासिक परिवर्तन के दौर में उनकी मजबूरी व लाचार कारकों को भी निखारा है, जिस से लोग एक सच्चे चीनी किसान के पूरे जीवन व उसके जीने की परिस्थिति को स्वीकार कर सकते हैं और इस के साथ उपन्यास ने पिछली आधी शताब्दी में चीन के एतिहासिक परिवर्तन से लोगों की यादों को जगाया है। इस पर चर्चा करते हुए उन्होने कहा मेरे उपन्यास में सच्चाई भरी रहती है, गांव की लौरी नाम के उपन्यास में चीनी लोगों के सच्चे जीवन को दर्शाया गया हैं, इस पात्र की कहानी मेरे खुद के जीवन से जुड़ी हुई है। मैंने चीन के महान आर्थिक सुधार व खुलेपन के दौर में उपन्यास के पात्र वांग अड़ यांग के जीवन की तकदीर को लोगों के नजदीक लाकर लोगों के बीते जीवन के साथ घनिष्ठता से जोड़ा है, इस में बुढ़ापे में वृद्धाशाला में रहने और वहां सरकार की मदद से सभी खाने पीने की सुविधाएं मिलने के साथ जेब खर्चे भी दिए जाने की सच्चे जीवन को भी लिखा है।
लेखक हवांग क्वो रूंग ने अपने उपन्यास के मुख्य पात्र वांग अड़ यांग के आखरी जीवन की तकदीर को एक नया रूप दिया है, जिन्दगी भर धनी बनने के सपने को साकराने की कोशिश में जुटे किसान वांग अड़ यांग आखिर में बुढ़ापे में सरकार द्वारा इन्तेजाम वृद्धाशाला में रह नहीं सके, बल्कि ग्रामीण सरकार से पैसे उधार लेकर उन्होंने अपना एक नया धन्धा खोला और अपनी जवानी में जो सपना साकार न सके वे उन्होने बुढ़ापे जीवन में अपनी आखरी मंसूबे को पूरा कर लेने में सफलता हासिल कर ही ली , वे अन्त में बुढ़ापे में एक धनी किसान बन ही गये।
कई सालों के बाद लेखक हवांग क्वो रूंग ने गांव का फिर से दौरा किया तो उन्होने अपने गांव में गाववासियों के मुंह से उपन्यास के मुख्य पात्र से संबंधित अनेक कहानियां सुनी , गौरतलब है कि बहुत सी जीवन बीती कहानी उनके उपन्यास के पात्र वांग अड़ यांग से मिलती जुलती हैं, किसान वांग अड़ यांग पूरी जिन्दगी गरीबी में दबे रहने की वजह से शादी नहीं कर पाए, बुढ़ापे में अपने धन्धे की बदौलत से कमाए पैसों को उन्होने अन्त में उसे ग्रामीण सरकार को सौंप दिया और अपने अन्तिम संस्कार की जिम्मेदारी भी ग्रामीण सरकार को दे दी।
गांव की लौरी नाम के उपन्यास के अलावा, लेखक हवांग क्वो रूंग के अन्य दो उपन्यास सैनिक की लौरी व सड़क की लौरी भी बहुत लोकप्रिय है, साहित्यकारों का मानना है कि उक्त तीन लौरियों में लेखक ने चीन की पिछली शताब्दी में चीनी लोगों के सच्चे बीते जीवन को अपनी कलम से एक जीती जागती दुनिया को दर्शाया है। सैनिक लौरी में एक किसान के बेटे के सेना में भर्ती होने से पहले व भर्ती होने के बाद की कहानी लिखी है, कहानी में एक आम सैनिक की जीवनी को निखार कर हमारे इस युग की नयी पीढ़ी की खुशी व गम को चीन के जीवन से बड़ी अच्छी तरह जोड़ा है। जबकि सड़क लौरी में तीन पीढ़ी के लोगों के आधुनिक जीवन की परिस्थितियों को लेकर उनके जीवन से जुड़ी सच्चाई, झूठ, उपकार , गददारी तथा सुन्दर और बदसूरत से भरी दुनिया में जीवन संघर्ष कहानी को लोगों की जिन्दगी से इतनी अच्छी तरह जोड़ा है कि लोग अपने अपने जीवन व जिन्दगी को इस परिवर्तित जीवन में पा सकते हैं, इस में चीन की बाजार आर्थिक जमाने में लोगों के दुख व सुख को बड़ी खूबसूरती के साथ दर्शाया है।
लेखक हवांग क्वो रूंग के उपन्यास में जिन्दगी की खुश्बी की महक महसूस होती है, उपन्यास में लोगों के जीवन को बड़ी बारीक से वर्णन किया गया है, लोगों के हंसते गाते जीवन व लोगों की सच्ची खुशी व गम को इतनी बेहतरीन तौर से सुसज्जित किया गया है कि पढ़ने वाले अपने रहने वाले समाज की प्रगति व उसमें मौजूद अनेक खामियों को नजदीक से महसूस कर सकते हैं। उपने उपन्यास के लिखने के तरीके पर बोलते हुए हवांग क्वो रूंग ने कहा मैंने उपन्यास लिखने से पहले बहुत गहराई से सोच विचार किया था, तभी लिखने का समय इतना लम्बा नहीं रहा, गांव की लौरी को लिखने से पहले मैंने बीस साल के जीवन को गहराई से याद किया और उसपर संजीदगी से काफी लम्बे समय तक सोच विचार किया। उपन्यास का मुख्य पात्र मेरे दिल में 20 साल तक जिन्दा रहा है, उपन्यास के पात्र का जीवन असल में मेरी आंखो देखी असलीयत घटनाएं हैं, मैं तो इस पात्र के जीवन की डोर को लेकर उसके साथ चलता ही रहा, इतनी बृहद उपन्यास को मैंने केवल तीन चार महीनों में ही लिख डाला था।
असल में हवांग क्वांग रूंग 12 साल की उम्र से सेना में भर्ती हो गए थे, 1978 में उन्होने किताब लिखना शुरू किया, अब तक उन्होने सच्चे जीवन से संबंध रखने वाले करीब आठ उपन्यासों को लिखा है, इस के अतिरिक्त उन्होने अनेक कविताएं ,रचनाएं व समीक्षाएं भी रची हैं, जिन की शब्द संख्या 20 लाख से अधिक हैं।
चीन के समाज में तेज परिवर्तन आने के इन सालों में अनेक जीवन की नयी नयी कहानियां उभर रही हैं, आज के जीवन में कहीं अधिक जीते जागते जीवन की जिन्दगी की कहानियां भरी हुई हैं, लेखक हवांग क्वो रूंग अब भी एक सैनिक के रूप में अपनी सामाजिक जिम्मादारी निभा रहे हैं और नए जमाने में जगह जगह उभर रहें वीरों के गुणगान में वे हमेशा आगे रहते हैं, वे समाज की अयुक्तिसंगत व लाचार लोगों के प्रति अपनाये तरीकों से भारी नफरत करते हैं, यहां तक कि सड़क में घूमते समय वे बेइन्साफी हरकतों को रोकने व उस में दखलअन्दाजी करने में कतई नहीं कतराते हैं। वे लेखक हैं और चीन की प्रगति की दिशा के एक आदर्श व्यक्ति ही नहीं समाज की एक प्रेरिक शक्ति भी हैं।